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Friday 24 September 2021 04:26:34 PM
नई दिल्ली। शिक्षा मंत्रालय और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने समग्र शैक्षिक विकास केलिए भारतीय भाषाओं के सुदृढ़ीकरण पर एक राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया, जिसका आयोजन 17 सितंबर से 7 अक्टूबर तक सुशासन पर वेबिनारों की श्रृंखला के एक हिस्से के रूपमें किया गया था। शिक्षा राज्यमंत्री अन्नपूर्णा देवी वेबिनार की मुख्य अतिथि थीं। वेबिनार के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए अन्नपूर्णा देवी ने कहा कि देश की एकता और अखंडता केलिए भारतीय भाषाओं का संरक्षण और संवर्धन महत्वपूर्ण है। उन्होंने इस तथ्य को रेखांकित किया कि भारतीय भाषाओं की ओर उचित ध्यान नहीं दिया गया और उनकी देखभाल सही तरीके से नहीं की गई। उन्होंने कहा कि देश ने पिछले 50 वर्ष में 220 से अधिक भाषाओं को खो दिया है। शिक्षा राज्यमंत्री ने कहा कि भारतीय भाषाओं के पठन-पाठन को हर स्तर पर स्कूली और उच्च शिक्षा के साथ जोड़ने की जरूरत है।
शिक्षा राज्यमंत्री अन्नपूर्णा देवी ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति क्षेत्रीय बोलियों और भारतीय भाषाओं में पठन-पाठन के अवसर पैदा करके स्थानीय से लेकर वैश्विक स्तर पर संपर्क के रूपमें कार्य करेगी। उन्होंने कहा कि भारतीय भाषाओं को मजबूत और संरक्षित करके ही देश का विकास संभव है। उन्होंने शिक्षार्थियों और शिक्षकों सहित शिक्षा के क्षेत्र के समग्र विकास केलिए भारतीय भाषाओं को मजबूत करने की दिशा में अकादमिक और सामाजिक सहयोग देने के महत्व पर जोर दिया। उच्च शिक्षा सचिव अमित खरे ने अपनी मातृभाषा में सीखने के लाभों जैसेकि आलोचनात्मक सोच विकसित करने, ज्ञान प्रणाली की बेहतर समझ का निर्माण करने आदि के बारे में चर्चा की। उन्होंने विलुप्त होती जा रही भारतीय भाषाओं को पुनर्जीवित करने की दिशा में एनईपी की भूमिका के बारे में विस्तार से बताया।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष प्रोफेसर डीपी सिंह ने भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न भाषा केंद्रों के निर्माण की दिशा में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की पहलों की चर्चा की। उन्होंने कहा कि हम एनईपी 2020 के कार्यांवयन के साथ देश में अनुवाद एवं व्याख्या संस्थान के विकास पर सामूहिक रूपसे काम कर रहे हैं। उन्होंने देश में भारतीय भाषाओं, बहुभाषी शिक्षा, कला और संस्कृति को बढ़ावा देने में एनईपी की महत्वपूर्ण भूमिका का भी उल्लेख किया। समग्र शैक्षिक विकास केलिए भारतीय भाषाओं के सुदृढ़ीकरण पर वेबिनार ने शिक्षार्थियों के समग्र विकास केलिए भारतीय भाषाओं, बोलियों पर अपेक्षित ध्यान देने और उस दिशा में प्रयास करने के भविष्य के तरीकों का पता लगाने केलिए प्रख्यात विद्वानों, शिक्षाविदों एवंप्रशासकों को एक मंच प्रदान किया। इंडियन गांधी नेशनल सेंटर फॉर द आर्ट्स के सदस्य सचिव प्रोफेसर सच्चिदानंद जोशी ने लोगों से भारतीय भाषाओं के प्रति अपनी धारणा को बदलने का आग्रह किया।
उन्होंने कहा कि हमारा अधिकांश ज्ञान 0-6 वर्ष की आयु में आकार लेता है और यह बाल मनको उसकी मातृभाषा में शिक्षित करने का एक महत्वपूर्ण समय है। उन्होंने संस्कृति और शिक्षा के बीच संबंधों के बारे में चर्चा की क्योंकि ये दोनों अविभाज्य हैं, फिरभी स्वतंत्र हैं। उन्होंने हमारे शब्दकोशों और शब्दावलियों को समृद्ध बनाने के लिए विभिन्न भाषाओं के अलग-अलग शब्दों को समायोजित करने का आग्रह किया। वेबिनार के तकनीकी सत्र की अध्यक्षता प्रोफेसर बलवंत जानी चांसलर डॉ हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय सागर ने की। सत्र में विशेषज्ञों के रूपमें प्रोफेसर संजय द्विवेदी महानिदेशक भारतीय जनसंचार संस्थान नई दिल्ली, प्रोफेसर हनुमान प्रसाद शुक्ला वाइस चांसलर महात्मा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा और प्रोफेसर आरके पांडे कुलपति लालबहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय ने भारतीय भाषाओं के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की।