स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Friday 12 November 2021 04:03:28 PM
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज वीडियो कॉंफ्रेंसिंग से आरबीआई की दो अभिनव ग्राहक केंद्रित पहल-खुदरा प्रत्यक्ष योजना और रिज़र्व बैंक एकीकृत लोकपाल योजना का शुभारंभ किया। इस अवसर पर केंद्रीय वित्त और कॉर्पोरेट कार्य मंत्री निर्मला सीतारमण और भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास भी उपस्थित थे। प्रधानमंत्री ने कोविड महामारी के दौरान वित्त मंत्रालय और आरबीआई जैसे संस्थानों के प्रयासों की प्रशंसा की। प्रधानमंत्री ने कहाकि अमृत महोत्सव और 21वीं सदी का यह दशक देश के विकास केलिए बहुत महत्वपूर्ण है, ऐसे में आरबीआई की भूमिका भी बहुत बड़ी है। उन्होंने विश्वास जताया कि टीम आरबीआई देश की उम्मीदों पर खरा उतरेगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि इन योजनाओं से देश में निवेश के दायरे का विकास होगा और पूंजी बाजार तक पहुंच आसान हो जाएगी, वह निवेशकों के लिए अधिक आसान, अधिक सुरक्षित बनेगा। उन्होंने कहाकि खुदरा प्रत्यक्ष योजना से देशके छोटे निवेशकों को सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश का सरल और सुरक्षित माध्यम मिल गया है, इसी प्रकार एकीकृत लोकपाल योजना से बैंकिंग सेक्टर में ‘एक राष्ट्र-एक लोकपाल’ प्रणाली ने आज साकार रूप ले लिया है। प्रधानमंत्री ने इन योजनाओं की नागरिक केंद्रित प्रकृति पर बल दिया। उन्होंने कहाकि किसी भी लोकतंत्र की सबसे बड़ी कसौटी वहांकी शिकायत निवारण प्रणाली की ताकत होती है, एकीकृत लोकपाल योजना इस दिशामें दूरगामी है, इसी प्रकार खुदरा प्रत्यक्ष योजना से अर्थव्यवस्था में सबके समावेश को ताकत मिलेगी, क्योंकि इससे मध्य वर्ग, नौकरीपेशा, छोटे व्यापारियों और वरिष्ठ नागरिकों की छोटी बचतों केलिए सीधे तथा सुरक्षित रूपसे सरकारी प्रतिभूतियों तक पहुंच बनेगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि सरकारी प्रतिभूतियों में अदायगी की गारंटी का प्रावधान है, इससे छोटे निवेशक सुरक्षा के प्रति आश्वस्त होंगे। प्रधानमंत्री ने कहाकि बीते सात सालों में फंसे हुए कर्जों की पारदर्शिता केसाथ पहचान की गई है तथा समाधान और वसूली पर ध्यान दिया गया है। उन्होंने कहाकि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का दोबारा पूंजीकरण किया गया, वित्तीय प्रणाली और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में एक के बाद एक सुधार किए गए। प्रधानमंत्री ने कहाकि बैंकिंग सेक्टर को और मजबूत करने केलिए सहकारी बैंकों को भी भारतीय रिज़र्व बैंक के दायरे में लाया गया है। उन्होंने कहाकि इससे इन बैंकों के कामकाज में भी सुधार आ रहा है और जो लाखों जमाकर्ता हैं, उनके भीतर भी इस प्रणाली के प्रति विश्वास मजबूत हो रहा है। प्रधानमंत्री ने कहाकि देश के बैंकिंग सेक्टर में बीते चंद सालों के दौरान वित्तीय सेक्टर में समावेश से लेकर तकनीकी एकीकरण और दूसरे सुधार किए गए हैं।
नरेंद्र मोदी ने कहाकि उनकी ताकत हमने कोविड के इस मुश्किल समय में भी देखी है, सरकार ने हालके दौर में जो बड़े-बड़े फैसले लिए हैं, उनका प्रभाव बढ़ाने में भी भारतीय रिज़र्व बैंक के निर्णयों ने मदद की है। प्रधानमंत्री ने कहाकि छह-सात साल पहले तक बैंकिंग, पेंशन और बीमा भारत में किसी विशिष्ट क्लब की तरह हुआ करते थे, देशका सामान्य नागरिक, ग़रीब परिवार, किसान, छोटे कारोबारी-व्यापारी, महिलाएं, दलित-वंचित-पिछड़े इन सबके लिए ये सुविधाएं बहुत दूर थीं। प्रधानमंत्री ने पुरानी व्यवस्था की आलोचना करते हुए कहाकि जिन लोगों पर इन सुविधाओं को गरीब तक पहुंचाने की जिम्मेदारी थी, उन्होंने भी इसपर कभी ध्यान नहीं दिया, इसके बजाय तरह-तरह के बहाने बनाए जाते थे। उन्होंने इस बात पर अफसोस जताया कि पहले कहा जाया करता थाकि बैंक की शाखा नहीं है, कोई स्टाफ नहीं है, इंटरनेट नहीं है, जागरुकता नहीं है, न जाने क्या-क्या तर्क दिए जाते थे।
प्रधानमंत्री ने कहाकि यूपीआई ने बहुत कम समय में डिजिटल लेन-देन के मामले में भारत को दुनिया का अग्रणी देश बना दिया है, सिर्फ सात साल में भारत ने डिजिटल लेन-देन के मामले में 19 गुना छलांग लगाई है। उन्होंने कहाकि आज 24 घंटे, सातों दिन और 12 महीने देशमें कभीभी, कहींभी हमारी बैंकिंग प्रणाली चालू रहती है। प्रधानमंत्री ने कहाकि हमें देशके नागरिकों की आवश्यकताओं को केंद्र में रखना ही होगा, निवेशकों के भरोसे को निरंतर मजबूत करते रहना होगा। प्रधानमंत्री ने अपनी बात पूरी करते हुए कहाकि उन्हें विश्वास हैकि भारतीय रिज़र्व बैंक एक संवेदनशील और निवेशक अनुकूल गंतव्य के रूपमें भारत की नई पहचान को निरंतर सशक्त करता रहेगा।