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Monday 20 September 2021 01:54:40 PM
नई दिल्ली। भारतीय समाज में महिलाओं के प्रति गहरे सम्मान की भावना है, जो इस श्लोक में वर्णित है-जहां एक महिला का सम्मान किया जाता है, वह स्थान दिव्य गुणों, अच्छे कर्मों, शांति और सद्भाव के साथ भगवान का निवास स्थल बन जाता है। भारत आजादी के 75वें वर्ष पर अमृत महोत्सव मना रहा है और यह महिला सशक्तिकरण की दिशा में देश में जारी प्रयासों का भी उत्सव है। महिलाओं ने राष्ट्र निर्माण और इसके सशक्तिकरण स्वरूप केलिए अग्रणी प्रतिनिधियों के तौरपर अपना उचित और समान स्थान ग्रहण किया हुआ है। सीमा सड़क संगठन ने भी पिछले कुछ वर्ष में अधिकारियों से लेकर वाणिज्यिक पायलट लाइसेंस धारकों तक बड़ी संख्या में महिलाओं को अपने कार्यबल में शामिल किया है। अधिकार, जिम्मेदारी और सम्मान देकर उन्हें सशक्त बनाते हुए बीआरओ का दृढ़ विश्वास है कि राष्ट्र निर्माण में महिलाएं हमेशा सक्रिय भागीदार है और रहेंगी। इस विश्वास की पुष्टि करते हुए बीआरओ का महिलाओं को उच्च नेतृत्व की भूमिकाएं सौंपना जारी है।
बीआरओ निरंतर महिला सशक्तिकरण के अपने मूल विश्वास के लिए प्रतिबद्ध है। इस संबंध में एक जीआरईएफ अधिकारी ईई (सीआईवी) वैशाली एस हिवासे ने 28 अप्रैल 2021 को 83 रोड कंस्ट्रक्शन कंपनी की बागडोर संभाली थी, वह मुनिसैरी-बगदियार-मिलम को जोड़ने वाले एक ऐसी महत्वपूर्ण भारत-चीन सड़क पर कार्यरत हैं, जो प्रतिकूलता और चुनौतियां से भरा एक क्षेत्र है। वैशाली एस हिवासे इस कार्यभार को बखूबी अंजाम दे रही हैं और अपने कार्यों के सावधानीपूर्वक निष्पादन के साथ अपने प्रभार का नेतृत्व भी कर रही हैं। बीआरओ की प्रोजेक्ट शिवालिक की मेजर आइना ने इतिहास रचते हुए 30 अगस्त 2021 को उत्तराखंड के चमोली जिले के पीपलकोटी में 75 आरसीसी की ऑफिसर कमांडिंग के रूपमें कार्यभार संभाला था। वह सड़क निर्माण कंपनी की कमान संभालने वाली पहली भारतीय सेना इंजीनियर अधिकारी हैं। इतना ही नहीं उनके अधीन तीनों पलाटून कमांडर कैप्टन अंजना, एईई (सिविल) भावना जोशी और एईई (सिविल) विष्णुमाया के भी महिला अधिकारी हैं और इन्होंने मिलकर प्रथम महिला आरसीसी का निर्माण किया है।
सीमा सड़क के माध्यम से इस प्रकार के सभी महिला नेतृत्व वाले दलों के द्वारा चार आरसीसी बनाने की योजना है, जिनमें से प्रत्येक में दो-दो पूर्वोत्तर और पश्चिमी क्षेत्रों से हैं। पिछले छह दशकों में बीआरओ ने सड़क निर्माण की विभिन्न भूमिकाओं और कर्तव्यों में नियोजित महिलाओं की संख्या में वृद्धि की है। उन्हें स्वतंत्र रूपसे कार्य करने का अधिकार और उत्तरदायित्व देकर उन्हें सशक्त बनाने का एक समेकित प्रयास किया है, ये महिलाएं अपने-अपने क्षेत्र में नारी शक्ति का प्रतीक बन चुकी हैं। महिला सशक्तिकरण की दिशा में बीआरओ के बहुआयामी दृष्टिकोण में रोज़गार भूमिकाओं में विविधता, उच्च शिक्षा के मार्ग, उचित स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच, साहसिक कार्य के अवसर, खेल और समग्र रूपसे विकसित होने के लिए प्रोत्साहन देना शामिल हैं, क्योंकि महिलाएं जीवन के सभी क्षेत्रों में प्रमुख भूमिका निभाती हैं। सही मायने में महिला सशक्तिकरण के दृष्टिकोण में परिवर्तन करने के माध्यम से ही इस लक्ष्य को हासिल किया गया है।
कल्याणकारी पहलों के अंग के रूपमें पेशेवर क्षेत्रों के अलावा महिलाओं को अपने स्वयं के वित्त और दस्तावेज़ीकरण के प्रबंधन केलिए भी शिक्षित किया जा रहा है। एक समर्पित अभियान के अंतर्गत बीआरओ परियोजनाओं ने ग्रामीण क्षेत्रों में महिला सशक्तिकरण के लिए समर्पित शिक्षा कार्यक्रमों का शुभारंभ किया है। बालिकाओं के लिए समान अवसरों पर ध्यान केंद्रित करना भी बीआरओ की महत्वपूर्ण पहलों में से एक है। बीआरओ ने कोविड महामारी के दौरान भी बच्चों, विशेषकर लड़कियों के लिए शिक्षा कार्यक्रम आयोजित किए हैं। दुनियाभर में शिक्षा, संचार कौशल, व्यय योग्य आय और इंटरनेट तक पहुंच सशक्तिकरण के कुछ महत्वपूर्ण माध्यम हैं। इसके लिए सजग बीआरओ अपनी सेवारत महिला अधिकारियों को समान विकास अवसर प्रदान कर रहा है, जो सड़क निर्माण में एक अभिन्न शक्ति है।