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Friday 27 August 2021 02:10:47 PM
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री कार्यालय एवं कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा है कि स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहलीबार नरेंद्र मोदी सरकार के सबसे महत्वाकांक्षी सुधार 'मिशन कर्मयोगी' के माध्यम से लोकसेवकों के कामकाज और कार्य प्रणाली को 'शासन से कर्तव्य' में स्थानांतरित करने केलिए एक महत्वपूर्ण पहल की गई है, ताकि वे आश्वस्त हों और सौंपे गए कार्य को करने में सक्षम हों। डॉ जितेंद्र सिंह ने भारतीय लोक प्रशासन संस्थान में राष्ट्रीय लोकसेवा क्षमता निर्माण कार्यक्रम पर कार्यशाला को संबोधित करते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा कि यह क्षमता निर्माण भारत की आजादी के 75 वर्ष पूरे होने के समय में हो रहा है और भारत न केवल इन 75 वर्ष तक अस्तित्व में रहा है, बल्कि यह एक राष्ट्र के रूपमें विकसित भी हुआ है।
राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार ने बड़े पैमाने पर प्रशासनिक सुधार किए हैं, उन्होंने देश को एक ऐसी संस्कृति दी है, जो नए भारत के अनुरूप है। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि नरेंद्र मोदी में 'अलग हटकर' सोचने का साहस और दृढ़ विश्वास है। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि पिछले कुछ वर्ष में सरकारी कर्मचारियों के दायित्वों में बदलाव आया है और उनकी जवाबदेही बढ़ी है। उन्होंने कहा कि किसी भी जिम्मेदार राष्ट्र का अंतिम उद्देश्य अपने नागरिकों केलिए जीवन की सुगमता सुनिश्चित करना होता है और भारत इस रास्ते पर अच्छी तरह से आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2016 में मोदी सरकार ने एक क्रांतिकारी निर्णय लिया था, जिसके अंतर्गत लोकसेवकों को अपने संबंधित कैडर में जाने से पहले सहायक सचिव के रूपमें तीन महीने का कार्यकाल पूरा करना अनिवार्य कर दिया गया था।
राज्यमंत्री ने कहा कि अगले साल जनवरी तक प्रत्येक जिला स्तरपर एक ही सामान्य पात्रता परीक्षा आयोजित करने का प्रयास किया जा रहा है। डॉ जितेंद्र सिंह ने वैज्ञानिक संस्थागत तंत्र के लाभों को लोकसेवकों के साथ साझा किया, ताकि वे भविष्य की चुनौतियों के लिए खुद को तैयार कर सकें। इस अवसर पर कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन विभाग के सचिव दीपक खांडेकर, भारतीय लोक प्रशासन संस्थान-आईआईपीए के महानिदेशक एसएन त्रिपाठी और आईआईपीए के रजिस्ट्रार अमिताभ रंजन भी उपस्थित थे।