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Tuesday 23 November 2021 01:28:00 PM
पणजी। वीरांगना का मतलब है एक बहादुर महिला, जो अपने अधिकारों केलिए लड़ सकती है। एक मजबूत महिला न केवल अपनी रक्षा करती है, बल्कि दूसरों की भी रक्षा करती है, असमिया डॉक्यूमेंट्री फिल्म वीरांगना के निदेशक और निर्माता किशोर कलिता ने गोवा में 52वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए ये विचार व्यक्त किए। वीरांगना को गैर-फीचर फिल्म श्रेणी में भारतीय पैनोरमा सेक्शन केलिए चुना गया है। यह देश में अपनी तरह की पहली पहल से संबंधित है। असम पुलिस की पहली महिला कमांडो फोर्स 'वीरांगना' को वर्ष 2012 में लॉंच किया गया था। किशोर कलिता, जो पेशे से एक वकील हैं और फिल्म निर्माण को अपना जुनून बताते हैं ने कहा हैकि आजकल हम हर क्षेत्र में पुरुषों केसाथ मिलकर महिलाओं के काम करने की बात करते हैं, लेकिन जब रात होती है तो छेड़खानी करने वालों और उत्पीड़कों के डर से महिलाएं अकेले बाहर निकलने से डरती हैं, तथ्य यह हैकि महिलाएं महिलाओं की रक्षा कर सकती हैं, यही मैं इस वृत्तचित्र के माध्यम से दिखाना चाहता था।
वीरांगना असम राज्य में महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराधों से लड़ने केलिए एक मजबूत महिला पुलिस इकाई है और यह असम के वर्तमान पुलिस महानिदेशक भास्कर ज्योति महंत, जो तत्कालीन एजीपी (प्रशिक्षण और सशस्त्र पुलिस) थे के दिमाग की उपज है। इन महिलाओं को मोटरबाइक राइडिंग, मार्शल आर्ट और किसी भी अपराध से प्रभावी ढंग से निपटने केलिए घातक और गैर-घातक हथियारों को संभालने का प्रशिक्षण दिया गया है। उन्हें साइलेंट ड्रिल में भी प्रशिक्षित किया गया, जो राइफल को संभालने में एक अद्वितीय मूक सटीक प्रदर्शनी ड्रिल है और जिसे यूएस मरींस द्वारा प्रसिद्ध किया गया था। डॉक्यूमेंट्री में 21 मिनट में निर्देशक हमें दिखाते हैंकि कैसे असम पुलिस की महिला कमांडो यूनिट विभिन्न गतिविधियों को अंजाम देती हैं और कैसे वे समाज में बढ़ती आपराधिक प्रवृत्तियों से आत्मविश्वास और ताकत केसाथ निपटती हैं। किशोर कलिता ने कहाकि उन्हें उम्मीद हैकि इस फिल्म को देखने केबाद लोगों को प्रोत्साहित किया जाएगा, खासकर युवा लड़कियां, जो समाज के बहादुर और साहसी पहलू बनने की अकांक्षा रखती हैं।
निदेशक किशोर कलिता ने कहाकि वीरांगना की अवधारणा ऐसी हैकि अगर कोई महिला रात में बाहर निकलती है और वीरांगनाओं को सड़कों पर गश्त करते हुए देखती है तो वे सुरक्षित महसूस करेंगी। फिल्म समीक्षक और डॉक्यूमेंट्री के लेखक उत्पल दत्ता ने कहाकि इस फिल्म में लगभग एक साल लगा, शूटिंग व री-शूटिंग, स्क्रिप्ट लिखने और फिरसे लिखने में, लेकिन अंत में परिणाम हमारी अपेक्षा से बेहतर था। उत्पल दत्ता ने कहाकि यह पहल लगभग एक एनजीओ की तरह है, सामाजिक परिवर्तन का प्रयास विभाग के भीतर अंतर्निहित है और इसी ने मुझे इस डॉक्यूमेंट्री की स्क्रिप्ट लिखने केलिए आकर्षित किया। किशोर कलिता ने कहाकि समाज को बेहतर बनाने की जिम्मेदारी हम सभीकी है, फिल्में कहानी कहने और समाज को संदेश देने का बेहतरीन माध्यम हैं, यही कारण हैकि मैंने इस फिल्म के माध्यम से वीरांगना की यात्रा का दस्तावेजीकरण करने का फैसला किया।
वीरांगना डॉक्यूमेंट्री इन बहादुर महिलाओं के दूसरे पक्ष को भी दिखाती है, इनमें से कुछ लेखन में अच्छी हैं, कुछ गायन और नृत्य आदि में अच्छी हैं, वे अपने खाली समय में इनपर काम करती हैं। डॉक्यूमेंट्री में महिला अधिकारियों को यह साझा करते हुए दिखाया गया हैकि कैसे वीरांगना इकाई ने उनके अंदर की ताकत को सबके सामने ला दिया-जो उन्हें कभी नहीं पता थी कि उनके भीतर है। उन्होंने इस प्रयास केबाद खुलने वाले विभिन्न अवसरों के बारे में भी बात की। डॉक्यूमेंट्री को विभिन्न राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोहों में भी प्रदर्शित किया जा चुका है, कोचीन अंतर्राष्ट्रीय शॉर्ट फिल्म अवॉर्ड 2021 में सर्वश्रेष्ठ डॉक्यूमेंट्री घोषित की गई थी। इस अवसर पर फिल्म समीक्षक और वीरांगना के पटकथा लेखक उत्पल दत्ता ने अपनी नई किताब फिल्म प्रशंसा का भी विमोचन किया।