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Friday 30 July 2021 01:33:07 PM
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के तहत सुधारों का एक वर्ष पूरा होने पर वीडियो कॉंफ्रेंसिंग के जरिए शिक्षा एवं कौशल विकास के क्षेत्र से जुड़े नीति निर्माताओं, देशभर के विद्यार्थियों और शिक्षकों को संबोधित किया। उन्होंने शिक्षा क्षेत्र में कई पहलों का भी शुभारंभ किया। प्रधानमंत्री ने कोविड संकटकाल में भी नई शिक्षा नीति के क्रियांवयन केलिए शिक्षकों, प्रोफेसरों, नीति निर्माताओं की कड़ी मेहनत की सराहना की। प्रधानमंत्री ने इस वर्ष आजादी का अमृत महोत्सव के विशेष महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि नई शिक्षा नीति इस महत्वपूर्ण दौर में अहम भूमिका निभाएगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि भविष्य में हम कितना आगे जाएंगे, कितनी ऊंचाई प्राप्त करेंगे, यह इस बात पर निर्भर करेगा कि हम अपने युवाओं को वर्तमान में यानी आज कैसी शिक्षा दे रहे हैं, कैसी दिशा दे रहे हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि नई शिक्षा नीति का राष्ट्र निर्माण के महायज्ञ में अहम योगदान है। प्रधानमंत्री ने महामारी की वजह से आए बदलावों को रेखांकित करते हुए कहा कि छात्रों के लिए ऑनलाइन शिक्षण ही अब सामान्य शिक्षण का रूप ले चुका है, दीक्षा एवं स्वयं जैसे पोर्टल पर 2300 करोड़ से ज्यादा हिट्स इस तथ्य के स्पष्ट प्रमाण हैं। प्रधानमंत्री ने छोटे शहरों के युवाओं की उपलब्धियों की सराहना की, उन्होंने इन शहरों के युवाओं का टोक्यो ओलंपिक में प्रदर्शन का उदाहरण दिया। उन्होंने रोबोटिक्स, एआई, स्टार्टअप और उद्योग 4.0 जैसे क्षेत्रों में उनके नेतृत्व की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि यदि युवा पीढ़ी को अपने सपने पूरे करने केलिए उचित वातावरण मिलता है तो उनके आगे बढ़ने की कोई सीमा नहीं होगी। उन्होंने कहा कि आज का युवा अपनी शर्तों पर अपनी व्यवस्था व दुनिया बनाना चाहता है, वे बंधनों और प्रतिबंधों से स्वतंत्र होकर खुले वातावरण में जीना चाहते हैं तथा नई शिक्षा नीति हमारे युवाओं को आश्वस्त करती है कि देश पूरी तरह से उनके और उनके हौसलों के साथ हैं।
प्रधानमंत्री ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता कार्यक्रम का शुभारंभ किया, जो छात्रों को भविष्य की जरूरतों के अनुरूप तैयार करेगा और एआई आधारित अर्थव्यवस्था केलिए मार्ग प्रशस्त करेगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि इसी तरह पूरे देश की डिजिटल और तकनीकी रूपरेखा उपलब्ध कराने में राष्ट्रीय डिजिटल शिक्षण संरचना और राष्ट्रीय शैक्षिक प्रौद्योगिकी फोरम महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। प्रधानमंत्री ने नई शिक्षा नीति में मौजूद खुलेपन और उसमें किसी तरह के दबाव की गैर-मौजूदगी का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि इसमें नीति के स्तर पर एक खुलापन है और छात्रों केलिए उपलब्ध विकल्पों में भी खुलापन दिखता है, एक से ज्यादा एंट्री और एग्ज़िट जैसे