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Friday 3 September 2021 01:54:35 PM
नई दिल्ली। सूचना और प्रसारण मंत्रालय की पत्रकार कल्याण योजना के मौजूदा दिशा-निर्देशों की समीक्षा और उनमें उपयुक्त बदलावों की सिफारिशें करने के लिए सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने पत्रकार और प्रसार भारती के सदस्य अशोक कुमार टंडन की अध्यक्षता में एक दस सदस्यीय समिति का गठन किया है। मीडिया के इको स्पेस में हुए कई बदलावों, जिसमें कोविड-19 के कारण बड़ी संख्या में पत्रकारों की मृत्यु और श्रमजीवी पत्रकार की परिभाषा का व्यापक आधार होना शामिल है, के आलोक में मंत्रालय के इस निर्णय को महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
सूचना और प्रसारण मंत्रालय का मानना है कि पत्रकार कल्याण योजना पिछले कई वर्ष से अस्तित्व में है, जिसे देश के पत्रकारों के लिए भविष्य की दृष्टि से लाभकारी बनाने और उसके कवरेज को व्यापक आधार देने की जरूरत है। ऑक्यूपेशनल, सेफ्टी, हेल्थ और वर्किंग कंडीशन कोड 2020 के अधिनियमन के साथ पारंपरिक और डिजिटल मीडिया, दोनों में काम करने वाले पत्रकारों को इसके दायरे में शामिल करने के लिए श्रमजीवी पत्रकार की परिभाषा को व्यापक बनाया गया है। इसके अलावा इस योजना के तहत कल्याण और लाभ प्राप्त करने की दृष्टि से मान्यता प्राप्त और गैर-मान्यता प्राप्त पत्रकारों के बीच संभावित समानता को भी जरूरी समझा गया है। हाल के दिनों में उन पत्रकारों के परिवारों को अनुग्रह राशि देने के लिए सक्रिय कदम उठाए गए हैं, जिनकी दुर्भाग्य से कोविड-19 के कारण मृत्यु हो गई। मंत्रालय ने 100 से अधिक मामलों में प्रत्येक परिवार को पांच लाख रुपये की सहायता दी है।
उम्मीद की जाती है कि यह समिति दो महीने के भीतर समयबद्ध तरीके से अपनी रिपोर्ट देगी, जिसकी सिफारिशों से सरकार को पत्रकारों के लाभ के लिए नए सिरे से दिशा-निर्देश तैयार करने में मदद मिलेगी। समिति में द वीक के स्थानीय संपादक सच्चिदानंद मूर्ति, स्वतंत्र पत्रकार शेखर अय्यर, न्यूज़ 18 के अमिताभ सिन्हा, बिजनेस लाइन के शिशिर कुमार सिन्हा, जी न्यूज़ के विशेष संवाददाता रविंदर कुमार, पांचजन्य के संपादक हितेश शंकर, हिंदुस्तान टाइम्स से स्मृति काक रामचंद्रन, टाइम्स नाउ से अमित कुमार, इकोनॉमिक टाइम्स से वसुधा वेणुगोपाल और पत्र सूचना कार्यालय में एडिशनल डीजी कंचन प्रसाद शामिल हैं।