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Sunday 28 November 2021 06:26:47 PM
हरिद्वार। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने हरिद्वार में आज पतंजलि विश्वविद्यालय के प्रथम दीक्षांत समारोह में भाग लिया और उसे संबोधित किया। राष्ट्रपति ने कहाकि योग को लोकप्रिय बनाने में स्वामी रामदेव का असीम योगदान है, उन्होंने अनगिनत आम लोगों को योग अभ्यासों से जोड़कर लाभांवित किया है। राष्ट्रपति ने कहाकि कुछ लोगों की यह भ्रांति हैकि योग किसी विशेष पंथ या धर्म से जुड़ा है, लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है, सही मायने में योग तन और मन को स्वस्थ रखने की एक पद्धति है, यही कारण हैकि दुनियाभर में जीवन के सभी क्षेत्रों और विचारधारा वाले लोगों ने योग को अपनाया है। उन्होंने स्मरण कियाकि उन्होंने सूरीनाम की अपनी राजकीय यात्रा के दौरान 2018 में सूरीनाम के राष्ट्रपति केसाथ अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया था। उन्होंने यह भी स्मरण कियाकि अरब योग फाउंडेशन की संस्थापक नौफ मारवाई को योग के क्षेत्र में उनके योगदान केलिए 2018 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहाकि उनकी मान्यता केअनुसार योग सबके लिए है, योग सबका है। राष्ट्रपति ने कहाकि आधुनिक चिकित्सा विज्ञान ने कई उपकरणों की मदद से उपचार के क्षेत्र में आश्चर्यजनक प्रगति की है, हालांकि आयुर्वेद और योग-विज्ञान ने ब्रह्मांड के विकसित सर्वोत्तम उपकरण यानी मानव शरीर पर गहराई से विचार और शोध किया है, शरीर के माध्यमसे ही इसने उपचार के प्रभावी तरीके विकसित किए हैं। उन्होंने कहाकि प्रकृति केसाथ मानव का सामंजस्यपूर्ण जुड़ाव ही आयुर्वेद और योग का लक्ष्य है तथा इस समरसता केलिए यह आवश्यक हैकि हम सभी प्रकृति के अनुसार जीवनशैली अपनाएं और प्राकृतिक नियमों का उल्लंघन न करें, प्राकृतिक उत्पादों का प्रयोग सभी केलिए लाभदायक होगा। राष्ट्रपति ने कहाकि पतंजलि विश्वविद्यालय स्वदेशी उद्यमशीलता और रोज़गार सृजन के विचार पर आधारित शिक्षा प्रदान करके भावी पीढ़ी को राष्ट्र निर्माण केलिए तैयार कर रहा है, उन्हें यह जानकर प्रसन्नता हुईकि पतंजलि ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस में 'भारतीयता पर आधारित उद्यम' और 'उद्यम पर आधारित भारतीयता' विकसित हो रही है।
राष्ट्रपति ने कहाकि पतंजलि विश्वविद्यालय हमारे सुसंगत पारंपरिक ज्ञान को आधुनिक विज्ञान केसाथ जोड़कर भारत को एक 'ज्ञान महाशक्ति' बनाने केलिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति के निर्धारित मार्ग पर आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहाकि इस विश्वविद्यालय के प्रयासों से भारतीय ज्ञान-विज्ञान, विशेष रूपसे आयुर्वेद और योग को आधुनिक परिप्रेक्ष्य में विश्वमंच पर एक प्रमुख स्थान अर्जित करने में सहायता मिलेगी। राष्ट्रपति को जानकर प्रसन्नता हुईकि पतंजलि विश्वविद्यालय ने अंतर्राष्ट्रीय छात्रों केलिए एक विशेष प्रकोष्ठ की स्थापना की है। उन्होंने कहाकि इस पहल के माध्यम से भारतीय मूल्यों और ज्ञान परंपरा को दुनियाभर में विस्तारित किया जा सकता है, यह 21वीं सदी के नए भारत के उदय में इस विश्वविद्यालय का विशेष योगदान होगा। इस तथ्य की ओर इंगित करते हुए कि पतंजलि विश्वविद्यालय में छात्राओं की संख्या छात्रों से अधिक है, राष्ट्रपति ने कहाकि यह प्रसन्नता की बात हैकि हमारी बेटियां परंपरा के आधार पर आधुनिक शिक्षा के प्रसार में अग्रणी भूमिका निभा रही हैं। उन्होंने विश्वास व्यक्त कियाकि इन्हीं छात्राओं मेंसे आधुनिक युग की गार्गी, मैत्रेयी, अपाला, रोमाशा और लोपामुद्रा उभरेंगी, जो विश्व के मंच पर भारतीय ज्ञान की श्रेष्ठता स्थापित करेंगी।