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Friday 29 October 2021 12:55:55 PM
पणजी। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने कहा हैकि विषयों के सख्त अलगाव का युग समाप्त हो गया है और उच्चशिक्षा में एक बहुविषयक दृष्टिकोण अपनाने का आह्वान किया, ताकि हर प्रकार से योग्य शिक्षित व्यक्तियों और बेहतर शोध परिणामों को प्राप्त किया जा सके। उन्होंने देश के विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थानों में मानविकी को समान महत्व देने की आवश्यकता पर भी बल दिया। उपराष्ट्रपति ने गोवा के पेरनेम में संत सोहिरोबनाथ अंबिए गवर्नमेंट कॉलेज ऑफ आर्ट्स एंड कॉमर्स के नए परिसर का उद्घाटन करते हुए कहा कि कला और सामाजिक विज्ञान के सम्पर्क में आनेसे यह माना जाता हैकि छात्रों में रचनात्मकता बढ़ने, उनकी सोच में महत्वपूर्ण सुधार और परस्पर संवाद में वृद्धि होती है। उन्होंने कहाकि 21वीं सदी की अर्थव्यवस्था में इन गुणों की अत्यधिक मांग है।
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने न केवल विज्ञान, बल्कि सामाजिक विज्ञान, भाषाओं और वाणिज्य तथा अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में विश्वस्तर के शोधकर्ताओं को तैयार करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने राज्य के कई संस्थानों में वाणिज्य और आर्थिक प्रयोगशालाओं तथा भाषा प्रयोगशालाओं की स्थापना केलिए गोवा सरकार की प्रशंसा की। भारत को 50 खरब अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के हमारे प्रयासों में वाणिज्य को एक महत्वपूर्ण क्षेत्र बताते हुए उपराष्ट्रपति ने ई-कॉमर्स के आगमन के बाद इस विषय में तेजी से हो रहे परिवर्तनों की ओर ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने इस अवसर पर उपस्थित शिक्षकों और छात्रों से कहा कि मैं आपसे वैश्विक स्तर पर व्यापार और वाणिज्य में भारत को अग्रणी राष्ट्र बनाने के लिए वाणिज्य के इन उभरते क्षेत्रों में अनुसंधान करने का आग्रह करूंगा। उन्होंने कहाकि नालंदा, विक्रमशिला और तक्षशिला जैसी उन्नत शिक्षा के कई प्रसिद्ध संस्थान प्राचीन भारत में ही थे, हमें उसी पिछले गौरव को फिर से हासिल करना है और भारत को शिक्षा, अनुसंधान और नवाचार के क्षेत्र में एक अग्रणी राष्ट्र बनाना है।
भारत के गौरवशाली अतीत और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के बारे में युवा पीढ़ी को सिखाने की आवश्यकता पर बल देते हुए उपराष्ट्रपति ने औपनिवेशिक मानसिकता से बाहर आने और हमारी शिक्षा प्रणाली का भारतीयकरण करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि हमें दुनिया में कहीं से भी अच्छी चीजें सीखनी और स्वीकार करनी चाहिएं, लेकिन इसके साथ ही भारतीय सभ्यता के मूल्यों पर भी मजबूती से टिके रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि छात्रों को गोवा की मुक्ति और इसके लिए कई महापुरुषों के बलिदान के बारे में पढ़ाया जाना चाहिए। गोवा राज्य की प्राकृतिक और सांस्कृतिक समृद्धि की सराहना करते हुए वेंकैया नायडू ने इनके संरक्षण का आह्वान किया। उन्होंने स्कूली स्तर की शिक्षा में मातृभाषा को बढ़ावा देने की जरूरत पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि नवाचार विकास का एक प्रमुख संचालक है और भारत, सूचना संचार एवं प्रौद्योगिकी में अपनी बढ़त और शिक्षित युवा जनसंख्या केसाथ ज्ञान-आधारित अर्थव्यवस्था में विश्व नेता बनने की क्षमता रखता है। उन्होंने कहाकि हमें अपने विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षा संस्थानों में अनुसंधान और नवाचार के लिए सही पारिस्थितिकी तंत्र बनाने की जरूरत है।
