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Saturday 11 September 2021 01:21:42 PM
नई दिल्ली। केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने सर्वेक्षण अधिकारियों से एकीकृत प्रौद्योगिकी अपनाने को कहा है और आह्वान किया है कि वे राष्ट्रीय सर्वेक्षण एवं मानचित्रण एजेंसी (एनएमए) से खुदको समकालीन भारत में पुन: व्यवस्थित और पुनर्गठित करें। उन्होंने सर्वेक्षण अधिकारियों को अपनी अबतक की पारंपरिक कार्यशैली से हटकर संबंधित विभागों जैसे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो), भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी), पृथ्वी विज्ञान में महासागर प्रौद्योगिकी आदि के साथ निकट सहयोग एवं समन्वय को कहा, ताकि वे ऐसे अधिक उपयोगी और लागत प्रभावी परिणाम में सक्षम हो सकें, जोकि नरेंद्र मोदी सरकार की प्राथमिकताओं के अनुरूप हैं। डॉ जितेंद्र सिंह ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अंतर्गत आनेवाले राष्ट्रीय सर्वेक्षण और मानचित्रण एजेंसी के राष्ट्रीय मुख्यालय का दौरा किया, वे एनएमए के प्रभारी मंत्री भी हैं।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारतीय सर्वेक्षण एजेंसी की अपनी 250 वर्ष से अधिक पुरानी विरासत है। उन्होंने याद दिलाया कि इसे देश के भौगोलिक क्षेत्र का पता लगाने और त्वरित तथा एकीकृत विकास केलिए आधारभूत मानचित्र उपलब्ध कराने केलिए 1767 ईस्वी में स्थापित किया गया था। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत के तकनीकी दृष्टिकोण ने नई और बड़ी छलांग लगाई है, जिसका असर सर्वेक्षण की प्रक्रिया के तरीके पर भी पड़ता है, इसलिए हम सबकी यह जिम्मेदारी है कि पिछले सात वर्ष में शुरु तथा पेश किए गए नए तकनीकी नवाचारों के युग के अनुरूप नए ढंग से काम करें। उन्होंने संयुक्त कार्य बल (टास्क फोर्स) के माध्यम से पहल करने केलिए सभी विज्ञान मंत्रालयों और विभागों के प्रतिनिधियों के साथ एनएमए के अधिकारियों की एक संयुक्त बैठक का निर्देश भी दिया।
डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार ने प्रत्येक भारतीय घर में प्रौद्योगिकी पहुंचाने की शुरुआत की है और हर क्षेत्र में विकास परियोजनाओं के साथ आम नागरिकों के लाभ केलिए अपने अनुप्रयोगों का विस्तार किया है। उन्होंने कहा कि आज जिम्मेदारी न केवल सर्वेक्षणों के संचालन में साझेदारी और तंत्र के माध्यम से भू-स्थानिक ज्ञान तथा बुद्धि के उपयोग को बढ़ावा देने की है, बल्कि इस कार्य में हितधारकों के साथ-साथ समाज के सभी वर्गों को भी शामिल किए जाने की भी है। डॉ जितेंद्र सिंह ने 15 फरवरी 2021 के बाद हुई प्रगति की भी समीक्षा की, तब मोदी सरकार ने भू-स्थानिक डेटा और भू-स्थानिक सेवाओं को मानचित्रों सहित प्राप्त करने और उनका उत्पादन करने का ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण निर्णय लिया था। उन्होंने कहा कि इसका उद्देश्य सामान्य नागरिकों, संगठनों, कंपनियों, सरकारी एजेंसियों और संबंधित सभी हितधारकों केलिए आसानी से भारत के क्षेत्र के भीतर भू-स्थानिक डेटा और मानचित्रों को एकत्र करना, उत्पन्न करना, तैयार करना, उनका प्रसार करना, भंडारण करना, प्रकाशित करना, अद्यतन करना और डिजिटल बनाना है।
डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि इसरो भू-स्थानिक डेटा को उदार और लोकतांत्रिक बनाने केलिए आगे बढ़ा है तो अब हम सभीके सामने जिम्मेदारी यह है कि सभी सर्वेक्षण करने वाली संस्थाएं इसके लिए सबसे अच्छे और व्यावहारिक रूपसे कार्य करें तथा ऐसे तरीके विकसित भी करें, जो समय की बचत करने वाले, लागत प्रभावी और आम नागरिक केलिए सुविधाजनक हों। उन्होंने कहा कि भारतीय सर्वेक्षण को यथासंभव तेजी से खुद को पुनर्गठित और व्यवस्थित करना होगा तथा कोई अन्य विकल्प नहीं है। इस अवसर पर सर्वेक्षण महानिदेशक नवीन तोमर ने एक बिंदुवार प्रस्तुतिकरण भी राज्यमंत्री के समक्ष प्रस्तुत किया।