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Friday 9 July 2021 01:42:23 PM
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केंद्रीय वित्तपोषित प्रौद्योगिकी संस्थानों के निदेशकों के साथ वीडियो कॉंफ्रेंसिंग के जरिए बातचीत की, जिसमें 100 से अधिक संस्थानों के प्रमुख शामिल हुए। प्रधानमंत्री ने कोविड से पैदा हुई चुनौतियों का सामना करने की दिशा में इन संस्थानों के अनुसंधान एवं विकास कार्यों की सराहना की। उन्होंने तुरंत प्रौद्योगिकी समाधान उपलब्ध कराने की दिशा में युवा इन्नोवेटरों के प्रयास भी सराहे। प्रधानमंत्री ने कहा कि बदलते परिवेश और उभरती चुनौतियों के साथ तालमेल रखने केलिए उच्चशिक्षा और तकनीकी शिक्षा को अपनाने की जरूरत है, इसके लिए संस्थानों को देश और समाज की वर्तमान एवं भविष्य की जरूरतों के अनुसार वैकल्पिक और नवाचारी मॉडल विकसित करने तथा नयापन लाने और स्वयं का पुनर्मूल्यांकन करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षण और तकनीकी संस्थानों को चौथी औद्योगिक क्रांति को ध्यान में रखते हुए युवाओं को लगातार व्यवधानों और परिवर्तन के लिए तैयार करने की आवश्यकता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐसे शिक्षा मॉडल की दिशा में प्रगति करने की आवश्यकता पर जोर दिया, जो लचीले, निर्बाध और शिक्षार्थियों की आवश्यकताओं के अनुसार शिक्षण के अवसर प्रदान करने में सक्षम हों। उन्होंने कहा कि पहुंच, सामर्थ्य, समानता और गुणवत्ता ऐसे शैक्षिक मॉडलों के प्रमुख मूल्य होने चाहिएं। प्रधानमंत्री ने पिछले कुछ वर्ष में उच्चशिक्षा में सकल नामांकन अनुपात में सुधार की सराहना करते हुए इस बात पर जोर दिया कि उच्चशिक्षा का डिजिटलीकरण जीईआर को बढ़ाने में एक बड़ी भूमिका निभा सकता है, इससे छात्रों को अच्छी गुणवत्ता और सस्ती शिक्षा तक आसान पहुंच उपलब्ध होगी। प्रधानमंत्री ने ऑनलाइन स्नातक और मास्टर डिग्री कार्यक्रमों को बढ़ावा देने के लिए संस्थानों की विभिन्न पहलों की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि हमें भारतीय भाषाओं में प्रौद्योगिकीय शिक्षा का इकोसिस्टम विकसित करने और वैश्विक पत्रिकाओं का क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवाद करने की जरूरत है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आने वाले 25 वर्षों में जब हम स्वतंत्रता के 100 वर्ष पूरे होने का आयोजन करेंगे 'आत्मनिर्भर भारत अभियान' भारत के सपनों और आकांक्षाओं का आधार बनेगा। उन्होंने कहा कि आगामी दशक में प्रौद्योगिकीय और अनुसंधान एवं विकास संस्थान प्रमुख भूमिका निभाएंगे, इस दशक को इंडियाज टेकेड भी कहा जा रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, कृषि, रक्षा और साइबर प्रौद्योगिकियों के क्षेत्र में भविष्य के समाधान विकसित करने पर ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षण संस्थानों में अच्छी गुणवत्ता का बुनियादी ढांचा उपलब्ध हो, ताकि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, स्मार्ट वियरेबल, ऑगमेंटेड रियलिटी सिस्टम और डिजिटल असिस्टेंट से जुड़े उत्पाद की आम आदमी तक पहुंच सुनिश्चित हो सके। उन्होंने कहा कि हमें सस्ती, व्यक्तिगत और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस संचालित शिक्षा पर ध्यान देना चाहिए।
आईआईएससी बैंगलोर के प्रोफेसर गोविंदन रंगराजन, आईआईटी मुंबई के प्रोफेसर सुभासिस चौधरी, आईआईटी मद्रास के प्रोफेसर भास्कर राममूर्ति और आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर अभय करंदीकर ने प्रधानमंत्री के समक्ष प्रस्तुतियां दीं और उन्हें विभिन्न परियोजनाओं, शैक्षणिक कार्यों और नए शोधों से भी अवगत कराया। प्रधानमंत्री को कोविड से संबंधित अनुसंधान के बारे में भी अवगत कराया गया, जिसमें परीक्षण केलिए नई तकनीक विकसित करना, कोविड वैक्सीन के विकास, स्वदेशी ऑक्सीजन कंसंट्रैटर्स, ऑक्सीजन जनरेटर, कैंसर सेल थेरेपी, मॉड्यूलर अस्पताल, हॉटस्पॉट पूर्वानुमान, वेंटिलेटर, रोबोटिक्स, ड्रोन, ऑनलाइन शिक्षा, बैटरी प्रौद्योगिकी के क्षेत्र भी शामिल हैं। प्रधानमंत्री को उन नए शैक्षणिक पाठ्यक्रमों विशेष रूपसे ऑनलाइन पाठ्यक्रमों के बारे में भी बताया गया, जो अर्थव्यवस्था और प्रौद्योगिकी की बदलती प्रकृति के अनुसार विकसित किए जा रहे हैं। इस अवसर पर केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और शिक्षा राज्यमंत्री भी मौजूद थे।