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Saturday 14 August 2021 01:04:51 PM
नई दिल्ली। पीएमओ राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने गिर, कंकरेज, साहीवाल, अंगोल आदि देशी पशुओं की नस्लों के शुद्ध किस्मों को संरक्षण प्रदान करने केलिए भारत की पहली एकल पॉलीमॉर्फिज्म आधारित चिप 'इंडिगऊ' लॉंच कर दी है। इस स्वदेशी चिप को जैव प्रौद्योगिकी विभाग के अंतर्गत एक स्वायत्त संस्था नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एनिमल बायोटेक्नोलॉजी (एनएआईबी) हैदराबाद के वैज्ञानिकों के अथक प्रयासों से विकसित किया गया है। डॉ जितेंद्र सिंह ने इस अवसर पर कहा कि यह तीन स्तर पर मनाया जानेवाला उत्सव है-भारत के गाय और मवेशियों केलिए उत्सव, भारत के वैज्ञानिकों की क्षमता का प्रदर्शन करने वाला उत्सव और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत वाले दृष्टिकोण का उत्सव है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री हमेशा ही समाज के सभी वर्गों केलिए ईज ऑफ लिविंग केलिए वैज्ञानिक ज्ञान और नवाचारों को लागू करने पर बल देते हैं।
राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि इंडिगऊ पूर्ण रूपसे स्वदेशी और दुनिया की सबसे बड़ी पशु चिप है, इसमें 11,496 मार्कर हैं, जोकि अमेरिका और ब्रिटेन की नस्लों केलिए रखे गए 777के इलुमिना चिप की तुलना में बहुत ज्यादा हैं। उन्होंने कहा कि देशी गायों केलिए तैयार की गई यह चिप आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक शानदार उदाहरण है। उन्होंने कहा कि यह चिप बेहतर पात्रों के साथ देशी नस्लों के संरक्षण के लक्ष्य की प्राप्ति करते हुए 2022 तक किसानों की आय दोगुना करने में सहयोग प्रदान करने वाली सरकारी योजनाओं में व्यावहारिक रूपसे उपयोगी साबित होगी। उन्होंने कहा कि डीबीटी और एनआईएबी जैसे विभाग भी किसानों के कल्याण और आय को बढ़ावा देनें में योगदान प्रदान कर रहे हैं। उन्होंने दो पुस्तिकाओं का भी लोकार्पण किया। डीबीटी की सचिव डॉ रेणु स्वरूप ने इंडिगऊ चिप केलिए केंद्रीय मंत्री के प्रति आभार व्यक्त किया और इस उपलब्धि के लिए एनएआईबी को बधाई भी दी। उन्होंने बताया कि डीबीटी अन्य एजेंसियों जैसे एनडीडीबी, डीएएचडीएफ, आईसीएआर आदि की मदद से इस तकनीक को इस क्षेत्र में लागू करने के प्रति बहुत जागरुक है।
फेनोटाइपिक और जेनोटिपिक सहसंबंध उत्पन्न करने में इस चिप के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए एनआईएबी ने नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड के साथ सहयोगात्मक समझौते पर हस्ताक्षर किया है। चूंकि एनडीडीबी फेनोटाइपिक रिकॉर्ड के संग्रह के क्षेत्र में अच्छे प्रकार से संगठित उपस्थिति प्रदान कर रही है, इसलिए एनआईएबी और एनडीडीबी किसी भी महत्वपूर्ण विशेषताओं का पता लगाने केलिए कम घनत्व वाले एसएनपी चिप केलिए जानकारी प्रदान करने हेतु शोध करने जा रहा है, जोकि एकदूसरे के पूरक हैं, जैसेकि उच्च दूध उपज या हीट टॉलरेंस आदि। इससे भारतीय मवेशियों की पात्र उत्पादकता वाले अभिजात वर्ग का चयन करने और उसमें सुधार करने में सहायता प्राप्त होगी। एनआईएबी ने अपने एसएनपी चिप्स को डिजाइन करने और निर्माण करने केलिए भारत के अंदर ही क्षमता विकसित करने केलिए निजी उद्योगों के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।