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Tuesday 10 August 2021 05:19:35 PM
महोबा/ नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज वीडियो कॉंफ्रेंसिंग के जरिए महोबा जिले में प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के दूसरे चरण का शुभारंभ किया। प्रधानमंत्री ने उज्ज्वला लाभार्थियों से बातचीत की और उनसे उनके अनुभवों को भी जाना। प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर कहा कि उज्ज्वला योजना ने देश के जितने लोगों खासतौर पर महिलाओं का जीवन रोशन किया है, वह अभूतपूर्व है। उन्होंने कहा कि योजना के पहले चरण में 8 करोड़ गरीब, दलित, वंचित, पिछड़े, आदिवासी परिवारों को मुफ्त गैस कनेक्शन दिया गया, इसका कितना लाभ हुआ है, ये हमने कोरोनाकाल में देखा है, जब बाहर आना-जाना बंद था, काम-धंधे बंद थे, तब गरीब परिवारों को कई महीनों तक मुफ्त गैस सिलेंडर दिए गए। उन्होंने कहा कि यह योजना 2016 में बलिया से शुरु हुई थी और आज इसका दूसरा संस्करण भी यूपी की वीरभूमि महोबा से शुरु हो रहा है। नरेंद्र मोदी ने कहा कि महोबा हो, बुंदेलखंड ये तो देश की आज़ादी की एक प्रकार से ऊर्जा स्थली रही हैं, यहां के कण-कण में रानी लक्ष्मीबाई, रानी दुर्गावती, महाराजा छत्रसाल, वीर आल्हा और ऊदल जैसे अनेक वीर-वीरांगनाओं की शौर्यगाथाओं की सुगंध है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आज जब भारत अपनी आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है तो यह आयोजन इन महान व्यक्तित्वों को स्मरण करने का भी अवसर लेकर आया है। प्रधानमंत्री ने बुंदेलखंड की एक और महान संतान मेजर ध्यान चंद को याद किया और कहा कि देश के सर्वोच्च खेल सम्मान का नाम अब मेजर ध्यानचंद खेलरत्न हो गया है। उन्होंने कहा कि उन्हें विश्वास है कि ओलंपिक में खिलाड़ियों के अभूतपूर्व प्रदर्शन के बीच खेलरत्न के साथ जुड़ा दद्दा ध्यानचंद का नाम लाखों-करोड़ों युवाओं को प्रेरित करेगा। उन्होंने कहा कि इस बार हमने देखा है कि हमारे खिलाड़ियों ने मेडल तो जीते ही हैं, अऩेक खेलों में दमदार प्रदर्शन करके भविष्य का संकेत भी दे दिया है। नरेंद्र मोदी ने कहा कि हम आज़ादी के 75वें वर्ष में प्रवेश करने वाले हैं, ऐसे में बीते साढ़े 7 दशक की प्रगति को हम देखते हैं तो हमें लगता है कि कुछ स्थितियां, कुछ हालात ऐसे हैं, जिनको कई दशक पहले बदला जा सकता था, घर, बिजली, पानी, शौचालय, गैस, सड़क, अस्पताल, स्कूल, ऐसी अनेक मूल आवश्यकताएं हैं, जिनकी पूर्ति केलिए दशकों का इंतज़ार देशवासियों को करना पड़ा।
प्रधानमंत्री ने प्रश्न किया कि ऐसी स्थितियों के साथ क्या हम आज़ादी के 100वें वर्ष की तरफ बढ़ सकते हैं? क्या हमारी ऊर्जा सिर्फ मूलभूत ज़रूरतों को पूरा करने में ही लगी रहेगी? जब बेसिक सुविधाओं केलिए ही कोई परिवार, कोई समाज संघर्ष करता रहेगा तो वो अपने सपनों को पूरा कैसे कर सकता है? प्रधानमंत्री ने कहा कि वर्ष 2014 में जब देश ने उन्हें सेवा का अवसर दिया तो ऐसे ही सवालों को उन्होंने खुद से पूछा, तब एकदम स्पष्ट था कि इन सारी समस्याओं का समाधान हमें एक तय समय के भीतर ही खोजना होगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि देशभर में एलपीजी गैस से जुड़े इंफ्रास्ट्रक्चर का कई गुना विस्तार हुआ है, बीते 6-7 साल में देशभर में 11 हज़ार से अधिक नए एलपीजी वितरण केंद्र खोले गए हैं, अकेले उत्तर प्रदेश में 2014 में 2 हज़ार से भी कम वितरण केंद्र थे, आज इनकी संख्या 4 हजार से ज्यादा हो चुकी है, इससे हज़ारों युवाओं को नए रोज़गार मिले और दूसरा जो परिवार पहले बेहतर सुविधा के अभाव में गैस कनेक्शन से वंचित थे, वो भी जुड़ गए हैं। उन्होंने कहा कि 2014 तक देश में जितने गैस कनेक्शन थे, उससे अधिक बीते 7 साल में दिए गए हैं, सिलेंडर बुकिंग और डिलिवरी को लेकर पहले जो परेशानी आती थी, उसे भी दूर करने का प्रयास किया जा रहा है।