उपराष्ट्रपति ने विभिन्न विश्वविद्यालयों के शिक्षाविदों और कुलपतियों से शिक्षा नीति-2020 के उद्देश्यों के अनुरूप अनुसंधान पर आवश्यक जोर देने का भी आग्रह किया। उन्होंने बहुविषयक परियोजनाओं में अनुसंधान कार्य को बढ़ावा देने केलिए गोवा राज्य अनुसंधान फाउंडेशन की स्थापना की योजना के लिए गोवा सरकार की प्रशंसा की। उच्च शिक्षा के महत्व पर प्रकाश डालते हुए उपराष्ट्रपति ने कहाकि यह छात्रों को अधिक सार्थक और उत्पादक भूमिकाओं केलिए तैयार करने केसाथ-साथ जीवन स्तर को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। उन्होंने कहाकि गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा सभी विकसित अर्थव्यवस्थाओं की पहचान है। उच्च शिक्षा के क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन करने के लिए गोवा राज्य की प्रशंसा करते हुए उन्होंने महिलाओं केलिए उच्चशिक्षा में सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) को राष्ट्रीय औसत 27.3% के मुकाबले 30% पर रखने केलिए भी राज्य की सराहना की। उच्च शिक्षा में पुरुष छात्रों की तुलना में अधिक संख्या में महिला छात्रों केलिए राज्य की सराहना करते हुए उन्होंने कहाकि यह एक बहुत अच्छा संकेत है और इसे अन्य राज्यों के लिए प्रेरणा के रूपमें काम आना चाहिए।
सभी केलिए समग्र शिक्षा प्रदान करने के प्रयासों केलिए गोवा सरकार की सराहना करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहाकि सरकारों को नवीनतम शैक्षिक बुनियादी ढांचे के निर्माण में निवेश करना चाहिए, ताकि गरीब और वंचित भी किफायती दरों पर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त कर सकें। उन्होंने छात्रों और शिक्षकों को उभरते अवसरों को पहचानने और 21वीं सदी की दुनिया का सामना करने के लिए अपने कौशल को उन्नत करने और एक नया भारत-एक मजबूत, स्थिर और समृद्ध भारत बनाने का भी आह्वान किया। उपराष्ट्रपति ने खुशी व्यक्त कीकि पेरनेम कॉलेज ने पिछले कुछ वर्ष में लगातार प्रगति की है और आशा व्यक्त कीकि कॉलेज में विस्तारित सुविधाओं से क्षेत्र के ग्रामीण छात्रों को भी लाभ मिलेगा। उन्होंने छात्रों के सर्वांगीण विकास के लिए खेल पर ध्यान केंद्रित करने केलिए भी कॉलेज की प्रशंसा की और संकाय और छात्रों को हमेशा गुणवत्ता के स्तर को ऊंचा रखने और अपने लिए चुने हुए क्षेत्र में उत्कृष्टता केलिए प्रयास करने को कहा। उन्होंने कहाकि विकास की खोज में प्रकृति की उपेक्षा नहीं की जानी चाहिए, एक तितली और एक बगीचा भी नवीनतम प्रौद्योगिकी उपकरणों की तरह ही महत्वपूर्ण हैं, इसीलिए मैं हमेशा छात्रों को अपना आधा समय कक्षा में और शेष आधा खेल के मैदान या प्रकृति की गोद में बिताने की आवश्यकता की वकालत किया करता हूं।
वेंकैया नायडू ने युवाओं को गतिहीन जीवन शैली, अस्वास्थ्यकर आहार की खपत और हानिकारक पदार्थों की आदतों से बचने की सलाह दी। उपराष्ट्रपति ने उन्हें बताया कि नियमित व्यायाम या योग करके शारीरिक रूपसे स्वस्थ रहना महत्वपूर्ण है। गोवा राज्य और उसके लोग उनके मन में एक विशेष स्थान रखते हैं, वेंकैया नायडू ने कहा कि जबभी वह इस खूबसूरत जगह की यात्रा करते हैं तो वह स्वयं को फिरसे ऊर्जावान महसूस करते हैं। उन्होंने कहा कि कई प्रख्यात भारतीय व्यक्तित्व या तो गोवा में पैदा हुए थे अथवा इस प्राकृतिक रूपसे सुंदर और सांस्कृतिक रूपसे जीवंत राज्य में अपनी जड़ें ढूंढ़ते रहे हैं। उन्होंने पेरनेम के 18वीं शताब्दी के कवि संत सोहिरोबनाथ अंबिए को उद्धृत किया, जिन्होंने कहा थाकि कभी भी अपने दिल में ज्ञान के दीपक को बुझाएं नहीं। गोवा के राज्यपाल पीएस श्रीधरन पिल्लई, गोवा के मुख्यमंत्री डॉ प्रमोद सावंत, केंद्रीय पर्यटन राज्यमंत्री श्रीपद नाइक, उप मुख्यमंत्री बाबू अजगांवकर, गोवा के मुख्यसचिव परिमल राय, जनप्रतिनिधि, शिक्षक और छात्र इस अवसर पर उपस्थित थे।