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Saturday 2 October 2021 05:20:19 PM
लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने आवास पर विक्रम सम्पत की लिखी पुस्तक ‘सावरकर-एक भूले-बिसरे अतीत की गूंज’ का विमोचन किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि आजादी के 75वें वर्ष के उपलक्ष्य में आजादी के अमृत महोत्सव तथा पितृपक्ष में प्रखर राष्ट्रभक्त विनायक दामोदर सावरकर, जिन्हें वीर सावरकर के नाम से ज्यादा जाना जाता है का स्मरण वास्तव में उनके प्रति एक सच्ची श्रद्धांजलि है। उन्होंने कहा कि स्वाधीन भारत के लिए अपना सबकुछ न्योछावर करने वाले स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के संघर्ष, त्याग और बलिदान का आदरपूर्वक स्मरण हम सभी का कर्तव्य है। उन्होंने कहा कि वीर सावरकर का स्मरण कार्यक्रम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में आजादी के अमृत महोत्सव के माध्यम से आयोजित किया जा रहा है, इस दृष्टि से वीर सावरकरजी पर विक्रम सम्पत की पुस्तक का प्रकाशन अत्यंत प्रासंगिक, सराहनीय और अभिनंदनीय है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि वीर सावरकर बहुआयामी प्रतिभा और व्यक्तित्व के धनी थे, उन्होंने स्वाधीनता आंदोलन में अग्रणी रहने के साथ-साथ पत्रकारिता, दर्शन, साहित्य, इतिहास, अस्पृश्यता निवारण, समाज सुधार और वैज्ञानिक दृष्टिकोण का प्रचार-प्रसार करने में महत्वपूर्ण योगदान किया। योगी आदित्यनाथ ने कहा कि वीर सावरकर ने अपनी 10 वर्ष की आयु से ही भारत को स्वतंत्र कराने की अलख जगा दी थी, देश को स्वतंत्र कराने के लिए वीर सावरकर अंडमान की सेल्युलर जेल की कोठरी में वर्षों तक रहे, उन्हें दो बार आजन्म कारावास की सजा दी गई। योगी आदित्यनाथ ने कहा कि इस दौरान वीर सावरकर ने कभी नाखूनों को बढ़ाकर, कभी कील-कांटों से अथवा बर्तनों को घिस-घिस कर उनकी नोकों से कोठरी की चारों दीवारों पर साहित्यिक रचनाएं उकेरीं, जिनपर आज भी सहज विश्वास नहीं होता। उन्होंने कहा कि कभी नाटक, कभी कविता, कभी उपन्यास, कभी इतिहास और कभी आत्मकथा, इन सभी विधाओं से उन्होंने प्रतिदिन कुछ न कुछ उन दीवारों पर लिखा, उन्हें कंठस्थ किया और मिटा दिया, यह सृजन प्रक्रिया निरंतर दस वर्ष तक चलती रही।
योगी आदित्यनाथ ने कहा कि वीर सावरकर ने अपनी पुस्तक ‘1857 का स्वातंत्र्य समर’ में सन् 1857 की शौर्यगाथा को देश के स्वाधीनता संघर्ष का प्रथम प्रयास बताया है, इस पुस्तक ने अनेक क्रांतिकारियों और युवाओं को राष्ट्र के प्रति अपना सर्वस्व न्योछावर करने की प्रेरणा दी है, उनसे प्रेरणा पाकर हजारों युवक क्रांति की मशाल लेकर अंग्रेजों से आजादी की लड़ाई में शामिल हुए थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि वीर सावरकर ने भारत को दुनिया की बड़ी ताकत के रूपमें स्थापित करने का संकल्प लिया था, उनका स्मरण निराशा और हताशा को पराजित कर उत्साह व उमंग पैदा करता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि वीर सावरकर का सम्बंध उत्तर प्रदेश के लखनऊ तथा गोरखपुर जनपदों से विशेष रूपसे रहा, उनके दर्शन व विचारों से प्रभावित होकर इस प्रदेश में भी लोग आजादी के पूर्व और उसके बाद देशभक्ति व राष्ट्रवाद को केंद्र बिंदु में रखते हुए कई आंदोलनों के सहभागी रहे। मुख्यमंत्री ने कहा कि जो सपना वीर सावरकर ने 100 वर्ष पूर्व देखा था, आज भारत का नवनिर्माण उसी स्वप्न और विचारों के अनुरूप हो रहा है, आज के भारत में अलगाववाद, आतंकवाद और उग्रवाद के लिए कोई स्थान नहीं है। मुख्यमंत्री ने कहा कि वीर सावरकर की दृष्टि भारत की सुरक्षा, सम्प्रभुता और अक्षुणता को बनाए रखने की थी, भारत की सनातन परंपरा और मूल्यों को कायम रखकर ही हम मानवता की सुरक्षा कर सकते हैं, देश और दुनिया को नई दिशा दे सकते हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि विक्रम सम्पत ने अथक परिश्रम करके दुनिया के विभिन्न देशों में जाकर शोध और तथ्यपरक दस्तावेजों के आधार पर गम्भीर अध्येता के रूपमें वीर सावरकर के व्यक्तित्व और कृतित्व को प्रदर्शित करने का अभिनव प्रयास किया है, जो आज के समय की आवश्यकता है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि पुस्तक के माध्यम से पाठकों को वीर सावरकर के व्यक्तित्व की उपयोगी जानकारी प्राप्त होगी। पुस्तक के लेखक विक्रम सम्पत ने मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि इस पुस्तक का प्रकाशन एक श्रमसाध्य कार्य था, जिसमें उन्हें अपनी माँ का अतुलनीय सहयोग और मार्गदर्शन प्राप्त हुआ। उन्होंने वीर सावरकर को भारत का महान सपूत और सच्चा देशभक्त बताते हुए कहा कि उनके व्यक्तित्व को एक पुस्तक के रूपमें समेटना कठिन कार्य था, मगर उन्हें इसमें सफलता मिली। उन्होंने बताया कि वीर सावरकर की जीवनी को तथ्यों और दस्तावेजों के आलोक में प्रकाशित किया गया है। इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश कुमार अवस्थी, अपर मुख्य सचिव सूचना नवनीत सहगल, प्रभा खेतान फाउंडेशन, एहसास महिला संगठन, पेंगुइन रेंडम हाउस के पदाधिकारीगण, मीडियाकर्मी, लेखक एवं गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।