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Saturday 11 December 2021 02:28:55 PM
नई दिल्ली। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी और पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के स्वतंत्र प्रभार राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने दिल्ली में गोवा के राज्यपाल पीएस श्रीधरन पिल्लई से मुलाकात की और तटीय एवं समुद्री स्रोतों से समुद्री खनिजों की खोज में तेजी लाने के तरीकों पर चर्चा की। उन्होंने इसे उच्च प्राथमिकता में शामिल करते हुए भारतीय अर्थव्यवस्था केलिए भविष्य की कुंजी बताया। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत, समुद्री वैज्ञानिक अनुसंधान में अग्रणी देशों मेंसे एक बनकर उभरा है और भविष्य की ऊर्जा एवं धातु की मांगों को पूरा करने केलिए जरूरी संसाधनों को समुद्र में खोज केलिए सक्रिय रूपसे जुटा हुआ है। उन्होंने कहाकि नरेंद्र मोदी सरकार के डीप ओसेन मिशन ब्लू इकोनॉमी को समृद्ध करने केलिए विभिन्न संसाधनों केलिए एक और नए अवसर की शुरुआत करता है।
डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि गोवा स्थित नेशनल सेंटर फॉर पोलर एंड ओसेन रिसर्च केपास विशिष्ट आर्थिक क्षेत्रों केसाथ-साथ भारतीय रिज़र्व क्षेत्र में मल्टी-मेटल हाइड्रोथर्मल मिनरलाइजेशन के भीतर गैस हाइड्रेट की खोज करने का अधिकार है। इसके अलावा राष्ट्रीय समुद्र विज्ञान संस्थान गोवा में अपने मुख्यालय के साथ दो अनुसंधान जहाजों आरवी सिंधु संकल्प (56 मीटर) और आरवी सिंधु साधना (80 मीटर) का संचालन करता है, जोकि बहुआयामी समुद्र विज्ञान ऑब्जर्वेशन केलिए सुविधा संपन्न है। डॉ जितेंद्र सिंह ने गोवा के राज्यपाल को बतायाकि प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में सभी विज्ञान मंत्रालय और विभाग अब एक विशेष मंत्रालय या विभाग आधारित परियोजनाओं के बजाय एकीकृत विषय आधारित परियोजनाओं पर काम कर रहे हैं।
डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि हालही में भुवनेश्वर में खनिज और सामग्री प्रौद्योगिकी संस्थान और चेन्नई स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओशन टेक्नोलॉजी केबीच मजबूत समन्वय और सहयोग केलिए निर्देश जारी किए गए थे, ताकि भारत की ब्लू इकोनॉमी को विकसित करने और इसके समुद्री संसाधनों का उपयोग करने में तुरंत प्रगति हो सके। उन्होंने कहाकि गहरे समुद्र में कुछ खनिज संसाधनों के प्रभावी खनन और गैस हाइड्रेट संसाधनों के दोहन केलिए उपयुक्त प्रौद्योगिकियों के विकास के प्रयास जारी हैं और इसमें एनसीपीओआर प्रमुख भूमिका निभा सकता है। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि भारत की ब्लू इकोनॉमी को राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के एक उप समूह के रूपमें समझा जाता है, जिसमें देश के कानूनी अधिकार क्षेत्र के भीतर वाले समुद्र, समुद्री और तटवर्तीय क्षेत्रों में पूरे समुद्री संसाधन प्रणाली और मानव निर्मित आर्थिक बुनियादी ढांचा शामिल है। उन्होंने कहाकि यह वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन में सहयोग प्रदान करता है, जिनका आर्थिक विकास, पर्यावरणीय टिकाऊपन और राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ स्पष्ट संबंध हैं।