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Tuesday 27 July 2021 12:01:47 PM
नई दिल्ली। टोक्यो ओलंपिक में भारत की प्रथम पदक विजेता साइखोम मीराबाई चानू और उनके कोच विजय शर्मा का स्वदेश लौटने पर अभूतपूर्व तरीके से स्वागत किया गया। केंद्रीय युवा मामले और खेलमंत्री अनुराग सिंह ठाकुर, केंद्रीय कानून और न्यायमंत्री किरेन रिजिजू, केंद्रीय संस्कृति, पर्यटन एवं पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास मंत्री जी किशन रेड्डी और केंद्रीय बंदरगाह, जहाजरानी, जलमार्ग और आयुष मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने दिल्ली में एक समारोह में साइखोम मीराबाई चानू का एक नायक की तरह स्वागत और सम्मान किया। यह पहलीबार है, जब मीराबाई चानू ने महिलाओं की 49 किलोग्राम भार वर्ग की भारोत्तोलन स्पर्धा में रजत पदक जीता है। गौरतलब है कि मीराबाई चानू 1 मई को संयुक्तराज्य अमेरिका के प्रसिद्ध चिकित्सक, शक्ति और कंडीशनिंग कोच डॉ आरोन होर्चिग के साथ प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद हवाई जहाज से भारत आई थी। कोविड-19 रोगियों की संख्या में वृद्धि के कारण कुछ दिनों के भीतर भारत से आनेवाले लोगों के लिए संयुक्तराज्य अमेरिका में यात्रा प्रतिबंध के कारण भारत सरकार ने मीराबाई चानू के लिए बहुत ही कम समय के नोटिस पर विमान से यात्रा करने की व्यवस्था की थी।
जीत से उत्साहित साइखोम मीराबाई चानू ने कहा है कि यह उनके लिए एक सपने के सच होने जैसा है, वे इस पल केलिए कई वर्ष से प्रशिक्षण ले रही थीं। उन्होंने कहा कि उन्हें खुशी है कि यह सब उनके लिए सबसे बड़े खेल आयोजन ओलंपिक में संभव हो पाया। मीराबाई चानू ने सरकार से मिले सहयोग केलिए धन्यवाद दिया और कहा कि सरकार की हर प्रकार की मदद के लिए वे आभारी हैं, जिसके बिना ओलंपिक पदक की यह यात्रा संभव नहीं होती। उन्होंने खासतौर से दो यात्राओं पिछले साल और हाल की संयुक्तराज्य अमेरिका यात्रा केलिए मिले सहयोग केलिए सरकार के प्रति आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि मेरे कंधे से संबंधित समस्याओं को दूर करने में पिछले साल की अमेरिका की यात्रा ने इस पदक को जीतने में अहम भूमिका निभाई है। उन्होंने खासतौर से कहा कि ओलंपिक पोडियम योजना ने मेरे करियर को नई ऊंचाइयों पर ले जाने और पदक की संभावनाओं को बढ़ाने में विशेष तौरपर मदद की है। खेलमंत्री ने कहा कि मीराबाई चानू की जीत 130 करोड़ भारतीयों की जीत है, जो टोक्यो में पदक समारोह में भारत का झंडा फहराने और राष्ट्रगान के बजने पर गर्व महसूस कर रहे थे।
खेलमंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने कहा कि ओलंपिक इतिहास में यह पहला अवसर है, जब किसी भारतीय ने पहले ही दिन पदक जीता है, यह सफलता दिखाती है कि कैसे टीओपीएस कार्यक्रम ने हमारे खिलाड़ियों के विकास एवं भारत की पदक उम्मीदों को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। अनुराग सिंह ठाकुर ने कहा कि मोदी सरकार खेल प्रतिभाओं को प्रशिक्षित करने का काम करना जारी रखेगी और उन्हें उच्चतम स्तर पर उत्कृष्टता प्राप्त करने केलिए हर सुविधा प्रदान करेगी। उन्होंने कहा कि मीराबाई चानू के प्रदर्शन ने पूरे देश को आकांक्षाओं से भर दिया है, वे पूर्वोत्तर से और भी अधिक खिलाड़ियों की पीढ़ी को प्रेरित करेंगी। विधि और न्याय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि टोक्यो रवाना होने से पहले जब हमने बात की, तो मीराबाई चानू ने वादा किया था कि वह देश केलिए पदक लाएंगी और वे अपने शब्दों पर खरी उतरीं, उन्होंने अपना वादा पूरा किया। किरेन रिजिजू ने कहा कि प्रत्येक भारतीय की तरह मैं भी इस प्रतिष्ठित उपलब्धि से बहुत उत्साहित और गौरवांवित महसूस कर रहा हूं, वे भारत में जो गौरव और सम्मान लाई हैं, वह वर्षों की दृढ़ता, समर्पण और अत्यधिक मेहनत का परिणाम है और वे उस हर प्रशंसा की पात्र हैं, जो उनपर बरस रही हैं।
केंद्रीय मंत्री किशन रेड्डी ने कहा कि ये देखते हुए मेरा दिल गर्व से भर जाता है कि हमारी बेटियां मां भारती को गौरवांवित कर रही हैं, गले में रजत पदक पहने उस आसन पर खड़ी मीराबाई चानू ने हर भारतीय का दिल जीत लिया है। उन्होंने कहा कि सफलता की ओर उनकी ये यात्रा न केवल खेल समुदाय केलिए बल्कि हरेक उस युवा केलिए प्रेरणा है, जिसके कुछ सपने और लक्ष्य हैं। किशन रेड्डी ने कहा कि मैं इस अवसर पर पूर्वोत्तर राज्यों में खेल और फिटनेस गतिविधियों के प्रति अपना उत्साह दर्ज करना चाहूंगा और मुझे खुशी है कि ये सक्रिय खेल संस्कृति भारत को गौरवांवित कर रही है। केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने मीराबाई को उनकी उपलब्धि पर बधाई दी और कहा कि उन्होंने पूरे देश को प्रेरित किया है और हम सभी को उनपर गर्व है। खेल राज्यमंत्री निसिथ प्रमाणिक ने कहा कि ये पदक मीराबाई चानू की वर्षों की कड़ी मेहनत और तैयारी का परिणाम है, ये 135 करोड़ भारतीयों केलिए गर्व की बात है, क्योंकि उन्होंने उनको उस बड़े मंच पर वो भार उठाते हुए और पदक जीतते देखा है। उन्होंने कहा कि ये मीराबाई चानू की शानदार यात्रा में जुड़ा एक सुनहरा अध्याय है और यकीन है कि वे यहीं नहीं रुकेंगी।