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Tuesday 2 November 2021 03:24:55 PM
नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने वीडियो कॉंफ्रेंसिंग से भारतीय लोक प्रशासन संस्थान की आमसभा की 67वीं वार्षिक बैठक में कहा हैकि सुशासन को आखिरी छोर तक ले जाना चाहिए। उपराष्ट्रपति ने कहाकि सरकार ऐसी नीतियां और कार्यक्रम तैयार कर रही है, जिनका उद्देश्य भारत के विकास को तेजीसे सुनिश्चित करते हुए लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करके इसे सुख और आरामदायक बनाकर बेहतर बनाना है। उन्होंने कहाकि लोक प्रशासन के सिद्धांत और व्यवहार केलिए समर्पित एक प्रमुख संस्थान के रूपमें भारतीय लोक प्रशासन संस्थान को वितरण प्रणाली में क्षमता अंतराल को दूर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए। उन्होंने कहाकि आईआईपीए देश में सुशासन की नई लहर को उत्प्रेरणा देने केलिए एक उपयुक्त संगठन है।
उपराष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री जनधन योजना, आयुष्मान भारत बुनियादी संरचना मिशन, आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन और हाल ही में घोषित 100 लाख करोड़ के राष्ट्रीय अवसंरचना मास्टर प्लान गति शक्ति जैसी सरकार की पहलों का उल्लेख करते हुए कहाकि भारत स्पष्ट रूपसे परिवर्तनकारी पथ पर है। उन्होंने कहाकि हम लोगों की आशाओं और आकांक्षाओं, उनकी जरूरतों और अधिकारों, उनके कर्तव्यों एवं जिम्मेदारियों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, हम प्रत्येक भारतीय को सामाजिक परिवर्तन का एक सक्रिय धारक बना रहे हैं। वेंकैया नायडू ने कहाकि सरकार न्यूनतम सरकार-अधिकतम शासन को हासिल करने केलिए सरकार आमजन से दूरी को कम करने केलिए व्यवस्था और सुविधाओं, समस्याओं एवं समाधानों केबीच की खाई को पाटते हुए कठिनाइयों को दूर करके आम जनता की सुविधा केलिए प्रौद्योगिकी पर जोर दे रही है। उन्होंने कहाकि यह कल के भारत को आकार देने में भागीदारों के रूपमें निजी क्षेत्र और नागरिक समाज को व्यापक स्तरपर शामिल करके किया जा रहा है।
उपराष्ट्रपति ने कहाकि देश असंख्य सिविलसेवकों, जो शासन को बदलकर इस परिकल्पना को यथार्थ में परिवर्तित कर रहे हैं, वर्तमान महामारी का मुकाबला करने वाले चिकित्सा पेशेवरों, सीमाओं की सुरक्षा केलिए रक्षा बलों, खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने वाले किसानों और युवा दिमाग को आकार देने वाले शिक्षण संस्थानों का आभारी है। उन्होंने कहा कि वे सभी सरकार और संसद के बनाए गए प्रगतिशील कानूनों के माध्यमसे लोगों के जीवन को प्रभावित करने वाले घटकों को सकारात्मक परिणामों में बदल रहे हैं। उपराष्ट्रपति ने कहा कि महामारी के दौरान देश ने असाधारण क्षमता का प्रदर्शन किया और अपनी आंतरिक शक्तियों का सफलतापूर्वक दोहन करते हुए इन चुनौतियों को अवसरों में बदल दिया। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य सेवा के बुनियादी ढांचे में सुधार किया गया है, दवाओं और टीकों का उत्पादन बढ़ाया गया है और हमने 21 अक्टूबर 2021 को 100 करोड़ टीकाकरण की महत्वपूर्ण उपलब्धि को हासिल भी कर लिया है। उन्होंने कहा कि यह मजबूत, रणनीतिक, दूरदर्शी नेतृत्व, सक्षम और समर्पित कार्यांवयन व्यवस्था का परिणाम है।
टोक्यो ओलंपिक 2020 और टोक्यो पैरालंपिक 2020 का ज़िक्र करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहाकि आत्मनिर्भर भारत की भावना खेलों में भी दिखाई दे रही है। उन्होंने कहाकि भारत सरकार का खेलो इंडिया अभियान प्रतिभा की पहचान करने और खेल के बुनियादी ढांचे के विकास में मदद कर रहा है। उन्होंने कहाकि सरकार ने देशभर में 1000 खेलो इंडिया सेंटर स्थापित करने की योजना बनाई है और शहरी, ग्रामीण, आदिवासी और पिछड़े क्षेत्रों में खेल एवं खेल प्रतिभा को बढ़ावा देने केलिए दीनदयाल उपाध्याय राष्ट्रीय खेल कल्याण कोष, राष्ट्रीय खेल विकास कोष स्थापित करने का निर्णय लिया है। उपराष्ट्रपति ने कहाकि आईआईपीए वर्तमान और उभरती चुनौतियों के परिप्रेक्ष्य में स्वयं को पुनर्स्थापित कर रहा है। उन्होंने कहाकि आईआईपीए ने 2020-21 में सफलतापूर्वक 66 ऑनलाइन प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए हैं और 8353 अधिकारियों को प्रशिक्षित किया है। उन्होंने कहाकि आईआईपीए ने 60 शोध अध्ययन भी पूरे किए और वर्तमान प्रासंगिकता के विषयों पर 46 वेबिनारों का आयोजन किया है।
उपराष्ट्रपति ने केंद्रीय मंत्री और आईआईपीए कार्यकारी परिषद के अध्यक्ष डॉ जितेंद्र सिंह के नेतृत्व की सराहना की और कहाकि आईआईपीए कार्यकारी परिषद को प्रभावी बनाने केलिए पिछले एक वर्ष में आईआईपीए मेमोरेंडम ऑफ एसोसिएशन को प्रभावी, कुशल और अधिक प्रतिनिधित्वकारक बनाने केलिए नियमों में कई व्यापक संशोधन किए गए हैं। केंद्रीय मंत्री और आईआईपीए कार्यकारी परिषद के अध्यक्ष डॉ जितेंद्र सिंह, ईसी सदस्य, आईआईपीए और छत्तीसगढ़ के पूर्व राज्यपाल शेखर दत्त, आईआईपीए के महानिदेशक सुरेंद्रनाथ त्रिपाठी और गणमान्य व्यक्तियों ने वर्चुअल बैठक में भागादारी की।