विकल्प छात्रों को एक कक्षा और एक पाठ्यक्रम में रहने के बंधन से आज़ाद करेंगे, इसी तरह आधुनिक तकनीक आधारित क्रेडिट सिस्टम का एकेडमिक बैंक एक क्रांतिकारी बदलाव लेकर आएगा। उन्होंने कहा कि इससे छात्रों में अपने स्ट्रीम और विषयों का चुनाव करने को लेकर आत्मविश्वास आएगा, लर्निंग लेवल के विश्लेषण केलिए स्ट्रक्चर्ड असेसमेंट परीक्षा का डर दूर करेगा। प्रधानमंत्री ने दोहराया कि इन नए कार्यक्रमों में भारत का भाग्य बदलने की क्षमता है।
महात्मा गांधी को उद्धरित करते हुए प्रधानमंत्री ने स्थानीय भाषाओं के महत्व पर जोर दिया। प्रधानमंत्री ने बताया कि देश के 8 राज्यों के 14 इंजीनियरिंग कॉलेज हिंदी, तमिल, तेलुगू, मराठी और बांग्ला इन 5 भारतीय भाषाओं में शिक्षा देना शुरू कर रहे हैं, इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम का 11 भाषाओं में अनुवाद करने के लिए एक टूल विकसित किया गया है। उन्होंने कहा कि शिक्षा के माध्यम के रूपमें मातृभाषा पर जोर देने से गरीब, ग्रामीण और आदिवासी पृष्ठभूमि के छात्रों में आत्मविश्वास पैदा होगा, यहां तककि प्राथमिक शिक्षा में भी मातृभाषा को बढ़ावा दिया जा रहा है और 'विद्या प्रवेश कार्यक्रम' उसमें बड़ी भूमिका निभाएगा। उन्होंने ये भी बताया कि भारतीय सांकेतिक भाषा को पहलीबार भाषा विषय का दर्जा दिया गया है, छात्र इसे भाषा के रूपमें भी पढ़ सकेंगे। उन्होंने कहा कि 3 लाख से ज्यादा छात्र ऐसे हैं, जिन्हें अपनी शिक्षा केलिए सांकेतिक भाषा की जरूरत है। प्रधानमंत्री ने कहा कि इससे भारतीय सांकेतिक भाषा को बढ़ावा मिलेगा और दिव्यांगजनों को मदद मिलेगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि नई शिक्षा नीति के निर्माण चरण से लेकर उसके क्रियांवयन तक में शिक्षकों की सक्रिय भूमिका है, निष्ठा 2.0 शिक्षकों को उनकी जरूरत के अनुसार प्रशिक्षण देगा और शिक्षक भी अपने सुझाव विभाग को दे सकेंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अकादमिक बैंक ऑफ क्रेडिट का शुभारंभ किया, जिसके जरिए छात्रों को उच्चशिक्षा में प्रवेश लेने और उससे बाहर निकलने के कई सारे विकल्प मिलेंगे। उन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई को पहले साल क्षेत्रीय भाषाओं में कराए जाने और उच्च शिक्षा को अंतर्राष्ट्रीय स्तर का करने के लिए दिशानिर्देश जारी किए। उन्होंने विद्या प्रवेश नाम से एक और पहल लॉंच की, जिसके तहत ग्रेड-1 के बच्चों के लिए तीन महीने का प्ले स्कूल आधारित शैक्षणिक मॉड्यूल बनाया गया है, इसी तरह माध्यमिक स्तर पर एक विषय के रूपमें भारतीय सांकेतिक भाषा की शिक्षा और शिक्षकों के प्रशिक्षण के लिए एनसीईआरटी का डिजाइन किया गया एकीकृत प्रशिक्षण कार्यक्रम निष्ठा 2.0, स्ट्रक्चर्ड एसेसमेंट फॉर एनलाइजिंग लर्निंग लेवल, सीबीएसई स्कूल के ग्रेड-3, ग्रेड-5 और ग्रेड-8 के बच्चों के लिए योग्यता आधारित मूल्यांकन का फ्रेमवर्क है। आर्टिफिसियल इंटेलीजेंस पर एक समर्पित वेबसाइट भी है। कार्यक्रम के दौरान राष्ट्रीय डिजिटल शिक्षण संरचना और राष्ट्रीय शैक्षिक प्रौद्योगिकी फोरम का शुभारंभ भी हुआ।