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Wednesday 25 August 2021 01:34:12 PM
मसूरी। प्रधानमंत्री कार्यालय और कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन विभाग में राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दिशा-निर्देश एवं व्यक्तिगत पहल से देश की स्वतंत्रता के 75 वर्ष पर भारत की आवश्यकताओं तथा आकांक्षाओं के अनुरूप आईएएस यानी सिविल सेवाओं केलिए लालबहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी मसूरी (एलबीएसएनएए) के पाठ्यक्रम में संशोधन किया जा रहा है। उन्होंने अकादमी में 'इंडिया@ 75 : भविष्य की राह' विषय पर मुख्य भाषण देते हुए कहा कि अगले 25 वर्ष भारत केलिए बहुत महत्वपूर्ण हैं तथा देश की विकास यात्रा में प्रशासनिक अधिकारियों को अहम भूमिका निभानी है और उन्हें इस विकास यात्रा में साक्षी बनने पर गौरवांवित होना चाहिए।
कार्मिक राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रशासनिक अधिकारियों के कामकाज का तरीका ‘शासन करने से भूमिका’ में बदल जाना चाहिए। प्रधानमंत्री के एक नारे को उद्धृत करते हुए उन्होंने कहा कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी का सबसे उन्नत रूपमें उपयोग करके विकास को एक जन आंदोलन बनाना चाहिए। उन्होंने अकादमी के कार्यकाल के बाद विस्तार से तीन महीने के मेंटरशिप कोर्स तथा प्रशासनिक अधिकारियों केलिए इसके लाभों का उल्लेख किया। डॉ जितेंद्र सिंह ने दोहराया कि भारत अपने उपलब्ध संसाधनों तथा प्रतिभा के बल पर अपने सभी लक्ष्यों को प्राप्त करने केसाथ विश्व समुदाय में अग्रिम पंक्ति का देश बन जाएगा। राज्यमंत्री ने कहा कि किसी देश केलिए 75 वर्ष वास्तव में कम होते हैं और एक युवा आबादी के साथ भारत अपने आसपास के देशों की तुलना में सबसे युवा देशों में से एक है और हमें एक बहुत लंबा रास्ता तय करना है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक भारतीय को अनिवार्य रूपसे विकास का लाभ उठाना चाहिए, बिना लालफीताशाही के उन्हें बेहतर सेवा प्राप्त करने, सुगम जीवन जीने की सुविधा मिलनी चाहिए और समावेशन के साथ त्वरित विकास का यह विजन प्रशासनिक अधिकारियों के कंधों पर एक कठिन जिम्मेदारी है।
डॉ जितेंद्र सिंह ने बताया कि प्रमुख नीति निर्माता के रूपमें प्रशासनिक अधिकारियों को सार्वजनिक नीतिगत रूपरेखा तथा कार्यांवयन दोनों में ही कल्याण तथा समावेशन के अंतर्निहित सिद्धांतों को शामिल करना चाहिए। उन्होंने कहा कि मिशन कर्मयोगी के पीछे का विचार डिजिटल, आमने-सामने तथा मिश्रित शिक्षा की क्षमता का दोहन करना, अध्ययन तथा ज्ञान साझा करने के स्थान का और लोकतांत्रिकरण करना एवं सभी पदक्रमों तथा सीमाओं में लोकसेवा में रहने वालों का क्षमता निर्माण करना है। उन्होंने विश्वास जताया कि यह हमारी विशालकाय नौकरशाही के सामर्थ्य तथा सेवा प्रदायगी क्षमता को बढ़ाने में क्रांतिकारी कदम साबित होगा। राज्यमंत्री ने कहा कि सार्वजनिक सेवा में रहने वालों को अपनी कर्तव्य भावना को नए उत्साह तथा परिश्रम केसाथ फिरसे जगाना होगा तथा गरीबों, निर्बल तथा वंचित वर्गों के जीवनस्तर में बदलाव लाने की हमारी प्रतिबद्धता सभी विचारों पर प्रभावी होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रशासनिक अधिकारियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि वे उनके लिए एक रचनात्मक, प्रगतिशील तथा समावेशी नीति का अनुपालन करें, जिनपर वे प्रभाव डालना चाहते हैं। उन्होंने राजपत्रित अधिकारी के सत्यापन तथा समूह सी तथा समूह डी पदों पर नियुक्ति केलिए साक्षात्कार की आवश्यकता को समाप्त करने का उल्लेख किया।