नरेंद्र मोदी ने उज्ज्वला योजना में एक और सहूलियत जोड़ दी है, जिसमें बुंदेलखंड सहित यूपी और दूसरे राज्यों में काम करने केलिए गांव से शहर जाते हैं, लेकिन वहां उनके सामने एड्रेस के प्रमाण की समस्या आती है, ऐसे लाखों परिवारों को उज्ज्वला के दूसरे चरण में सबसे अधिक राहत दी गई है, अब उनको एड्रेस के प्रमाण केलिए इधर-उधर भटकने की ज़रूरत नहीं है, उनको अपने पते का सिर्फ एक सेल्फ डेक्लेरशन यानी खुद लिखकर देना है और उनको गैस कनेक्शन मिल जाएगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार का प्रयास अब इस दिशा में भी है कि रसोई में पानी की तरह गैस भी पाइप से आए, ये पीएनजी सिलेंडर के मुकाबले बहुत सस्ती भी होती है। नरेंद्र मोदी ने कहा कि उत्तर प्रदेश सहित पूर्वी भारत के अनेक जिलों में पीएनजी कनेक्शन देने का काम तेज़ी से चल रहा है, पहले चरण में यूपी के 50 से ज्यादा जिलों में लगभग 21 लाख घरों को इससे जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है, इसी प्रकार सीएनजी आधारित यातायात केलिए बड़े स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं। प्रधानमंत्री ने विश्व बायोफ्यूल दिवस पर अपने लक्ष्यों को याद किया और कहा कि बायोफ्यूल एक स्वच्छ ईंधन मात्र नहीं है, बल्कि ये ईंधन में आत्मनिर्भरता, देश और गांव के विकास ईंजन को गति देने का भी एक माध्यम है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि बायोफ्यूल एक ऐसी ऊर्जा है, जो हम घर और खेत के कचरे, पौधों, खराब सड़े हुए अनाज से प्राप्त कर सकते हैं, ऐसे ही एक बायोफ्यूल इथेनॉल पर देश बहुत बड़े लक्ष्यों के साथ काम कर रहा है, बीते 6-7 साल में हम पेट्रोल में 10 प्रतिशत ब्लेंडिंग के लक्ष्य के बहुत निकट पहुंच चुके हैं, आनेवाले 4-5 साल में हम 20 प्रतिशत ब्लेंडिंग के लक्ष्य को हासिल करने की तरफ बढ़ रहे हैं, लक्ष्य देश में ऐसी गाड़ियों के निर्माण का भी है, जो शत-प्रतिशत इथेनॉल से ही चलेंगी। उन्होंने कहा कि इथेनॉल से आना-जाना भी सस्ता होगा, पर्यावरण भी सुरक्षित रहेगा, लेकिन सबसे बड़ा लाभ हमारे किसानों और नौजवानों को होगा, इसमें भी विशेष रूपसे यूपी के किसानों-नौजवानों को बहुत लाभ होगा। उन्होंने बताया कि गन्ने से जब इथेनॉल बनाने का विकल्प मिलेगा तो गन्ना किसानों को पैसा भी ज्यादा मिलेगा। उन्होंने बताया कि पिछले साल ही यूपी में इथेनॉल उत्पादकों से 7 हज़ार करोड़ रुपए का इथेनॉल खरीदा गया है, बीते साल इथेनॉल से जुड़ी बायोफ्यूल से जुड़ी अनेक ईकाइयां यूपी में बनाई गई हैं, गन्ने के अवशेष से कंप्रेस्ड बायोगैस बनाने के लिए यूपी के 70 जिलों में सीबीजी प्लांट्स बनाने की प्रक्रिया चल रही है, अबतो कृषि अवशेष, पराली से बायोफ्यूल बनाने केलिए 3 बड़े कॉम्पलेक्स बनाए जा रहे हैं, इनमें से 2 यूपी के बदायूं, गोरखपुर और एक पंजाब के भटिंडा में बनाया जा रहा है, इन प्रोजेक्ट्स से किसानों को कचरे का भी दाम मिलेगा, हज़ारों युवाओं को रोज़गार मिलेगा और पर्यावरण की रक्षा भी होगी।