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Saturday 16 October 2021 12:37:13 PM
पोर्ट ब्लेयर। गृहमंत्री अमित शाह अंडमान-निकोबार की तीन दिवसीय यात्रा के पहले दिन पोर्ट ब्लेयर में ऐतिहासिक सेल्युलर जेल में शहीद स्तंभ पर गए और महान स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर समेत शहीदों को श्रद्धासुमन अर्पित किए। उन्होंने गो-गो टूरिस्ट बसों को झंडी दिखाकर रवाना किया। अमित शाह ने यहां आज़ादी के अमृत महोत्सव कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि उन्हें दूसरी बार इस तीर्थस्थल पर आने का मौक़ा मिला है और वो जब भी यहां आते हैं, एक नई ऊर्जा और प्रेरणा लेकर जाते हैं। उन्होंने कहा कि ये वो जगह है, जहां अनेक जाने-अनजाने स्वतंत्रता सेनानियों ने अमानवीय यातनाएं सहकर, सर्वस्व बलिदान देकर भी वंदे मातरम और भारत माता की जय का उद्घोष किया है। उन्होंने कहा कि देशभर के लोगों केलिए अंग्रेज़ों की बनाई सेल्युलर जेल आज सबसे बड़ा तीर्थस्थान है, इसीलिए सावरकरजी कहते थे कि तीर्थों में ये महातीर्थ है, जहां आज़ादी की ज्योति प्रज्वलित करने केलिए अनेकानेक बलिदान हुए हैं।
गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि उनकी इस तीर्थस्थान की ये यात्रा इसीलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह वर्ष आज़ादी के अमृत महोत्सव का वर्ष है, आज़ादी के संग्राम से प्रेरणा लेकर फिरसे अपने आपको देश केलिए समर्पित करने का वर्ष है और जब देश की आज़ादी के सौ साल पूरे होंगे, तब भारत कितना महान होगा, इसका संकल्प लेने का वर्ष है। उन्होंने कहा कि इसीलिए देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस वर्ष को बहुत उत्साह के साथ आज़ादी का अमृत महोत्सव के रूपमें मनाने का निर्णय लिया है और देश की जनता इस फैसले से ना केवल ख़ुश है, बल्कि इसमें सहभागी बनने केलिए उत्साहित भी है। अमित शाह ने कहा कि विजयदशमी को बुराई पर अच्छाई की विजय के प्रतीक के रूपमें मनाया जाता है और आज़ादी का ये तीर्थस्थल भी बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है, यहीं पर ये संकल्प लिया गया था कि भारत को कोई ग़ुलाम नहीं रख सकता, कितना भी ताक़तवर शासन हो, उसे कोई अधिकार नहीं है इस महान देश को ग़ुलाम बनाने का। उन्होंने कहा कि देश को आज़ाद हुए 75 साल होने वाले हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने दुनिया में अपना स्थान प्रथम पंक्ति के लोकतांत्रिक देश के नाते प्रस्थापित किया है।
अमित शाह ने कहा कि जिस रास्ते पर चलकर सात साल में लंबी मंज़िल काटकर हम यहां खड़े हैं, वो पीछे मुड़ने का नहीं, बल्कि आगे बढ़ने का रास्ता है, ये रास्ता वीर सावरकार, सान्याल और भाई परमानंद जैसे स्वतंत्रता सेनानियों की संकल्पना का भारत बनाने का रास्ता है। अमित शाह ने स्वतंत्रता वीर सचिन सान्याल की कोठरी में जाकर उनके चित्र पर माल्यार्पण किया। स्वतंत्रता सेनानियों में सचिन सान्याल ही एक ऐसे व्यक्ति थे, जिन्हें दो बार कालापानी की सज़ा दी गई थी। अमित शाह ने कहा कि पश्चिम बंगाल का देश के स्वतंत्रता संग्राम में बहुत बड़ा और विशिष्ट योगदान रहा है, सबसे ज़्यादा स्वतंत्रता सेनानी बंगाल और पंजाब से यहां पर आए थे। उन्होंने कहा कि ये देश केलिए गौरव की बात है कि जब सचिन सान्याल बड़ी यातनाएं सहन करने के बाद वापस गए तब भी उनका