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Wednesday 20 October 2021 05:35:31 PM
कुशीनगर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज कुशीनगर के महापरिनिर्वाण मंदिर में अभिधम्म दिवस पर एक भव्य कार्यक्रम में शामिल हुए और कहा कि भगवान बुद्ध का शांति और मानवता का संदेश पूरे विश्व के लिए है, बुद्ध का धम्म मानवता के लिए है। उन्होंने कहा कि बुद्ध इसीलिए ही वैश्विक हैं, क्योंकि बुद्ध अपने भीतर से शुरुआत करने के लिए कहते हैं, भगवान बुद्ध का बुद्धत्व है-सर्वोच्च जिम्मेदारी की भावना। प्रधानमंत्री ने कहा कि बुद्ध आज भी भारत के संविधान की प्रेरणा हैं, बुद्ध का धम्म-चक्र भारत के तिरंगे पर विराजमान होकर हमें गति दे रहा है, भगवान बुद्ध का संदेश ‘अप्प दीपो भव’ भारत के लिए आत्मनिर्भर बनने की प्रेरणा है। नरेंद्र मोदी ने कहा कि दुनिया के पास हथियार हैं और हमारे पास बुद्ध हैं।
महापरिनिर्वाण मंदिर में अभिधम्म दिवस पर उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, केंद्रीय संस्कृति और पर्यटन मंत्री जी किशन रेड्डी, विधि और न्याय मंत्री किरेन रिजिजू, नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, श्रीलंका सरकार में कैबिनेट मंत्री नमल राजपक्षे, श्रीलंका का बौद्ध प्रतिनिधिमंडल, म्यांमार, वियतनाम, कंबोडिया, थाईलैंड, लाओस, भूटान, दक्षिण कोरिया, श्रीलंका, मंगोलिया, जापान, सिंगापुर, नेपाल के राजनयिक, बौद्ध भिक्षु और अतिथि उपस्थित थे। प्रधानमंत्री ने अश्विन पूर्णिमा पर भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेषों की उपस्थिति का उल्लेख किया। उन्होंने श्रीलंका के प्रतिनिधिमंडल का स्वागत करते हुए भारत और श्रीलंका के बीच अच्छे संबंधों को भी याद किया और सम्राट अशोक के बेटे महेंद्र और बेटी संघमित्रा द्वारा श्रीलंका में बौद्ध धर्म का संदेश प्रसारित करने का उल्लेख किया। प्रधानमंत्री ने यह भी टिप्पणी कीकि ऐसा माना जाता है कि आज के ही दिन ‘अर्हत महिंदा’ ने वापस आकर अपने पिता को बताया था कि श्रीलंका ने बुद्ध का संदेश कितनी आत्मिक ऊर्जा से अंगीकार किया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि इस समाचार ने यह विश्वास बढ़ाया था कि बुद्ध का संदेश पूरे विश्व के लिए है, बुद्ध का धम्म मानवता के लिए है। भगवान बुद्ध के संदेश को फैलाने में अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ की भूमिका की सराहना करते हुए प्रधानमंत्री ने अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ के महानिदेशक शक्ति सिन्हा के योगदान के लिए उन्हें याद किया, जिनका हाल ही में निधन हो चुका है। प्रधानमंत्री ने कहा कि आज एक और महत्वपूर्ण अवसर है-भगवान बुद्ध के तुषिता स्वर्ग से वापस धरती पर आने का! इसलिए आश्विन पूर्णिमा को हमारे भिक्षुगण अपने तीन महीने का ‘वर्षावास’ भी पूरा करते हैं। नरेंद्र मोदी ने कहा कि आज उन्हें भी वर्षावास के उपरांत संघ भिक्षुओं को चीवर दान का सौभाग्य मिला है। प्रधानमंत्री ने कहा कि आज जब दुनिया पर्यावरण संरक्षण की बात करती है, जलवायु परिवर्तन की चिंता जाहिर करती है तो उसके साथ अनेक सवाल उठ खड़े होते हैं, लेकिन अगर हम बुद्ध के संदेश को अपना लेते हैं तो ‘किसको करना है’, इसकी जगह ‘क्या करना है’, इसका मार्ग अपने आप दिखने लगता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि बुद्ध मानवता की आत्मा में निवास करते हैं और विभिन्न संस्कृतियों और देशों को जोड़ रहे हैं, भारत ने उनकी शिक्षा के इस पहलू को अपने विकास की यात्रा का हिस्सा बनाया है। उन्होंने कहा कि भारत ने कभी भी महान आत्माओं के ज्ञान, महान संदेशों या विचारों को सीमित करने में विश्वास नहीं किया, जो कुछ हमारा था वह पूरी मानवता के साथ साझा किया गया, यही कारण है कि अहिंसा और करुणा जैसे मानवीय मूल्य भारत के हृदय में इतने स्वाभाविक रूप से बसे हुए हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि बुद्ध आज भी भारत के संविधान की प्रेरणा हैं, बुद्ध का धम्म-चक्र भारत के तिरंगे पर विराजमान होकर हमें गति दे रहा है, आज भी भारत की संसद में कोई जाता है तो इस मंत्र पर नज़र जरूर पड़ती है-‘धर्म चक्र प्रवर्तनाय’। गुजरात में भगवान बुद्ध के प्रभाव पर बात करते हुए विशेषकर अपने जन्मस्थल वडनगर में उनके प्रभाव का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि बुद्ध का प्रभाव देश के पश्चिमी और दक्षिणी हिस्सों में पूर्वी भागों के समान ही दिखाई देता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि गुजरात का अतीत दर्शाता है कि बुद्ध सीमाओं और दिशाओं से परे थे, गुजरात की भूमि में पैदा हुए महात्मा गांधी बुद्ध के सत्य और अहिंसा के संदेश के आधुनिक ध्वजवाहक थे। प्रधानमंत्री ने बुद्ध के संदेश अप्प दीपो भव यानी अपने दीपक स्वयं बनो, के संदेश का उल्लेख करते हुए कहा कि जब व्यक्ति स्वयं प्रकाशित होता है, तभी वह संसार को भी प्रकाश देता है। उन्होंने कहा कि यही भारत के लिए आत्मनिर्भर बनने की प्रेरणा है, यही वह प्रेरणा है जो हमें दुनिया के हर देश की प्रगति में सहभागी बनने की ताकत देती है। प्रधानमंत्री ने यह भी टिप्पणी की कि भगवान बुद्ध की शिक्षाओं को भारत सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास के मंत्र में आगे बढ़ा रहा है।