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Monday 23 August 2021 01:15:13 PM
जम्मू। केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान, पीएमओ, कार्मिक एवं लोक शिकायत, पेंशन और पूर्वोत्तर विकास राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा है कि जम्मू तेजी से उत्तर भारत के शिक्षा के केंद्र के रूपमें उभर रहा है और यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के व्यक्तिगत हस्तक्षेप, उदारता और उनके जम्मू-कश्मीर के साथ-साथ पूर्वोत्तर एवं लद्दाख को दी गई उच्च प्राथमिकता के चलते संभव हुआ है। राज्यमंत्री आईआईएम जम्मू के 5 वर्ष पूरे होने पर आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा कि पिछले दो वर्ष में कोविड के गंभीर प्रभाव के बावजूद आईआईएम ने बहुत ही कम समय में अपनी पहचान बनाई है। उन्होंने कहा कि आईआईएम जम्मू, जम्मू-कश्मीर में शिक्षा के क्षेत्र में मोदी सरकार की प्रमुख उपलब्धियों में से एक है और यह समाज के सभी वर्गों की सेवा कर रहा है, चाहे वह क्षेत्रवार हो या लिंगवार या दूसरे तरह से।
पूर्वोत्तर विकास राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि जम्मू एक अग्रणी शिक्षा केंद्र के रूपमें उभरा है, जहां हिमाचल प्रदेश और पंजाब जैसे पड़ोसी राज्यों के छात्र अकादमिक अवसर और संभावनाओं की तलाश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जम्मू, भारत के प्रमुख संस्थानों के अपने यहां होने को लेकर खुद की प्रशंसा कर सकता है, इनमें भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, भारतीय जनसंचार संस्थान, एम्स, उन्नत भारतीय एकीकृत चिकित्सा संस्थान, भद्रवाह स्थित राष्ट्रीय उच्च क्षेत्र चिकित्सा संस्थान, कठुआ में औद्योगिक बायोटेक पार्क और जम्मू केंद्रीय विश्वविद्यालय में उत्तर भारत का पहला अंतरिक्ष केंद्र आदि प्रमुख हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र से वित्तपोषित आधा दर्जन से अधिक सरकारी मेडिकल कॉलेज, राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान, वित्त पोषित इंजीनियरिंग कॉलेज, आयुर्वेदिक कॉलेज, आनेवाले दिनों में एक होम्योपैथिक कॉलेज और जम्मू प्रांत में केंद्रीय विद्यालयों की श्रृंखला आज एक वास्तविकता है। उन्होंने कहा कि जल्द ही जम्मू में 25,000 करोड़ रुपये का भारी औद्योगिक निवेश होगा और यह अधिकतर स्वास्थ्य क्षेत्र में होगा, इस तरह क्षेत्र के युवाओं व आईआईएम छात्रों केलिए भी बड़ी संख्या में रोज़गार के अवसर खुल रहे हैं। उन्होंने छात्रों से नवाचार स्टार्टअप उपक्रमों के माध्यम से नौकरी मांगने वाले की जगह नौकरी प्रदाता बनने का आग्रह किया।
डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि हमें सभी केलिए सरकारी नौकरी पाने की गहरी मानसिकता से बाहर आना होगा, जो विश्व में कहीं भी संभव या वांछनीय नहीं है। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि 5 अगस्त 2019 के बाद ऐतिहासिक संवैधानिक परिवर्तन हुए और अकादमिक विकास की बाधाओं को दूर किया गया, जैसाकि पहले की शंकाएं अब नई कानून व्यवस्था के अस्तित्व में आने केसाथ दूर हो गई हैं और भारत के विभिन्न क्षेत्रों के सर्वश्रेष्ठ शिक्षक समर्पण के साथ जम्मू-कश्मीर आने केलिए तैयार हैं। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि 2016 में 54 छात्रों के एक बैच से शुरू होकर आईआईएम जम्मू में आज 250 से अधिक छात्र और छह अंतर्राष्ट्रीय अनुबंधित प्रोफेसरों सहित 30 प्रख्यात शिक्षक हैं। उन्होंने जगती में 2022 तक भारत में इस तरह के सर्वश्रेष्ठ संस्थानों के समान सभी आधुनिक सुविधाओं के साथ एक उत्कृष्ट परिसर प्राप्त करने के लिए शिक्षकों और छात्रों की सराहना की। बोर्ड ऑफ गवर्नर्स आईआईएम जम्मू के अध्यक्ष डॉ मिलिंद कांबले ने इस अवसर पर कहा कि आईआईएम जम्मू तेजी से प्रगति कर रहा है और उसने अपनी अकादमिक उत्कृष्टता, अनुसंधान, कार्यकारी शिक्षा और निगमीकृत अंतर्राष्ट्रीय जुड़ाव के कारण इतने कम समय में एक उत्कृष्ट प्रतिष्ठा अर्जित की है।
आईआईएम जम्मू के अध्यक्ष ने इस बात को याद किया कि आईआईएम लखनऊ ने प्रारंभिक वर्षों के दौरान मेंटरशिप की भूमिका निभाई थी और हम अकादमिक अनुभवों को साझा करने व शीर्ष श्रेणी के भारतीय और वैश्विक प्रकाशनों में उच्च महत्व के शोधपत्र प्रकाशित करने केलिए वैश्विक गठजोड़ कर रहे हैं। बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के पूर्व अध्यक्ष श्रीराम दांडेकर ने कहा कि नए नवाचार केंद्रों की स्थापना के साथ आईआईएम जम्मू को विश्व के बेहतरीन बिजनेस स्कूलों मेंसे एक बनने की आकांक्षा रखनी चाहिए। आईआईएम जम्मू के निदेशक प्रोफेसर बीएस सहाय ने कहा कि हमारा दृष्टिकोण ऐसे नेताओं व उद्यमियों को विकसित करना है जो वैश्विक स्तरपर प्रदर्शन कर सकें और समाज को बहुमूल्य योगदान दे सकें। उन्होंने देश में अपनी तरह का पहला सेंटर ऑफ हैप्पीनेस-आनंदम खोलने पर भी गर्व किया। उन्होंने बताया कि छात्रों और शिक्षकों केलिए अंतर्राष्ट्रीय विनिमय कार्यक्रमों को लेकर 14 समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए हैं। प्रोफेसर बीएस सहाय ने कहा कि संयुक्त अनुसंधान कार्यक्रमों केलिए जल्द ही आईआईटी और एम्स जम्मू के साथ त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किए जाएंगे।