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Wednesday 29 September 2021 02:16:38 PM
नई दिल्ली। केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने नई दिल्ली में देशभर के ईसाई समुदाय के प्रमुख लोगों के साथ बातचीत की और कहा कि जबरन धर्म परिवर्तन एक ऐसे देश में किसी भी धर्म के प्रसार और उसमें विश्वास का तरीका नहीं हो सकता, जहां आस्तिक और नास्तिक दोनों एक साथ रहते हों। उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित करना हमारी सामूहिक राष्ट्रीय जिम्मेदारी है कि सहिष्णुता और सह-अस्तित्व के प्रति भारत की वचनबद्धता की संस्कृति कमजोर नहीं पड़ने पाए। अल्पसंख्यक कार्य मंत्री ने कहा कि एकता और सद्भाव के इस ताने-बाने को तोड़ने की कोई भी कोशिश भारत की आत्मा को चोट पहुंचाएगी।
मुख्तार अब्बास नक़वी ने कहा कि भारत में आस्तिक और नास्तिक दोनों को समान संवैधानिक और सामाजिक अधिकार एवं संरक्षण प्राप्त है। मुख्तार अब्बास नक़वी ने कहा कि एक तरफ भारत में जहां हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध, पारसी, यहूदी, बहाई और दुनिया के लगभग सभी धर्मों को मानने वाले लोग रहते हैं, वहीं दूसरी तरफ इस देश में करोड़ों नास्तिक लोग भी समान संवैधानिक और सामाजिक अधिकारों के साथ मौजूद हैं। उन्होंने कहा कि भारत दुनिया का एकमात्र ऐसा देश है, जहां सभी धर्मों के त्योहार और खुशी के अन्य अवसर एकसाथ मनाए जाते हैं, हमें इस साझा सांस्कृतिक विरासत और सह अस्तित्व की परंपरा को मजबूत बनाए रखने की जरूरत है।
मुख्तार अब्बास नक़वी ने कहा कि दुनिया के लगभग सभी धर्मों के अनुयायी भारत में रहते हैं और उनके धार्मिक, सामाजिक, आर्थिक, शैक्षिक अधिकारों की संवैधानिक एवं सामाजिक गारंटी और सुरक्षा विविधता में एकता की हमारी ताकत की खूबसूरती है। उन्होंने कहा कि धार्मिक कट्टरता और असहिष्णुता की भावना भारत को कभी नुकसान नहीं पहुंचा सकती, क्योंकि हमारा देश दुनिया में आध्यात्मिक और धार्मिक ज्ञान का सबसे बड़ा केंद्र और सर्वधर्म समभाव और वसुधैव कुटुम्बकम की प्रेरणा का स्रोत भी है। इस अवसर पर अल्पसंख्यक कार्य राज्यमंत्री जॉन बारला, राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष सरदार इकबाल सिंह लालपुरा, अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय की सचिव रेणुका कुमार, आर्क बिशप अनिल जोसेफ, बिशप सुबोध सी मंडल और देशभर के धार्मिक, सामाजिक, शिक्षा, स्वास्थ्य और कला एवं संस्कृति के क्षेत्र से जुड़े गणमान्य लोग भी उपस्थित थे।