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Monday 12 July 2021 01:04:53 PM
हैदराबाद। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडु ने कहा है कि देश में कृषि विकास और सुधार केलिए कृषि उपज के बेहतर मूल्य और किसानों को समय पर किफायती कर्ज उपलब्ध कराना जरूरी है। वैश्विक खाद्य संकट को लेकर संयुक्तराष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) की रिपोर्ट का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि अगर हम अपने किसानों को समय पर सहायता प्रदान करते हैं तो भारत न केवल आत्मनिर्भर बना रहेगा, साथ ही आनेवाले वर्षों में दुनिया की भी जरूरतें पूरा करता रहेगा। कोरोना महामारी के कारण भारी तकलीफों के बावजूद पिछले साल खाद्यान्न उत्पादन में वृद्धि केलिए देश के किसानों की प्रशंसा करते हुए वेंकैया नायडु ने कहा कि कृषि को और अधिक लाभकारी बनाने केलिए इस समय भंडारण क्षमता बढ़ाने, फसल परिवहन पर प्रतिबंध हटाने और खाद्य प्रसंस्करण को प्रोत्साहित करने पर ध्यान देने की आवश्यकता है।
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडु ने कहा कि किसान उत्पादन बढ़ाने के साथ-साथ लागत में कटौती पर ध्यान दें और संसाधन जैसे पानी और बिजली का अधिक विवेकपूर्ण तरीके से उपयोग करें। हैदराबाद में डॉ मैरी चन्ना रेड्डी मानव संसाधन विकास संस्थान में पूर्व सांसद येलामंचिली सिवाजी की पुस्तक 'पल्लेकु पट्टाभिषेकम' के विमोचन कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति ने कहा कि गांव और कृषि सहज रूपसे आपस में जुड़े हुए हैं और हमें अपने गांवों में 'ग्राम स्वराज्य' लाने केलिए उनसे जुड़े मुद्दों को समग्र रूपमें हल करना चाहिए। उन्होंने किसानों को लाभकारी परिणाम सुनिश्चित करने केलिए प्रयोगशाला और खेतों के बीच मजबूत संबंध बनाने का भी सुझाव दिया। उन्होंने वैज्ञानिकों से जलवायु और सूखे का सामना करने में सक्षम बीज किस्मों को विकसित करने का आग्रह किया। वेंकैया नायडु ने कहा कि गांवों को सिर्फ शहरों को भोजन की आपूर्ति करने वाले कारखानों के रूपमें नहीं देखा जाना चाहिए। उन्होंने कृषि को लाभदायक बनाने और गांवों को बढ़ते हुए आर्थिक केंद्र बनाने केलिए समाज, कृषि के जानकारों, कृषि अर्थशास्त्रियों, छात्रों और शोधकर्ताओं के सहयोग से राष्ट्रीय स्तरपर प्रयास करने का आह्वान किया।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि वह चाहते हैं कि लोग अपनी जड़ों की तरफ वापस लौटें और लंबे समय से चली आ रही समस्याओं को सुलझाने के लिए साथी ग्रामीणों के साथ काम करें। कृषि में बढ़ती लागत को देखते हुए उन्होंने सुझाव दिया कि प्राकृतिक और जैविक खेती लागत को कम करने और किसानों केलिए एक स्थिर आय सुनिश्चित करने में काफी संभावनाएं प्रदान करती है। उन्होंने कहा कि ऑर्गेनिक उत्पादों की बढ़ती मांग ने किसानों को प्राकृतिक खेती को बड़े पैमाने पर अपनाने का अवसर प्रदान किया है। वेंकैया नायडु कहा कि वे चाहते हैं कि किसान नियमित आय सुनिश्चित करने केलिए कृषि से जुड़े क्षेत्रों जैसे पोल्ट्री, डेयरी फार्मिंग, मत्स्यपालन, बागवानी, एक्वाकल्चर और मछली पालन में भी प्रवेश करें, उनके मुताबिक जो किसान अपने उत्पादन में विविधता लाते हैं, उन्हें फसल खराब होने पर नुकसान का सामना करने की संभावना कम होती है।
उपराष्ट्रपति ने किसानों, शोधकर्ताओं, वैज्ञानिकों और कारोबारियों के रूपमें कृषि में नई पीढ़ी की अधिक से अधिक भागीदारी का आह्वान किया। उन्होंने भारतीय कृषि को आगे बढ़ाने में मीडिया की महत्वपूर्ण भूमिका पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने किसानों पर केंद्रित और अधिक पत्रिकाओं और चैनलों का आह्वान किया, जो किसानों को क्षेत्र की सबसे अच्छी और उभरती कार्यशैलियों के बारे में सूचित कर सकें। उपराष्ट्रपति ने पुस्तक के लेखक येलामंचिली सिवाजी को उनके प्रयासों के लिए बधाई दी। कार्यक्रम में याडलापल्ली वेंकटेश्वर राव, रायतु नेस्थम, एलवी सुब्रमण्यम, आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव जीएन राव आईएएस (सेवानिवृत्त), मालाकोंडैया आईपीएस (सेवानिवृत्त) डॉ गोपीचंद स्टार अस्पताल, डॉ टी सत्यनारायण सचिव इंडियन सोसाइटी ऑफ एग्रीकल्चरल मार्केटिंग भी उपस्थित थे।