स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Monday 6 September 2021 03:16:35 PM
रायपुर/ नई दिल्ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शिक्षक दिवस पर देशभर से चयनित जिन प्रतिभाशाली 44 शिक्षकों को ऑनलाइन माध्यम से राष्ट्रीय शिक्षक सम्मान प्रदान किया, उनमें छत्तीसगढ़ राज्य के बस्तर ज़िले के करपावंड में एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय के अंग्रेजी व्याख्याता प्रमोद कुमार शुक्ला भी शामिल हैं। ईएमआरएस के शिक्षक केलिए यह लगातार दूसरा शिक्षक सम्मान है और यह जनजातीय कार्य मंत्रालय के अंतर्गत स्थापित एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालयों केलिए विशेष महत्व रखता है। उत्तराखंड के कलसी में ईएमआरएस की उप प्रधानाचार्य सुधा पेनुली को भी वर्ष 2020 में यह सम्मान प्रदान किया जा चुका है।
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के अंतर्गत स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग ने वर्ष 2021 केलिए शिक्षकों को राष्ट्रीय शिक्षक सम्मान प्रदान करने केलिए राष्ट्रीय स्तरपर एक स्वतंत्र निर्णायक समिति का गठन किया था। प्रमोद कुमार शुक्ला ने 3-चरण की कठोर ऑनलाइन पारदर्शी चयन प्रक्रिया के बाद भारतभर से 44 उत्कृष्ट शिक्षकों की सूची में जगह बनाई। कोविड-19 के कारण शिक्षकों ने वीडियो कॉंफ्रेंस से स्वतंत्र राष्ट्रीय निर्णायक समिति के समक्ष अपनी प्रस्तुति दी। शिक्षक सम्मान नई दिल्ली से वर्चुअल माध्यम से प्रदान किया गया, जबकि सम्मान ग्रहण करने वाले शिक्षक अपने-अपने राज्यों की राजधानियों से कार्यक्रम में शामिल हुए। अनुसूचित जनजाति के बच्चों को उनके अपने वातावरण में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने की अवधारणा के उद्देश्य से वर्ष 1997-98 में ईएमआरएस की स्थापना की गई थी और 2018 तक 288 स्कूलों को मंजूरी दी गई थी। वर्ष 2018 में इस योजना को नया रूप दिया गया, जिसके अनुसार 50 प्रतिशत या अधिक जनजातीय आबादी और 20,000 या अधिक आदिवासी व्यक्तियों के साथ हर ब्लॉक में आवासीय स्कूल स्थापित करने का लक्ष्य तय किया गया था।
ईएमआरएस योजना के तहत 452 नए स्कूल स्थापित किए जाएंगे और 2025 तक 740 (288+452) स्कूल जनजातीय विद्यार्थियों केलिए राष्ट्रीय शिक्षा समिति के अंतर्गत स्थापित किए जाएंगे। जनजातीय कार्य मंत्रालय ने अबतक कुल 632 ईएमआरएस को मंजूरी दे चुका है। राज्यों ने 555 स्थानों पर भूमि उपलब्ध कराई है और 201 स्कूलों का निर्माण कार्य पूरा कर लिया है, 168 स्कूलों में निर्माण प्रगति पर है। इन 367 क्रियाशील स्कूलों में लगभग 85700 छात्रों की शिक्षा जारी है। प्रमोद कुमार शुक्ला छत्तीसगढ़ के ऐसे ही एक स्कूल में पढ़ा रहे हैं और सुदूरवर्ती वामपंथी उग्रवाद प्रभावित आदिवासी क्षेत्र के आदिवासी छात्रों को पढ़ाने केलिए प्रतिबद्ध हैं। उनकी शिक्षण यात्रा के बारे में सबसे अनूठी उपलब्धियां सीखने को प्रेरक और अनुभव पर आधारित फ्री ड्रामा डे, पढ़ाई तुंहार पारा, शब्दावली रॉकेट जैसी आनंददायक सीखने की तकनीकों का सम्मिश्रण है। जब कोविड-19 के कारण स्कूलों को बंद कर दिया गया था और वास्तविक रूपसे शिक्षा प्रदान करना बहुत कठिन हो गया था, तब यू-ट्यूब चैनलों, केबल टीवी और सरकारी मंच के उपयोग आदि में उनके अभिनव प्रयोगों ने शिक्षा को निर्बाध रूपसे जारी रखना सुनिश्चित किया। उनकी यह उपलब्धि सैद्धांतिक शिक्षा और छात्रों के सर्वांगीण विकास के बीच एक अच्छा संतुलन बनाने केलिए मंत्रालय के दृढ़ संकल्प और इच्छाशक्ति को दृढ़ता से स्थापित करती है।
जनजातीय कार्य मंत्री अर्जुन मुंडा ने इस उपलब्धि पर कहा है कि यह ईएमआरएस केलिए गर्व का क्षण, यह उपलब्धि संपूर्ण ईएमआरएस शिक्षक समुदाय को शिक्षा क्षेत्र में अपनी उत्कृष्टता दिखाने और जनजातीय छात्रों को प्रदान की जाने वाली गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के स्तर को ऊपर उठाने केलिए प्रेरित करेगी। उन्होंने कहा कि यह पुरस्कार जनजातीय छात्रों केलिए शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार केलिए काम करने केलिए मंत्रालय के ठोस प्रयासों का परिणाम है। जनजातीय कार्य राज्यमंत्री रेणुका सिंह सरुता एवं बिश्वेश्वर टुडू ने प्रमोद शुक्ला और ईएमआरएस शिक्षकों के समुदाय को बधाई देते हुए कहा कि इस तरह की उपलब्धियां दूसरे शिक्षकों को भी दूर-दराज़ जनजातीय क्षेत्रों में शिक्षा को बढ़ावा देने केलिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदान करने केलिए प्रेरित करेंगी। जनजातीय छात्रों केलिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मानकों को बढ़ाने केलिए काम करने वाले सभी ईएमआरएस शिक्षकों और प्रधानाचार्यों केलिए यह पुरस्कार एक उपलब्धि है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 नीति प्रतिभाशाली और प्रतिबद्ध शिक्षकों को जनजातीय छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने केलिए स्थापित ईएमआरएस के पहलू को बदलने केलिए प्रत्यक्ष अवसर प्रदान करती है।