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Sunday 7 November 2021 03:57:09 PM
पूसा (बिहार)। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडु ने डॉ राजेंद्र प्रसाद कृषि विश्वविद्यालय पूसा के दूसरे दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए ग्रामीण क्षेत्र में रोज़गार सृजन केलिए कृषि आधारित उद्योगों को प्रोत्साहित करने की जरूरत पर बल दिया है। कोविड महामारी के दौरान उल्टे शहरों से गावों की तरफ हुए प्रवास की चर्चा करते हुए उन्होंने कहाकि कृषि क्षेत्र में उद्यमिता विकास भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूत करेगा और उन ग्रामीण क्षेत्रों में रोज़गार का सृजन करेगा, जहां उसकी सबसे ज्यादा आवश्यकता है। उपराष्ट्रपति ने कहाकि किसानों के कृषि उत्पाद संगठन सीमांत और छोटे किसानों केलिए बहुत कारगर साबित हो सकते हैं, वे खाद्य आपूर्ति श्रृंखला केबीच की कड़ी बन सकते हैं, जो कच्चे माल की आपूर्ति से लेकर खाद्य प्रसंस्करण, मार्केटिंग तथा निर्यात जैसी आगे और पीछे की कड़ियों को जोड़ते हैं।
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडु ने कृषि उत्पाद संगठनों को बढ़ावा देने, उनका मार्गदर्शन करने तथा उनकी क्षमता विकसित करने की जरूरत पर बल दिया। इस संदर्भ में उन्होंने कृषि विश्वविद्यालयों की भूमिका को महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने विश्वविद्यालयों के इस दिशा में विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम की सराहना करते हुए कहाकि वे अपने इलाके के किसानों को कृषि सहकारी संगठन बनाने केलिए प्रोत्साहित करें। उन्होंने कहाकि भारत में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के विकास की आपार संभावनाएं हैं। उन्होंने कहाकि भारतीय कृषि क्षेत्र में अधिकांश सीमांत और छोटे किसान हैं, जिनके पास कम संसाधन हैं, विभिन्न स्रोतों से किसानों की आमदनी बढ़ाने की आवश्यकता है, उनके पास उपलब्ध सीमित संसाधनों का बेहतर उपयोग करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि विकसित देश कृषि में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के उपयोग का लाभ पहले से ही उठा रहे हैं, अब जरूरत हैकि भारत भी कृषि आय बढ़ाने केलिए इस टेक्नोलॉजी का लाभ उठाए।
उपराष्ट्रपति ने डॉ राजेंद्र प्रसाद कृषि विश्वविद्यालय से तकनीकों का अध्ययन करने, वैकल्पिक तकनीकों और उनकी परिवेश अनुकूलता का अध्ययन करने को कहा। उन्होंने कोविडकाल में भी देश में अनाज का रिकार्ड उत्पादन करने केलिए किसानों का अभिनंदन करते हुए कहाकि देश परिश्रमी किसानों और अग्रिम पंक्ति के कोविड योद्धाओं केप्रति सदैव ऋणी रहेगा। उन्होंने कहाकि किसानी भारत का मूल चरित्र है, मूल संस्कृति है और केंद्र-राज्य सरकारों, जननेताओं, विश्वविद्यालयों, शोध संस्थानों, मीडिया को कृषि पर और अधिक ध्यान देना चाहिए। उन्होंने आग्रह कियाकि कृषि के विकास और उसे उपादेय बनाने की दिशा में कृषि की हर संभव मदद की जानी चाहिए। चंपारण के किसानों के समर्थन में महात्मा गांधी के ऐतिहासिक सत्याग्रह को याद करते हुए वेंकैया नायडु ने कहाकि वह चंपारण ही था, जिसने महात्मा गांधी को उनका सबसे प्रिय नाम बापू दिया। उपराष्ट्रपति ने विद्यार्थियों से अपेक्षा कीकि वे अपनी रूचि के क्षेत्र में उत्कृष्टता हासिल करने केलिए हर संभव प्रयास करेंगे और देश की उन्नति प्रगति में सहयोग करेंगे।
