Monday 13 September 2021 05:49:48 PM
दिनेश शर्मा
नई दिल्ली/ अहमदाबाद। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात के नए मुख्यमंत्री भूपेंद्र रजनीकांत पटेल को बधाई दी है। गृहमंत्री अमित शाह पहले ही उन्हें बधाई दे चुके हैं। प्रधानमंत्री ने कहा हैकि वे भूपेंद्र पटेल को वर्षों से जानते हैं और उन्होंने उनके अनुकरणीय कार्यों को देखा है, चाहे वे कार्य बीजेपी संगठन में किए गए हों या नागरिक प्रशासन और सामुदायिक सेवा केलिए किए गए हों, वे निश्चित रूपसे गुजरात के विकास कार्यों में अपना योगदान देते रहेंगे। प्रधानमंत्री ने विजय रूपाणी की भी प्रशंसा की और कहा कि मुख्यमंत्री के रूपमें उन्होंने अपने पांच वर्ष के कार्यकाल में लोगों के कल्याण केलिए कई कार्य किए हैं, समाज के सभी वर्गों के उत्थान के लिए अथक परिश्रम किया है। विजय रूपाणी मंत्रिमंडल में मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार उपमुख्यमंत्री रहे और गुजरात के पाटीदार समुदाय के लोकप्रिय नेता नितिन पटेल ने भी उन्हें गर्मजोशी से बधाई दी है। गहरे जख्म खाई इस राजनीतिक रस्म की यही सच्चाई है कि ग़ुबारों से भरे अपने जज्बातों पर ऐसे ही काबू रखना वक्त का तकाजा है जो नितिन पटेल ने किया।
गुजरात के नए मुख्यमंत्री भूपेंद्र रजनीकांत पटेल की ताजपोशी भाजपा हाईकमान के लिए भले ही अनुकूल हो, लेकिन गुजरात की जनता और गुजरात के बाहर के भी राजनीतिक क्षेत्रों में भाजपा के इस फैसले पर उंगलियां उठ रही हैं। उंगलियां तो विजय रूपाणी पर भी कोई कम नहीं उठती रही हैं, बल्कि वह गुजरात के विफल मुख्यमंत्री कहे जा रहे हैं, भले ही वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के प्रिय हैं। विजय रूपाणी गुजरात की जनता और भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं में एक लोकप्रिय मुख्यमंत्री की छवि नहीं बना पाए और ना ही वे भाजपा की भलाई के लिए सबको साथ लेकर चल पाए। गुजरात में पाटीदार समाज बड़ी संख्या में है और वह पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा को अपनी नाराजगी की ताकत भी दिखा चुका है। हार्दिक पटेल भले ही चुनाव हार गया, लेकिन उससे भाजपा को पाटीदारों में नुकसान तो पहुंचा ही है। माना जाता है कि भाजपा हाईकमान यह सच्चाई भलिभांति जानता है, इसलिए अगले साल गुजरात विधानसभा के चुनाव में पाटीदार को मनाने के लिए विजय रूपाणी की विदाई की गई है और पाटीदार समाज के भूपेंद्र रजनीकांत पटेल को मुख्यमंत्री बना दिया गया है। कहने वाले कहते हैं कि इस तरह गुजरात में भाजपा के लिए आगे की राह आसान नहीं लगती है, तथापि भाजपा को यहां पहले की ही तरह नरेंद्र मोदी का ही सहारा होगा।
गुजरात राजनीति में विश्वासपात्रों और लीडरशिप के बीच की जंग में इसबार भी विश्वासपात्रों या यह कहिए कि प्यादों को ही कामयाबी मिली है। आनंदीबेन पटेल का नाम भी इनमें लिया जा सकता है, वह भी सरकार चलाने में विफल ही मानी गईं, जो बाद में उत्तर प्रदेश की राज्यपाल बना दी गईं। बहरहाल गुजरात के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर भाजपा हाईकमान का जो भी फैसला है, वह भविष्य में भाजपा का कितना डैमेज कंट्रोल करेगा, यह विधानसभा चुनाव में ही पता चलेगा। माना जा रहा था कि विजय रूपाणी मंत्रिमंडल में उपमुख्यमंत्री रहे और गुजरात के पाटीदार समुदाय के लोकप्रिय नेता नितिन पटेल मुख्यमंत्री की कुर्सी के प्रबल दावेदार थे। पाटीदार समुदाय की संभावित नाराज़गी दूर करने के लिए ही उन्हें रूपाणी मंत्रिमंडल में उपमुख्यमंत्री भी बनाया गया था। भाजपा हाईकमान के खेमे से उस वक्त यह भी बात सामने आई थी कि किसी उपयुक्त अवसर पर उन्हें मौका दिया जाएगा। आज जब वह उपयुक्त अवसर आया तो उसमें नितिन पटेल के बजाए पुनः किसी 'विश्वासपात्र' को ही मौका दे दिया गया, जो केवल पहलीबार ही विधायक बने हैं और वो केवल पाटीदार समाज से होने की ही योग्यता रखते हैं। इससे यह बात भी साफ हो गई है कि भाजपा हाईकमान में भी प्यादा परंपरा हावी होती जा रही है।
यह सच्चाई सभी जानते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृह प्रदेश होने के बावजूद और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का भी गुजरात गृह प्रदेश होने के बावजूद भारतीय जनता पार्टी नरेंद्र मोदी के मुख्यमंत्रित्वकाल में गुजरात विधानसभा में सर्वाधिक सीटें जीतने के रेकॉर्ड को तोड़ने के बजाए उससे नीचे ही गिरती जा रही है। इस दौरान गुजरात भाजपा को विपक्ष से तगड़ी चुनौतियां भी मिलती रही हैं और मिल रही हैं। गुजरात से राज्यसभा के चुनाव में कांग्रेस नेता शकील अहमद से भाजपा प्रत्याशी की पराजय अबभी चर्चा में रहती है। यह चुनाव अमित शाह की प्रतिष्ठा का चुनाव था, जिसे जीतने के लिए उनकी सारी रणनीतियां धरी की धरी रह गई थीं। कहा जा रहा है कि भाजपा हाईकमान ने उस पराजय से कोई सबक नहीं लिया है। पिछले विधानसभा चुनाव में भी भाजपा गुजरात चुनाव में हारते-हारते बची। यह एक कड़वी सच्चाई है कि सत्ता में रहते हुए कोई किसी को आगे बढ़ते देखना नहीं चाहता और चुनौती मानकर उसका विरोध खड़ा कर दिया जाता है, यही नितिन पटेल के साथ हुआ है। बहरहाल देखना है कि भूपेंद्र रजनीकांत पटेल भारतीय जनता पार्टी को कितने पाटीदारों के वोट दिला पाएंगे, इसके बावजूद कि वे नरेंद्र मोदी एवं अमित शाह के विश्वासपात्र कहे जा रहे हैं।