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Sunday 11 July 2021 03:44:28 PM
हैदराबाद। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने थुमेती राघोथमा रेड्डी की पुस्तक 'टेरेस गार्डन: मिड्ड थोटा' के अंग्रेजी अनुवाद की पहली प्रति प्राप्त की। मूल रूपसे तेलुगु में लिखी इस पुस्तक में थुमेती राघोथमा रेड्डी की नारापल्ले हैदराबाद में फलदायक टेरेस गार्डन विकसित करने की सफल यात्रा का इतिहास है। उपराष्ट्रपति ने पुस्तक को साकार रूप देने के प्रयासों केलिए अनुवादक कोडुरू सीताराम प्रसाद और प्रकाशक यदलापल्ली वेंकटेश्वर राव की सराहना की। उपराष्ट्रपति ने कहा कि थुमेती राघोथमा रेड्डी के टैरेस गार्डन में खेती के सदियों पुराने पारंपरिक तरीकों का उपयोग किया जा रहा है, पिछले सात साल में उन्होंने 1230 स्क्वेयर फीट के छोटे से एरिया में 25 क्विंटल सब्जियां उगाईं और यह सब सिर्फ मिट्टी एवं जानवरों की खाद का इस्तेमाल करते हुए किया।
थुमेती राघोथमा रेड्डी के टेरेस गार्डन में किसी तरह के केमिकल का इस्तेमाल नहीं किया गया। वेंकैया नायडू ने कहा कि टेरेस बागवानी एक अद्भुत विचार है, क्योंकि यह हमें पौष्टिक भोजन प्रदान कर सकता है, जो लागत प्रभावी है। टेरेस गार्डन होने के फायदों पर प्रकाश डालते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि इससे न केवल रसायन मुक्त फल और सब्जियों का ताजा उत्पाद प्राप्त होता है, बल्कि आसपास की हवा में ऑक्सीजन का स्तर भी बढ़ता है। उन्होंने कहा कि बागवानी प्रकृति के करीब लाती है और यह मानसिक तनाव से राहत देती है। वेंकैया नायडू ने कहा कि यह पुस्तक लोगों को टेरेस गार्डनिंग करने के लिए प्रेरित करती है और उन लोगों के लिए एक आदर्श मार्गदर्शक है, जो अपने स्वयं के टेरेस गार्डन का सदुपयोग करना चाहते हैं। उपराष्ट्रपति ने आग्रह किया कि घर में खाली जगह पर शौकिया तौरपर बागवानी की खेती करने का प्रयास करें। पुस्तक छत पर खेती करते समय अपनाए जाने वाले व्यावहारिक तरीकों और तकनीकों में एक अंतर्दृष्टि प्रदान करती है।