वेंकैया नायडु ने चंपारण की पिपराकोठी में अनेक कृषि केंद्रित संस्थान स्थापित करने केलिए सांसद और पूर्व कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री राधामोहन सिंह की भी सराहना की। उन्होंने विश्वास जताया कि ये सभी संस्थान, सीमांत और छोटे किसानों की समस्याओं का समाधान खोजने में महत्वपूर्ण योगदान देंगे। उपराष्ट्रपति ने कहाकि 2013-14 के बादसे यह पहलीबार है, जब कृषि क्षेत्र ने अर्थव्यवस्था में अपनी प्रतिष्ठा को पुनः प्राप्त किया है। उन्होंने युवा कृषि उद्यमियों से आग्रह कियाकि वे इस क्षेत्र के विकास केलिए कार्य करें। उपराष्ट्रपति ने कहाकि शोध और अध्यापन पद्धति में लगातार सुधार किया जा रहा है, आधुनिक और प्रासंगिक विषय जैसे-कृषि पत्रकारिता, कृषि पर्यटन शुरु किए गए हैं, विद्यार्थियों को अपना खुद का उद्यम लगाने केलिए प्रोत्साहित करने केलिए स्टार्टअप इनक्यूबेशन केंद्र की स्थापना की गई है। उन्होंने कहाकि कृषि आधारित पर्यटन न सिर्फ कृषि अर्थव्यवस्था को बढ़ाएगा, बल्कि शहरी पर्यटकों को तरोताज़ा करेगा, वे स्थानीय प्राकृतिक सौंदर्य, परंपरागत व्यंजनों, वहां के फूल वनस्पति का अनुभव कर सकेंगे। उन्होंने कहाकि भारत की विकास नीति, पर्यावरणीय अनुकूलता पर आधारित है। उन्होंने विश्वविद्यालय के सुखेत मॉडल की सराहना की, जिससे गांवों में चक्रीय जैव अर्थव्यवस्था विकसित होगी तथा गांव आत्मनिर्भर बन सकेंगे।
उपराष्ट्रपति ने महिलाओं सहित प्रवासी मजदूरों केलिए अनेक टेक्नोलॉजी समाधान केलिए विश्वविद्यालय की सराहना की, विश्वविद्यालय प्रवासी मजदूरों को प्रधानमंत्री किसान कल्याण योजना के तहत प्रशिक्षित भी कर रहा है। वेंकैया नायडु ने छात्रों से आग्रह किया कि वे अपने समय का आधा भाग कक्षाओं में और शेष आधा किसानों के साथ खेत में व्यतीत करें, उनकी समस्याओं को प्रत्यक्ष समझें और समाधान खोजें। उपराष्ट्रपति ने प्रसन्नता व्यक्त कीकि 18 कृषि विज्ञान केंद्र के मजबूत तंत्र के माध्यम से प्रयोगशाला में शोध के लाभ किसानों तक पहुंचाए जा रहे हैं। उन्होंने छात्रों को याद दिलायाकि बिहार डॉ राजेंद्र प्रसाद, जयप्रकाश नारायण तथा कर्पूरी ठाकुर जैसे महान नेताओं की जन्मभूमि और कर्मभूमि है, विद्यार्थी उनके जीवन, उनके उच्च आदर्शों से प्रेरणा लें, उनका अनुसरण करें। उन्होंने खेद व्यक्त करते हुए कहाकि हम राष्ट्रीय जीवन के हर क्षेत्रमें गिरावट देख रहे हैं, चाहे राजनीति हो या विधाई निकाय या स्थानीय निकाय, यहां तककि शैक्षणिक संस्थानों में भी गिरावट आई है। उन्होंने इस संदर्भ में जनता से भी जागरुक रहने और अपना दृष्टिकोण बदलने का आह्वान किया है, जिससे वे अपने जनप्रतिनिधि का चुनाव करते समय उम्मीदवार को चरित्र, क्षमता, सामर्थ्य और आचरण के आधार पर चुनें।
उपराष्ट्रपति ने कहाकि बिहार में नालंदा की प्रतिष्ठा विश्वभर में ज्ञान के केंद्र के रूपमें थी, उस प्रतिष्ठा को पुनः अर्जित करने तथा उसे ज्ञान एवं इन्नोवेशन के केंद्र के रूपमें पुर्नस्थापित करने का आह्वान किया। इस अवसर पर उपराष्ट्रपति ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय उद्यानिकी और वानिकी महाविद्यालय के प्रशासनिक भवन तथा छात्र-छात्राओं केलिए छात्रावास का उद्घाटन किया। उन्होंने डॉ राजेंद्र प्रसाद कृषि विश्वविद्यालय के देशी गो वंश संरक्षण और संवर्धन केंद्र एवं देशी गो वंश के क्षेत्रीय उत्कृष्टता केंद्र का भी उद्घाटन किया। इससे पूर्व वेंकैया नायडु ने विश्वविद्यालय परिसर में प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की। कार्यक्रम में बिहार के राज्यपाल फागू चौहान, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उपमुख्यमंत्री रेणु देवी, बिहार सरकार में कृषिमंत्री अमरेंद्रप्रताप सिंह, सांसद राधामोहन सिंह, राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के कुलाधिपति प्रफुल्ल कुमार मिश्रा, कुलपति डॉ आरसी श्रीवास्तव, कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग के सचिव टी मोहापात्रा, शिक्षक और छात्र उपस्थित थे।