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'बाघ संरक्षण वन संरक्षण का प्रतीक है'

भारत के 14 बाघ अभयारण्यों को मिली सीए-टीएस मान्यता

बाघ के संरक्षण से पूरे इकोसिस्टम का संरक्षण होता है-वन मंत्री

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Friday 30 July 2021 01:39:27 PM

tiger standards international executive committee has given accreditation to 14 tiger reserves in india

नई दिल्ली। पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा है कि बाघ संरक्षण वन संरक्षण का प्रतीक है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का दृष्टिकोण लोगों की भागीदारी के साथ वैज्ञानिक और पारंपरिक ज्ञान को एकीकृत करके समावेशी बनाने वाला है, जोकि देश की वनस्पतियों और जीवों के संरक्षण केलिए महत्वपूर्ण है। भूपेंद्र यादव वैश्विक बाघ दिवस पर एक वर्चुअल कार्यक्रम में तेंदुओं, सह-परभक्षियों और शाकभक्षियों की स्थिति-2018 शीर्षक रिपोर्ट भी जारी की। उन्होंने कहा कि यह रिपोर्ट इस तथ्य का प्रमाण है कि बाघों के संरक्षण से पूरे इकोसिस्टम का संरक्षण होता है। गौरतलब है कि वर्ष 2018 में बाघों की संख्या के अखिल भारतीय आकलन के दौरान देश के बाघों वाले राज्यों में वनाच्छादित प्राकृतिक वासों के भीतर तेंदुओं की आबादी का भी अनुमान लगाया गया था।
वर्ष 2018 में भारत के बाघों के विचरण वाले इलाकों में तेंदुओं की कुल आबादी 12,852 (एसई रेंज 12,172-13,535) थी। यह 2014 की तुलना में एक उल्लेखनीय वृद्धि है, जोकि देश के बाघों वाले 18 राज्यों के वनाच्छादित प्राकृतिक वासों में 7,910 (एसई 6,566-9,181) थी। कार्यक्रम में भारत के उन 14 बाघ अभयारण्यों के बारे में चर्चा की गई, जिन्हें ग्लोबल कंजर्वेशन एश्योर्ड टाइगर स्टैंडर्ड्स की मान्यता मिली है। जिन 14 बाघ अभयारण्यों को मान्यता दी गई है, उनमें असम के मानस, काजीरंगा और ओरंग, मध्य प्रदेश के सतपुड़ा, कान्हा और पन्ना, महाराष्ट्र के पेंच, बिहार में वाल्मीकि टाइगर रिज़र्व, उत्तर प्रदेश के दुधवा, पश्चिम बंगाल के सुंदरबन, केरल में परम्बिकुलम, कर्नाटक के बांदीपुर टाइगर रिजर्व और तमिलनाडु के मुदुमलई और अनामलई टाइगर रिजर्व शामिल हैं। कंजर्वेशन एश्योर्ड टाइगर स्टैंडर्ड्स को टाइगर रेंज कंट्रीज के वैश्विक गठबंधन द्वारा मान्यता संबंधी उपकरण के रूपमें स्वीकार किया गया है और इसे बाघों एवं संरक्षित क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञों ने विकसित किया है।
आधिकारिक तौरपर 2013 में लॉंच किया गया यह मानक लक्षित प्रजातियों के प्रभावी प्रबंधन केलिए न्यूनतम मानक निर्धारित करता है और प्रासंगिक संरक्षित क्षेत्रों में इन मानकों के मूल्यांकन को प्रोत्साहित करता है। सीए-टीएस विभिन्न मानदंडों का एक सेट है, जो बाघ से जुड़े स्थलों को इस बात को जांचने का मौका देता है कि क्या उनके प्रबंधन से बाघों का सफल संरक्षण संभव होगा। कार्यक्रम में पर्यावरण राज्यमंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने भी भाग लिया। उन्होंने प्रकृति और जीवन के सभी रूपों के साथ सामंजस्य बिठाने की सदियों पुरानी परंपरा पर जोर दिया और कहा कि एक शीर्ष शिकारी के रूपमें बाघ स्वस्थ इकोसिस्टम को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उन्होंने सभी से बाघों एवं उनके प्राकृतिक आवासों को बचाने केलिए साथ आने का आह्वान किया। राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण ने बाघों और जंगलों की सुरक्षा में लगे अग्रिम पंक्ति के कुछ वन्यकर्मियों के उत्कृष्ट योगदान को मान्यता देने के लिए उन्हें 'बाघरक्षक' के रूपमें सम्मानित किया।
पर्यावरण मंत्री ने कहा कि वनों से जुड़े हमारे बल घातक कोविड-19 महामारी के दौरान भी जंगलों और वन्यजीवों की रक्षा करने केलिए दिन-रात मेहनत करते रहे। उन्होंने अग्रिम पंक्ति के सभी वन कर्मचारियों को हमारी प्राकृतिक विरासत की रक्षा में जुटे रहने की उनकी भावना केलिए बधाई दी। भारत सरकार ने लॉकडाउन के दौरान वन और वन्यजीव संरक्षण को 'आवश्यक सेवाओं' के रूपमें वर्गीकृत करने केलिए एक सक्रिय कदम उठाया। देश के वनों से जुड़े बल कोविड-19 महामारी के दौरान भी जंगलों और वन्यजीवों की रक्षा में दिन-रात मेहनत करते रहे। कार्यक्रम में पर्यावरण सचिव आरपी गुप्ता और एनटीसीए के वरिष्ठ अधिकारियों ने वैश्विक बाघ दिवस के उपलक्ष्य में राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण की त्रैमासिक पत्रिका 'स्ट्रिप्स' के एक विशेष संस्करण का विमोचन किया।

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