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Thursday 12 August 2021 11:59:53 AM
नई दिल्ली। भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) की वार्षिक बैठक में उद्योग जगत के प्रतिनिधियों ने विभिन्न क्षेत्रों में सुधारों के प्रति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रतिबद्धता की सराहना की, जो 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के लक्ष्य को प्राप्त करने केलिए आवश्यक हैं। बैठक में उद्योग जगत के प्रतिनिधियों ने कई इनपुट और सुझाव दिए, जिनमें प्रमुख हैं-ढांचागत चुनौतियों को दूर करना, विनिर्माण क्षमता बढ़ाना, वित्तीय क्षेत्र को और अधिक जीवंत बनाना, प्रौद्योगिकी क्षेत्र में अग्रणी स्थिति प्राप्त करने केलिए देश के तकनीकी कौशल को बढ़ावा देना आदि। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कॉंफ्रेंसिंग के माध्यम से बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि सीआईआई की यह बैठक इस बार 75वें स्वतंत्रता दिवस पर ‘आजादी के अमृत महोत्सव’ के बीच हो रही है। उन्होंने कहा कि भारतीय उद्योग जगत के नए संकल्पों और नए लक्ष्यों केलिए यह बहुत बड़ा अवसर है। प्रधानमंत्री ने कहा कि आज देश में एक ऐसी सरकार है, जो देश के हित में बड़े से बड़ा जोखिम उठाने को तैयार है। उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भर भारत अभियान की सफलता का बहुत बड़ा दायित्व भारतीय उद्योगों पर है। प्रधानमंत्री ने कोरोना महामारी के दौरान उद्योग जगत की सुदृढ़ता केलिए उसकी सराहना की।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उद्योग जगत से भारत के विकास और उत्कृष्ट क्षमताओं केलिए देश में लंबे समय से कायम भरोसे के माहौल से पूरी तरह लाभांवित होने को कहा। प्रधानमंत्री ने कहा कि नया भारत नई दुनिया के साथ चलने केलिए तैयार और तत्पर है, जो भारत कभी विदेशी निवेश से आशंकित था, आज वह हर प्रकार के निवेश का स्वागत कर रहा है। उन्होंने कहा कि इसी तरह देश में जहां एक समय निवेशकों के मन में निराशा पैदा करने केलिए इस्तेमाल की जाने वाली कर नीतियां थीं, वहीं भारत आज अपने यहां दुनिया का सर्वाधिक प्रतिस्पर्धी कॉरपोरेट टैक्स और फेसलेस कर प्रणाली होने का दावा करता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि अतीत की लालफीताशाही अब ‘कारोबार में सुगमता सूचकांक’ में भारत के अनेक पायदान ऊपर चढ़ जाने के रूपमें बदल गई है, इसी तरह अनेक श्रम कानूनों के जाल को अब 4 श्रम संहिताओं के रूपमें युक्तिसंगत बना दिया गया है, कृषि जिसे केवल आजीविका का साधन माना जाता था को सुधारों से बाजारों से जोड़ा जा रहा है, इसके परिणामस्वरूप भारत में रिकॉर्ड एफडीआई और एफपीआई हो रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि विदेशी मुद्रा भंडार भी सर्वकालिक उच्चतम स्तर पर है। बैठक का विषय था-'भारत@75: आत्मनिर्भर भारत केलिए सरकार और व्यापार जगत का साथ मिलकर आगे बढ़ना'।
नरेंद्र मोदी ने कहा कि एक समय था जब हमें लगता था कि जो कुछ भी विदेशी है, वही बेहतर है, इस मानसिकता का परिणाम क्या हुआ, ये आप जैसे उद्योग के दिग्गज भलीभांति समझते हैं, स्थिति इतनी खराब थी कि हमारे अपने ब्रांड भी, जो हमने सालों की मेहनत के बाद खड़े किए थे, उनको विदेशी नामों से ही प्रचारित किया जाता था। प्रधानमंत्री ने कहा कि आज स्थिति तेजी से बदल रही है, देशवासियों की भावना भारत में बने उत्पादों के साथ है। उन्होंने कहा कि कंपनी भारतीय हो, यह जरूरी नहीं, लेकिन आज हर भारतीय, भारत में बने उत्पादों को ही अपनाना चाहता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि आज जब भारतीय युवा मैदान में उतरते हैं तो उनके मन में वह हिचक नहीं होती, वे कड़ी मेहनत करना, जोखिम उठाना और परिणाम लाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि युवा महसूस कर रहे हैं कि वह जहां पर हैं, वह उसके हकदार हैं, ऐसा ही आत्मविश्वास आज भारत के स्टार्टअप में है। प्रधानमंत्री ने कहा कि छह-सात साल पहले भारत में तीन-चार यूनिकॉर्न ही थे, लेकिन आज उनकी संख्या 60 है, इनमें से 21 यूनिकॉर्न तो बीते कुछ महीने में ही बने हैं। गौरतलब है कि ये यूनिकॉर्न अलग-अलग क्षेत्र में आ रहे हैं, ये यूनिकॉर्न भारत में हर स्तर पर हो रहे बदलाव को दिखाते हैं। उन्होंने कहा कि उन स्टार्टअप के लिए निवेशकों की प्रतिक्रिया जबरदस्त रही है और यह संकेत देता है कि भारत में विकास के असाधारण अवसर हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे उद्योगों पर देश के विश्वास का परिणाम यह है कि कारोबार में आसानी यानी ईज ऑफ डूइंग बिजनेस और जीवन जीने में आसानी यानी ईज ऑफ लिविंग में सुधार हो रहा है, कंपनी अधिनियम में किए गए बदलाव इसकी पुष्टि करते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार कठिन सुधार करने में सक्षम है, क्योंकि इस सरकार केलिए सरकारी सुधार मजबूरी नहीं, बल्कि दृढ़ विश्वास का विषय है। उन्होंने संसद सत्र के दौरान की गई पहलों जैसे फैक्टर विनियमन संशोधन विधेयक का उल्लेख किया, जिससे छोटे कारोबारियों को कर्ज हासिल करने में मदद मिलेगी, वहीं जमा बीमा और ऋण गारंटी निगम संशोधन विधेयक छोटे जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा करेगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार ने अतीत की गलतियों को सुधार करके पूर्वव्यापी कराधान को समाप्त कर दिया है, उद्योग जगत से मिली सराहना के आधार पर कहा जाए तो यह पहल सरकार और उद्योग के बीच विश्वास को मजबूत करेगी। उन्होंने कहा कि जीएसटी इतने सालों से अटका हुआ था, क्योंकि पिछली सरकारें राजनीतिक जोखिम लेने का साहस नहीं जुटा पाई थीं, हम न केवल जीएसटी लागू कर रहे हैं, बल्कि हम रिकॉर्ड जीएसटी संग्रह भी देख रहे हैं।