स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Thursday 23 December 2021 02:01:42 PM
नई दिल्ली। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने सुपारी और मसाला विकास निदेशालय की प्रकाशित पुस्तक स्पाइस स्टैटिस्टिक्स एट ए ग्लांस 2021 का विमोचन किया। इस अवसर पर बताया गयाकि देश में मसाला उत्पादन वर्ष 2014-15 के 67.64 लाख टन से बढ़कर वर्ष 2020-21 में 60 प्रतिशत वृद्धि केसाथ करीब 107 लाख टन के रिकॉर्ड स्तर तक पहुंच गया है। मिर्च, अदरक, हल्दी, जीरा आदि प्रमुख मसालों के उत्पादन में शानदार वृद्धि से विदेशी मुद्रा आय 2014-15 के 14899 करोड़ रुपये से लगभग दो गुना बढ़कर 2020-21 में 29535 करोड़ रुपये मिली है। पुस्तक में देश में उत्पादित मसालों के सभी आंकड़ों-मसालों के क्षेत्र, उत्पादन-उत्पादकता, निर्यात-आयात, मूल्य व महत्व का विशेष संग्रह है। पुस्तक राष्ट्रीयस्तर पर मसालों के क्षेत्र, उत्पादन अनुमानों के संग्रह और संकलन की नोडल एजेंसी, सुपारी और मसाला विकास निदेशालय, केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने प्रकाशित की है।
मसाला क्षेत्र में 2014-15 से 2020-21 के दौरान हासिल की गई उपलब्धि पर पुस्तक प्रकाश डालती है। इस अवधि में देश में मसालों का उत्पादन वर्ष 2014-15 के 67.64 लाख टन से बढ़कर वर्ष 2020-21 में 106.79 लाख टन हो गया, जिसमें वार्षिक वृद्धि दर 7.9 प्रतिशत रही और यह वृद्धि उत्पादन क्षेत्र में 32.24 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 45.28 लाख हेक्टेयर क्षेत्र होने के कारण हुई। प्रमुख मसालों में जीरा (14.8%), लहसुन (14.7%), अदरक (7.5%), सौंफ (6.8%), धनिया (6.2%), मैथी (5.8%), लाल मिर्च (4.2%), हल्दी (1.3%) के उत्पादन में महत्वपूर्ण वृद्धि हुई है। उत्पादन में तीव्र वृद्धि से निर्यात के लिए गुणवत्तापूर्ण मसालों की उपलब्धता हुई है। यह मसालों के निर्यात की वृद्धि में परिलक्षित होता है, जो उपरोक्त अवधि के दौरान 14900 करोड़ रुपये मूल्य के 8.94 लाख टन से बढ़कर 29535 करोड़ रुपये (3.98 बिलियन अमेरिकी डॉलर) का 16 लाख टन हो गया और यह वृद्धि मात्रा के संदर्भ में 9.8% व मूल्य संदर्भ में 10.5% की वार्षिक वृद्धि है। मसालों का निर्यात सभी बागवानी फसलों से कुल निर्यात आय का 41% योगदान देता है और केवल समुद्री उत्पादों, गैर-बासमती चावल व बासमती चावल केबाद कृषि जिंसों में इसका चौथा स्थान है।
देश में मसालों की उपज में शानदार वृद्धि कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के कार्यांवित विभिन्न विकास कार्यक्रमों जैसे एमआईडीएच, आरकेवीवाई, पीकेवीवाई, पीएमकेएसवाई आदि के कारण संभव हुई है। सुपारी और मसाला विकास निदेशालय ने अपने रोपण सामग्री उत्पादन कार्यक्रम एवं प्रौद्योगिकी प्रसार कार्यक्रम के माध्यम से उच्च उपज देने वाली किस्मों के प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिसने देश में गुणवत्तापूर्ण मसाला उत्पादन की भारी वृद्धि में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। कोरोनाकाल में मसालों को स्वास्थ्य पूरक के रूपमें मान्यता मिलने के कारण मसालों की मांग में जबरदस्त वृद्धि हुई है, जो हल्दी, अदरक, जीरा, मिर्च आदि मसालों के बढ़ते निर्यात में स्पष्ट रूपसे देखी जा सकती है। कृषिमंत्री ने कहाकि यह प्रकाशन सरकार के नीति निर्माताओं और हितधारकों जैसे वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं, किसानों आदि द्वारा मसाला क्षेत्र में इस तरह की कार्यनीतिक योजना तैयार करने में उपयोगी होगा। इस अवसर पर राज्यमंत्री कैलाश चौधरी, कृषि सचिव संजय अग्रवाल, पुस्तक के लेखक कृषि आयुक्त डॉ एसके मल्होत्रा और वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।