अंग्रेज़ों के ख़िलाफ़ संघर्ष और मां भारती को ग़ुलामी की ज़ंजीरों से स्वतंत्र कराने का उनका अभियान जारी रहा। गृहमंत्री ने कहा कि सेल्युलर जेल को अपने मनोभाव से तीर्थस्थान बनाने का काम वीर सावरकर ने किया, दस साल में उन्होंने न जाने कितने अत्याचार सहे और कितने ही स्वतंत्रता सेनानियों को फांसी पर चढ़ते देखा, फिर भी वे दृढ़ता के साथ स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े रहे। अमित शाह ने यहां सभी तत्कालीन यातनास्थल देखे।
गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि वीर सावरकर को वीर की उपाधि सरकार या प्रशासन ने नहीं दी, बल्कि 130 करोड़ों लोगों ने ही उनके नाम के आगे उनके पराक्रम और देशभक्ति की स्वीकारोक्ति केलिए वीर शब्द जोड़ा है। उन्होंने कहा कि आज कुछ लोग वीर सावरकर के जीवन पर सवाल उठा रहे हैं, इससे बड़ा दुख और दर्द होता है कि जिस व्यक्ति को एक ही जीवन में दो बार सज़ा हुई हो, उस व्यक्ति की देशभक्ति पर सवाल उठाए जा रहे हैं, जिस व्यक्ति ने कई किलोमीटर दूर स्टीमर से छलांग लगाकर भारत केलिए लड़ने का फ़ैसला किया, फ्रांस जाने का फ़ैसला किया, उस व्यक्ति की वीरता पर प्रश्नचिन्ह लगाए जा रहे हैं, जो कोल्हू का बैल बनकर 30 पाउंड तेल निकालने की सज़ा झेलता रहा, उस व्यक्ति की देशभक्ति पर आप सवाल उठा रहे हैं? ऐसे लोगों को शर्म आनी चाहिए। गृहमंत्री ने कहा कि एक बार इस तीर्थस्थान पर आकर देखिए, सभी शंकाओं का समाधान हो जाएगा। अमित शाह ने कहा कि यहां स्वतंत्रता सेनानियों की स्मृति में एक अमर ज्योति थी, जो 24 घंटे और 365 दिन पूरे भारत को प्रेरणा देती थी और उसपर वीर सावरकर का नाम था, जिसे उखाड़ दिया गया था, लेकिन उखाड़ने वालों का समय लंबा नहीं होता है और आज गौरव के साथ वहां फिर वीर सावरकर का नाम अमर है।
गृहमंत्री ने कहा कि अच्छा जीवन जीने केलिए वीर सावरकर के पास भी सब सुविधाएं थीं, वे बहुत विद्वान व्यक्ति थे और अनेक भाषाएं जानते थे, वे बहुत बड़े समाज सुधारक, स्वतंत्रता सेनानी, ऊर्जावान वक्ता थे और मां सरस्वती की उनपर बड़ी कृपा थी, वे बहुत बड़े विचारक और साहित्यकार थे और इतने वीर कि उन्हें दो बार कालापानी हुआ। गृहमंत्री ने कहा कि उनका देश के प्रति समर्पण और उत्कृष्ट भावना का उदाहरण है भारत के युवाओं केलिए यह प्रेरणास्थल है, यहां आकर ऊर्जा, प्रेरणा और शक्ति तीनों प्राप्त होती है। अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज़ादी का अमृत महोत्सव मनाने का निर्णय इसलिए लिया है, ताकि देशवासियों और विशेषकर युवा पीढ़ी को आज़ादी के संग्राम की जानकारी मिले, उनको अनेकानेक जाने-अनजाने और गुमनाम शहीदों की वीरता और उनके योगदान का परिचय मिले। अमित शाह ने कहा कि इस जेल का इतिहास है कि 1857 की क्रांति से लेकर 1938 तक अंग्रेजों के लिए जो सिरदर्द बन जाते थे, उन सभी स्वतंत्रता सेनानियों को यहां लाया जाता था, लगभग एक हज़ार स्वाधीनता सेनानियों ने अपने जीवन के उत्तम वर्ष यहां यातनाएं सहते सहते बिताए, कई लोगों ने यहीं पर दम तोड़ दिया और कई लोग पागल भी हो गए, लेकिन वे अंग्रेजों के सामने झुके नहीं।
गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि 1857 की क्रांति के बाद यहां जो पहला जत्था लाया गया, उसमें से 90 प्रतिशत लोग सांस्कृतिक विद्वान, ज़मींदार, बड़े बड़े सेनानी और योद्धा थे, ऐसे लोगों को यहां मज़दूरी व जेल बनाने के काम में लगा दिया गया था, लेकिन फिर भी उन्होंने माफ़ीनामा नहीं दिया। उन्होंने देशभक्ति की ज्वाला को एक पल के लिए भी बुझने नहीं दिया और निरंतर आज़ादी के लिए लड़ते रहे। गृहमंत्री ने कहा कि महाराष्ट्र के फड़केजी, मणिपुर के स्वतंत्रता संग्राम के योद्धा, पंजाब के ग़दर आंदोलन के योद्धा और बंगाल की अनुशीलन समिति के लोग यहां लाए गए, अलीपुर मामले के स्वतंत्रता सेनानी लाए गए। उन्होंने कहा कि ऐसे वीर सेनानियों की एक लंबी सूची है, जिन्होंने यहां मां भारती के लिए यातनाएं सहीं। अमित शाह ने देश के युवाओं से अपील कीकि वे स्वतंत्रता सेनानियों की सेल्यूलर जेल के इस महान तीर्थस्थल का यातनास्थल देखें। उन्होंने देशवासियों से अपील कीकि वे एक बार यहां अवश्य आएं।
अमित शाह ने कहा कि अंडमान निकोबार मे जो कनेक्टिविटी की समस्या थी उसका प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2018 में सबमरीन ऑप्टिकल फाइबर योजना की नींव रखकर और 2020 में इसका लोकार्पण कर दिया है। उन्होंने कहा कि विकास की दृष्टि से और एडमिनिस्ट्रेशन को किस तरह से चलाया जा सकता है इसका उत्कृष्ट उदाहरण अंडमान निकोबार में भी दिखाई पड़ता है। उन्होंने कहा कि 1224 करोड़ रूपये की समंदर के अंदर केबल डालना, प्रमुख द्वीपों को जोड़ना और पोर्ट ब्लेयर में 200 जीबीपीएस तथा अन्य द्वीपों में 100 जीबीपीएस की दूरसंचार की ब्रेंड उपलब्ध कराने का यह भगीरथ काम 2 साल में पूरा किया गया है। गृहमंत्री ने कहा कि एअरलिफ्ट पॉइंट भी मोदीजी ने बनाया, नेताजी यहां आए थे और सबसे पहला अंग्रेजों से स्वतंत्र होने का सम्मान भारत में अगर किसी भूभाग को है तो अंडमान निकोबार को है। उन्होंने कहा कि भारत का राष्ट्र ध्वज यहां सबसे पहले नेताजी ने 1943 में फहराया था और उसी जगह पर 100 फुट ऊंचा तिरंगा फहराने का काम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया है।
गृहमंत्री ने कहा कि तीन द्वीपों का पुन: नामकरण भी किया गया, हैवलॉक द्वीप का नाम बदलकर स्वराजदीप किया गया, नील द्वीप का नाम शहीद द्वीप, जिन्होंने यहां बलिदान दिया उनको श्रद्धांजलि देने का काम किया और रॉस द्वीप का नाम नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वीप रखा गया, क्योंकि भलेही सुभाष चंद्र बोस ने 2 साल के अल्पकाल के लिए इस भूमि को स्वतंत्र कराया था, मगर अब चिरकाल के लिए सनातन काल केलिए यह भूमि स्वतंत्रता प्राप्त कर चुकी है, इसका प्रतीक यह सुभाष चंद्र बोस द्वीप है, इसलिए उसका नाम रखा गया। अमित शाह ने कहा कि अंडमान निकोबार द्वीपसमूह में 20 मेगा वाट ग्राउंड माउंटेन सोलर पावर प्लांट की स्थापना की गई, इलेक्ट्रॉनिक कार और बसों का उपयोग बढ़ाया गया है, 500 यात्री व 150 मालवाहक जहाज़ों की शुरुआत की गई है, स्मार्ट मीटरिंग का काम पूरा हो चुका है, धानी खाड़ी बांध की ऊंचाई बढ़ाकर पीने के पानी की व्यवस्था की गई है, मेडिकल कॉलेज 2015 में ही शुरू कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि जल जीवन मिशन के तहत द्रुतगति से काम शुरू हो गया है, स्वास्थ्य कल्याण के अंदर 95 लक्ष्य के मुकाबले 129 स्वास्थ्य और सेहत केंद्रों की शुरुआत करने का काम भी पूरा कर दिया गया है। इस अवसर पर अंडमान तथा निकोबार द्वीप समूह के उपराज्यपाल डीके जोशी और केंद्रीय गृह सचिव एवं गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।