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Monday 20 December 2021 01:07:09 PM
नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने निजी क्षेत्र सहित सभी हितधारकों से आगे आकर वयस्क शिक्षा और कौशल प्रशिक्षण के क्षेत्र में सरकार के काम में सहायता करने का आग्रह किया है। प्रत्येक वयस्क को साक्षर बनाने की आवश्यकता पर जोर देते हुए उन्होंने आम लोगों केबीच डिजिटल साक्षरता और वित्तीय साक्षरता पर फोकस करने की आवश्यकता भी रेखांकित की। नई दिल्ली में प्रतिष्ठित नेहरू और टैगोर साक्षरता पुरस्कार प्रदान करने के दौरान जनसमूह को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहाकि यह निराशाजनक हैकि आईटी और डिजिटलीकरण जैसे विभिन्न क्षेत्रों में बहुत प्रगति करने केबावजूद भारत में अभीभी दुनिया के सबसे अधिक निरक्षर व्यक्ति हैं। इस चुनौती से निपटने केलिए तत्काल कदम उठाने का आह्वान करते हुए उन्होंने इच्छा जताई कि साक्षरता अभियान को एक जनआंदोलन बन जाना चाहिए।
उपराष्ट्रपति ने कहाकि गांवों और कॉलोनियों में प्रत्येक शिक्षित युवा को आगे आकर अपने क्षेत्रों या समुदायों के कम से कम एक व्यक्ति को यह सिखाना चाहिएकि कैसे लिखना है और डिजिटल उपकरणों को कैसे प्रचालित करना है तथा सरकारी योजनाओं का लाभ किस प्रकार उठाना है। उन्होंने इसे उनका व्यक्तिगत सामाजिक उत्तरदायित्व करार दिया। उन्होंने कहाकि 'प्रत्येक व्यक्ति एक व्यक्ति को सिखाए' केवल एक नाराभर नहीं रह जाना चाहिए, बल्कि यह युवाओं केलिए एक प्रेरक शक्ति बन जानी चाहिए। वेंकैया नायडू ने मिशन मोड में निरक्षरता उन्मूलन का आह्वान करते हुए स्कूलों को छात्रों को सप्ताहांत पर अपने क्षेत्रों में वयस्क शिक्षा अभियान शुरू करने केलिए प्रोत्साहित करने की सलाह दी। उन्होंने कहाकि छात्रों को ऐसे कार्यकलापों केलिए कुछ अतिरिक्त अंक भी दिए जाने चाहिएं।
उपराष्ट्रपति ने वयस्क शिक्षा क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान केलिए पुरस्कार प्राप्तकर्ताओं की प्रशंसा करते हुए सभीसे भारत को पूर्ण रूपसे साक्षर और शिक्षित राष्ट्र बनाने का संकल्प लेने को कहा। उन्होंने कहाकि साक्षरता और शिक्षा लोगों को स्वाधीन बनाती है, वे परिवर्तन और प्रगति के मूलभूत साधनों के रूपमें काम करती हैं। उन्होंने गरीबी, शहरी-ग्रामीण विभाजन, सामाजिक भेदभाव और लैंगिक भेदभाव जैसी विभिन्न चुनौतियों पर प्राथमिकता केआधार पर ध्यान देने की आवश्यकता पर भी बल दिया। वेंकैया नायडू ने सुझाव दियाकि भारत जैसे विकासशील देश में साक्षरता और भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह विभिन्न विकास कार्यक्रमों के बेहतर कार्यांवयन और परिणाम में मदद करती है। उपराष्ट्रपति ने साक्षरता को कौशल शिक्षा की पूर्व शर्त करार देते हुए कहाकि यह न केवल व्यक्ति में आत्मविश्वास का संचार करती है, बल्कि उसके सामाजिक जीवन को अधिक सक्रिय और मर्यादित बनाने में भी मदद करती है।
उपराष्ट्रपति ने इस तथ्य पर प्रसन्नता व्यक्त कीकि भारतीय लड़कियों में प्राथमिक स्तरपर लड़कों की तुलना में स्कूल में उच्च नामांकन दर है। उन्होंने कहाकि हमें सार्वभौमिक कार्यात्मक साक्षरता से कौशल शिक्षा और आजीवन सीखने की ओर आगे बढ़ने की आवश्यकता है। वेंकैया नायडू ने प्रौढ़ शिक्षा के विभिन्न पहलुओं पर उचित जोर देने केलिए नई शिक्षा नीति-2020 की प्रशंसा की और कहाकि यह दृष्टिकोण सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक विकास के आजीवन अवसरों का लाभ उठाने के माध्यम से वृद्धि और विकास के नए मार्ग खोलता है। उन्होंने कहाकि यह क्राउड फंडिंग तथा ऑनलाइन और ऐप आधारित प्रौद्योगिकी, उपग्रह आधारित टेलीविजन चैनलों, ऑनलाइन अध्ययन संसाधनों, पुस्तकालयों के विकास और वयस्क शिक्षा केंद्रों के प्रचार सहित कई तरीकों की अनुशंसा करती है। उपराष्ट्रपति ने आशा व्यक्त कीकि वे शिक्षित और सशक्त भारत 'शिक्षित और समर्थ भारत' के विज़न को साकार करने केलिए अपने काम को जारी रखेंगे।
उल्लेखनीय हैकि भारतीय वयस्क शिक्षा संघ 1966 से नेहरू साक्षरता पुरस्कार और 1987 से टैगोर साक्षरता पुरस्कार उन व्यक्तियों और संस्थानों को प्रदान करता रहा है, जिन्होंने शिक्षा और राष्ट्रीय विकास के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दिया है। प्रोफेसर पी आदिनारायण रेड्डी और प्रोफेसर एमसी रेड्डप्पा रेड्डी को वर्ष 2019 और 2020 केलिए नेहरू साक्षरता पुरस्कार से सम्मानित किया गया, जबकि प्रोफेसर अनीता दिघे और निशात फारूक ने पिछले दो वर्ष केलिए टैगोर साक्षरता पुरस्कार प्राप्त किया। इस अवसर पर भारतीय प्रौढ़ शिक्षा संघ के अध्यक्ष प्रोफेसर एल राजा, आईएईए के महासचिव सुरेश खंडेलवाल, आईएईए के सलाहकार केसी चौधरी और गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।