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Friday 03 May 2013 06:44:07 AM
नई दिल्ली। आर्थिक मामलों से संबंधित कैबिनेट समिति ने एंड्रयू यूल एंड कंपनी लिमिटेड (एवाईसीएल) के वित्तीय पुनर्गठन को मंजूरी दे दी है, जिसमें भारत सरकार के 41.52 करोड़ रूपये के बकाया ऋण को शेयर पूंजी में बदलने, इस राशि पर 33.43 करोड़ रूपये के ब्याज को माफ करने, कंपनी तथा वेतन और लेखा कार्यालय के खातों में समायोजन के बाद ब्याज के अंतर वाली राशि को माफ करने और भारत सरकार की शेयर पूंजी के आधार पर कंपनी के 12.95 करोड़ रूपये के नुकसान को माफ करने की व्यवस्था है।
कैबिनेट समिति स्वीकृत प्रस्ताव को औद्योगिक एवं वित्तीय पुनर्गठन बोर्ड के पास मंजूरी के लिए भेजेगी और इसके बाद छह महीने के अंदर इसे लागू किया जाएगा। इस व्यवस्था से कंपनी की कार्यपूंजी में बढ़ोत्तरी होगी, जिससे कंपनी को बढ़े हुए कारोबार लक्ष्य को पूरा करने में तथा कंपनी के संवर्द्धन और लाभ प्राप्त करने की क्षमता में सहायता मिलेगी। सेबी के निर्देशों के अनुसार भारत सरकार की शेयर पूंजी के आधार पर कंपनी के जमा नुकसान को निरस्त करने से विनिवेश के समय कंपनी के शेयरों के लिए बेहतर मूल्य प्राप्त हो सकेगा। कहा गया है कि कैबिनेट समिति की इस स्वीकृति से राजस्व पर कोई वित्तीय बोझ नहीं पड़ेगा, इसमें केवल ऋण को शेयर पूंजी में बदला गया है और कंपनी के ब्याज और जमा नुकसान को निरस्त किया गया है।
एवाईसीएल कंपनी की स्थापना 1863 में हुई थी और 1979 में यह सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी बन गई। यह कंपनी बड़ी मात्रा में चाय के उत्पादन के अलावा औद्योगिक पंखों, वेंटीलेशन उपकरणों, वायु प्रदूषण नियंत्रण उपकरणों और प्रणालियों, अपजल उपचार संयंत्रों, बिजली और वित्तीय ट्रांसफार्मरों, हाई टेंशन और लॉ टेंशन के स्विचगियरों तथा सर्किट ब्रेक्ररों, ऑल्टो वॉल्टेज रेगुलेटरों आदि जैसे उपकरणों का विनिर्माण करती है। वर्ष 2007 में कंपनी के पुनर्गठन की स्वीकृत योजना को काफी हद तक लागू किया जा चुका है और 2007-08 से कंपनी मुनाफा कमा रही है तथा 2008-09 से यह कंपनी लाभ वाली कंपनी बन गई है।
कंपनी ने पुनर्गठन योजना के अंतर्गत भारत सरकार से मिले 87.06 करोड़ रूपये के ऋण को 2010 में अपनी सहायक कंपनियों फीनिक्स यूल लिमटेड और दिशेरगढ़ पावर सप्लाई कंपनी का विनिवेश करके पूरी तरह चुका दिया। हालांकि कंपनी बेहतर तरह से काम कर रही है और हर साल मुनाफा कमा रही है, लेकिन 2007-08 में भारत सरकार से (वेतन आदि के भुगतान के लिए) प्राप्त 41.52 करोड़ रूपये के ऋण, और इस पर 33.43 करोड़ रूपये के ब्याज तथा 31.03.2012 तक 39.18 करोड़ रूपये के जमा नुकसान की कंपनी पर देनदारी हो गई थी।