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Monday 6 September 2021 03:07:15 PM
नई दिल्ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शिक्षकों से आग्रह किया है कि वे अपने छात्रों को एक सुनहरे भविष्य की कल्पना तथा सपने पूरे करने में योग्यता प्राप्त करने केलिए प्रेरित करें। उन्होंने कहा कि अध्यापकों का कर्तव्य है कि वे अपने छात्रों के अंदर पढ़ाई के प्रति रुचि पैदा करें, संवेदनशील शिक्षक अपने व्यवहार, आचरण और शिक्षण से ही छात्रों के भविष्य को आकार दे सकते हैं। रामनाथ कोविंद ने कहा कि शिक्षकों को इस बात पर विशेष ध्यान देना चाहिए कि प्रत्येक छात्र की क्षमता, प्रतिभा, मनोविज्ञान, सामाजिक पृष्ठभूमि और वातावरण अलग-अलग होता है, इसलिए हरएक बच्चे के सर्वांगीण विकास पर उसकी विशेष आवश्यकताओं, रुचियों और क्षमताओं के अनुसार ही ध्यान दिया जाना चाहिए। राष्ट्रपति ने कहा कि देश में पिछले वर्ष लागू हुई नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति ने भारत को वैश्विक ज्ञान महाशक्ति के रूपमें स्थापित करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है और हमें विद्यार्थियों को ऐसी शिक्षा प्रदान करनी है, जो ज्ञान पर आधारित न्यायपूर्ण समाज के निर्माण में सहायक हो।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद में शिक्षा के गिरते स्तर पर एक टीस भी महसूस की गई। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों में अंतर्निहित क्षमता के संयोजन की प्राथमिक जिम्मेदारी शिक्षकों की होती है और एक योग्य अध्यापक ही व्यक्तित्व निर्माता, समाज निर्माता और राष्ट्र निर्माता होता है। राष्ट्रपति शिक्षक दिवस पर शिक्षक सम्मान समारोह को संबोधित कर रहे थे। राष्ट्रपति ने देशभर के 44 प्रतिभाशाली शिक्षकों को सम्मानित किया। राष्ट्रपति ने शिक्षकों को उनके शिक्षा क्षेत्र में विशिष्ट योगदान केलिए बधाई दी और कहा कि ऐसे अध्यापक उनके इस विश्वास को मजबूत करते हैं कि आनेवाली पीढ़ी हमारे योग्य शिक्षकों के हाथों में सुरक्षित है। उन्होंने कहा कि हम सभीके जीवन में शिक्षकों का बहुत महत्वपूर्ण स्थान है, लोग अपने शिक्षकों को जीवनभर याद रखते हैं। राष्ट्रपति ने कहा कि जो अध्यापक अपने छात्रों को स्नेह और लगन से शिक्षित करते हैं, उन्हें अपने विद्यार्थियों से हमेशा सम्मान मिलता है।
रामनाथ कोविंद ने कहा कि हमारी शिक्षा प्रणाली ऐसी होनी चाहिए, जिससे छात्र संवैधानिक मूल्यों और मौलिक कर्तव्यों केलिए प्रतिबद्धता विकसित करें, वे स्वयं में देशभक्ति की भावना को मजबूत करें और बदलते वैश्विक परिदृश्य में अपनी भूमिका को समझें। राष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षा मंत्रालय ने शिक्षकों को सक्षम बनाने केलिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, 'निष्ठा' नाम से एकीकृत शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरु किया है, जिसके माध्यम से अध्यापकों केलिए ऑनलाइन क्षमता निर्माण के प्रयास किए जा रहे हैं, इसके अतिरिक्त 'प्रज्ञाता' यानी डिजिटल शिक्षा पर पिछले साल जारी किए गए दिशा-निर्देश भी कोविड महामारी संकट के दौरान शिक्षण की निरंतरता को बनाए रखने की दृष्टि से एक सराहनीय कदम है। रामनाथ कोविंद ने कठिन परिस्थितियों में भी नए रास्ते खोजने केलिए केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की टीम की प्रशंसा की। केंद्रीय शिक्षामंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने भी वर्चुअल रूपसे कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि एक शिक्षक की भूमिका राष्ट्र के मजबूत विकास केलिए बहुत महत्वपूर्ण है।
शिक्षामंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि अध्यापक हमारी नई पीढ़ी की सोच और बुद्धि को आकार देने में विशिष्ट भूमिका निभाते हैं। उन्होंने उन सभी शिक्षकों को धन्यवाद दिया, जो 21वीं सदी के भारत के भविष्य को आकार देने केलिए अथक प्रयास कर रहे हैं। शिक्षामंत्री ने 28 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के सभी शिक्षकों को बधाई दी, जिन्होंने शिक्षा क्षेत्र में अनुकरणीय कार्य किए हैं। धर्मेंद्र प्रधान ने ओडिशा के पद्मश्री प्रकाश राव और उन जैसे अनेक शिक्षकों को भी याद किया, जिन्होंने शिक्षा के माध्यम से बच्चों को सशक्त बनाया है। शिक्षामंत्री ने कहा कि अध्यापकों ने कोविड-19 के दौरान शिक्षा की निरंतरता सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। शिक्षा राज्यमंत्री अन्नपूर्णा देवी ने धन्यवाद भाषण दिया। शिक्षा राज्यमंत्री सुभाष सरकार, राज्यमंत्री राजकुमार रंजन सिंह, स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग की सचिव अनीता करवाल तथा उच्च शिक्षा विभाग के सचिव अमित खरे और वरिष्ठ अधिकारी भी इस मौके पर मौजूद थे।