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Thursday 7 October 2021 03:52:01 PM
नई दिल्ली। मध्य एशियाई उड़ान मार्ग, आर्कटिक और हिंद महासागरों के बीच यूरेशिया के एक बड़े क्षेत्र को कवर करता है, इस उड़ान मार्ग पर पक्षियों के कई महत्वपूर्ण प्रवास मार्ग हैं, इनमें भारत मध्य एशियाई उड़ान मार्ग के अंतर्गत 30 देश आते हैं। मध्य एशियाई उड़ान मार्ग में प्रवासी पक्षियों और उनके आवासों के संरक्षण कार्यों पर इसके रेंज देशों की दो दिवसीय ऑनलाइन बैठक हुई। इस अवसर पर पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि प्रवासी पक्षियों को बचाने का अर्थ है-आर्द्रभूमि, स्थलीय आवासों और पारिस्थितिकी तंत्र को बचाना। उन्होंने कहाकि प्रवासी पक्षियों के संरक्षण के महत्व पर विचार करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फरवरी 2020 में गांधीनगर में प्रवासी प्रजातियों पर 13वें कॉंफ्रेंस ऑफ पार्टीज सम्मेलन का उल्लेख किया जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत सभी मध्य एशियाई फ्लाईवे रेंज देशों के सक्रिय सहयोग से प्रवासी पक्षियों के संरक्षण को एक नए प्रतिमान तक लेजाने का इच्छुक है और उसे मध्य एशियाई उड़ान मार्ग पर प्रवासी पक्षियों के संरक्षण की कार्य योजना को सुगम करने पर प्रसन्नता होगी।
पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने उन इको-सिस्टम में प्रवासी पक्षियों की बेहद जरूरी और अपरिहार्य भूमिका पर खास जोर दिया, जिनमें वे रहते हैं और यात्रा करते हैं। उन्होंने कहा कि पक्षी खुद में दोबारा खुराक भरने केलिए जिन आवासों का इस्तेमाल करते हैं, उन्हें समन्वित सूचना साझा करके असरदार ढंग से प्रबंधित किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि दुनिया की 11,000 पक्षी प्रजातियों में पांच में से तकरीबन 1 प्रजाति माइग्रेट करती है, जिनमें से कुछ तो बहुत अधिक दूरी तय करती हैं, इन प्रवासी पक्षियों के संरक्षण केलिए देशों और राष्ट्रीय सीमाओं के बीच पूरे उड़ान मार्ग के साथ-साथ सहयोग और समन्वय की आवश्यकता होती है। भारत ने सीएएफ रेंज देशों के साथ भारतीय वन्यजीव संस्थान में दो दिवसीय ऑनलाइन बैठक का आयोजन किया था, जहां भारत ने सीएएफ रेंज देशों के साथ प्रवासी पक्षियों के संरक्षण से जुड़ी अपनी सर्वोत्तम प्रथाओं और राष्ट्रीय कार्य योजना को साझा किया। बैठक में गतिविधियों व संरक्षण प्राथमिकताओं और सीएएफ के भीतर उठाए जाने वाले कदमों के बारे में जानकारी साझा की गई।
प्रवासी पक्षियों पर सीएमएस सीओपी 13 के दौरान एक प्रस्ताव अपनाया गया था, जिसमें अन्य बातों के साथ-साथ सीएमएस की छत्रछाया में अन्य रेंज देशों और संबंधित हितधारकों के साथ परामर्श करते हुए और भारत के नेतृत्व में सीओपी14 तक एक संस्थागत ढांचे की स्थापना का प्रावधान किया गया था। इसका मकसद संरक्षण प्राथमिकताओं एवं संबंधित कार्यों पर सहमत होना और इस क्षेत्र में प्रवासी पक्षियों केलिए संरक्षण रूपी कार्रवाई के कार्यांवयन के साथ संबंधित पक्षों का समर्थन करने के उपाय करना है। इसमें अनुसंधान, अध्ययन आकलन, क्षमता निर्माण और संरक्षण पहल को बढ़ावा देना शामिल है, जिससे सीएमएस के कार्यांवयन को और इसके पक्षियों से संबंधित उपकरणों को मजबूत किया जा सके। प्रवासी पक्षियों पर बैठक में सीएएफ रेंज देशों के प्रतिनिधि, सीएमएस के प्रतिनिधि, इसके सहयोगी संगठन, दुनियाभर के इस क्षेत्र के विशेषज्ञ, वैज्ञानिक, अधिकारी और राज्य एवं केंद्रशासित प्रदेश की सरकारों के प्रतिनिधि शामिल हुए।