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Wednesday 28 July 2021 04:02:07 PM
जैसलमेर। राजस्थान के रेगिस्तानी इलाकों में हरित क्षेत्र विकसित करने केलिए अपनी तरह के प्राथमिक प्रयासों में खादी और ग्रामोद्योग आयोग ने सीमा सुरक्षा बल के सहयोग से जैसलमेर के तनोट गांव में बांस के 1000 पौधे लगाए। केवीआईसी के अध्यक्ष विनय कुमार सक्सेना ने बीएसएफ के विशेष महानिदेशक (पश्चिमी कमान) सुरेंद्र पंवार की उपस्थिति में वृक्षारोपण कार्यक्रम का शुभारंभ किया। केवीआईसी के प्रोजेक्ट बोल्ड यानी सूखे क्षेत्र वाली भूमि पर बांस आधारित हरित क्षेत्र के हिस्से के रूपमें बांस रोपण का उद्देश्य मरुस्थलीकरण को कम करने और स्थानीय आबादी को आजीविका उपलब्ध कराने तथा बहुविषयक ग्रामीण उद्योग सहायता प्रदान करने के संयुक्त राष्ट्रीय लक्ष्यों की पूर्ति करना है।
भारत-पाकिस्तान सीमा पर लोंगेवाला पोस्ट के पास प्रसिद्ध तनोट माता मंदिर के पास 2.50 लाख वर्ग फुट से अधिक ग्राम पंचायत भूमि में बांस के पौधे लगाए गए हैं। जैसलमेर शहर से लगभग 120 किलोमीटर दूर तनोट राजस्थान में सबसे अधिक देखे जानेवाले पर्यटन स्थलों में से एक बन चुका है। केवीआईसी ने पर्यटकों के आकर्षण के रूपमें तनोट में बांस आधारित हरित क्षेत्र को विकसित करने की योजना बनाई है, इन बांस के पेड़ों के रख-रखाव की जिम्मेदारी बीएसएफ की होगी। प्रोजेक्ट बोल्ड 4 जुलाई को राजस्थान के उदयपुर जिले के एक आदिवासी गांव निचला मंडवा से शुरु किया गया था, जिसके तहत 25 बीघा शुष्क भूमि पर विशेष बांस प्रजातियों के 5000 पौधों का रोपण किया गया था। यह पहल भूमि क्षरण को कम करने और देश में मरुस्थलीकरण को रोकने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान के अनुरूप है। देश की आज़ादी के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में आजादी का अमृत महोत्सव मनाने के लिए केवीआईसी के खादी बांस महोत्सव के हिस्से के रूपमें यह पहल शुरु की गई है।
खादी और ग्रामोद्योग आयोग के अध्यक्ष ने इस अवसर पर कहा कि जैसलमेर के रेगिस्तान में बांस पौधों का रोपण कई उद्देश्यों की पूर्ति करेगा, जिनमें मरुस्थलीकरण को रोकना, पर्यावरण संरक्षण तथा ग्रामीण और बांस आधारित उद्योगों को बढ़ावा देकर विकास का स्थायी मॉडल स्थापित करना शामिल है। उन्होंने कहा कि अगले तीन वर्ष में ये बांस कटाई केलिए तैयार हो जाएंगे। विनय कुमार सक्सेना ने कहा कि इस पहल से एक ओर जहां स्थानीय ग्रामीणों केलिए बार-बार होने वाली आय के अवसर उत्पन्न होंगे, वहीं लोंगेवाला पोस्ट और तनोट माता मंदिर जैसे एक जाने-माने पर्यटन स्थल पर आनेवाले पर्यटकों की बड़ी संख्या को देखते हुए केवीआईसी इस स्थान पर बांस आधारित हरित क्षेत्र विकसित करेगा। उन्होंने बहुत कम समय में परियोजना को लागू करने में बीएसएफ के समर्थन की सराहना की।
बांस का उपयोग अगरबत्ती की स्टिक बनाने, फर्नीचर, हस्तशिल्प, संगीत वाद्ययंत्र और कागज की लुगदी बनाने केलिए किया जा सकता है, जबकि बांस के कचरे का व्यापक रूपसे लकड़ी का कोयला और ईंधन ब्रिकेट बनाने में उपयोग किया जाता है। बांस पानी के संरक्षण केलिए भी जाने जाते हैं, इसलिए ये शुष्क और सूखे की अधिकता वाले क्षेत्रों में बहुत उपयोगी होते हैं। अगले 3 वर्ष में ये 1000 बांस के पौधे कई गुना बढ़ जाएंगे और लगभग 100 मीट्रिक टन बांस के वजन वाले कम से कम 4,000 बांस के लट्ठों का उत्पादन करेंगे। मौजूदा 5000 रुपये प्रति टन की बाजार दर पर यह बांस की उपज तीन साल पश्चात और इसके बाद में हर साल लगभग 5 लाख रुपये की आजीविका उत्पन्न करेगी, इस प्रकार से स्थानीय अर्थव्यवस्था को इससे काफी बढ़ावा मिलेगा।