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Saturday 25 December 2021 02:53:53 PM
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक और लोक शिकायत एवं पेंशन राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा हैकि प्रशासन में एकीकृत दृष्टिकोण एक विकल्प नहीं, बल्कि आवश्यकता है। नई दिल्ली में जम्मू-कश्मीर प्रशासनिक सेवा के वरिष्ठ अधिकारियों के फील्ड प्रशासन के दूसरे क्षमतावर्धन कार्यक्रम के समापन पर डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि नई संवैधानिक व्यवस्था के अस्तित्व में आने केबाद और केंद्रशासित प्रदेश बनने के बाद जम्मू-कश्मीर में कई प्रशासनिक सुधार किए गए हैं, जो पहले नहीं हुए थे। उन्होंने कहाकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जम्मू कश्मीर को जिस प्रकार का समर्थन और संरक्षण दे रहे हैं उसमें अधिकतम प्रशासन और न्यूनतम सरकार के मंत्र के साथ हर नागरिक के जीवन को सरल और सुगम बनाने के उद्देश्य से नई सेवा संस्कृति की स्थापना की जाए।
डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि जिन अधिकारियों ने प्रशिक्षण प्राप्त कर लिया है, वे नए लोकाचार और प्रथाओं के साथ सशक्त हों, केंद्र सरकार अधिकारियों को अनुकूल वातावरण प्रदान करेगी, जिससे प्रशासनिक प्रणाली लोगों के लिए बेहतर काम करेगी और इससे शिकायतों का तुरंत और उचित प्रकार से निपटारा सुनिश्चित होगा। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि वे स्थानीय उपलब्ध संसाधनों और प्रतिभा पूल के आधार पर कृषि क्षेत्र, पशु पालन, विज्ञान और तकनीक के स्टार्ट-अप में अग्रणी भूमिका निभाएं। लैवेंडर जैसे पौधों की खेती को बढ़ावा देने के लिए उन्होंने अरोमा मिशन की सफलता का उदाहरण दिया और बाओ-तकनीक का विभाग से सभी प्रकार की सहायता का प्रस्ताव दिया। उन्होंने कहा कि नई औद्योगिक नीति 2021-30 से विशेष संदर्भ में गैर-आईटी स्टार्ट-अप्स में बड़े स्तर पर रोज़गार बढ़ने की संभावना है, जिससे नए केंद्र शासित प्रदेश का चेहरा बदलने वाला है।
डॉ जितेंद्र सिंह ने खेद प्रकट कियाकि जम्मू कश्मीर सरकार ने कई वर्ष तक सिविल सेवा अधिकारियों की कैडर समीक्षा को रोके रखा या देरी की, जिसके कारण वह सरकारें ही अच्छी तरह से जानती थीं, हालांकि जम्मू-कश्मीर अब केंद्रशासित प्रदेश हैं और सीधे केंद्र के रिपोर्ट करते हैं, फिरभी कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग ने कैडर समीक्षा में तेजी लाने की पहल की है, इससे अखिल भारतीय सेवाओं जैसे आईएएस को केंद्र शासित प्रदेशों के अधिकारियों को समय से पदोन्नति में शामिल करने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहाकि प्रशासनिक सुधार और जन शिकायत विभाग ने 2000 से अधिक वरिष्ठ अधिकारियों को जननीति और सुशासन में प्रशिक्षित करने का निर्णय लिया है, जिसमें जम्मू-कश्मीर प्रशासनिक सेवा अधिकारी भी शामिल हैं, इसके लिए एनसीजीजी और जेकेआईएम ने एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसका उद्देश्य जम्मू-कश्मीर सरकार के अधिकारियों केलिए सुशासन और क्षमता वर्धन को बढ़ावा देने केलिए विशेष पहल और अकादमिक बौद्धिक मेलजोल स्थापित करना है।
केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय केतहत राष्ट्रीय सुशासन केंद्र को जम्मू-कश्मीर प्रशासनिक सेवा के वरिष्ठ अधिकारियों को दो सप्ताह के क्षमतावर्धन कार्यक्रम को संपन्न करने केलिए डॉ जितेंद्र सिंह ने एनसीजीजी को धन्यवाद दिया। उनसे बातचीत केदौरान अधिकारियों ने कहाकि जिस तरह कार्यक्रम हुआ वह बहुत ही ख़ुशी देने वाला है और वे इससे उत्साहित हैं। उन्होंने कहाकि उनके करियर के 25 वर्ष में पहलीबार ऐसा हुआ हैकि उन्हें जम्मू-कश्मीर से बाहर ट्रेनिंग केलिए मौका मिला। उन्होंने ऐसी साहसिक पहल और लम्बे समय से लंबित पदोन्नति एवं कैडर समीक्षा के अभियान में तेजी लाने केलिए प्रधानमंत्री को धन्यवाद दिया। संजय सिंह सचिव डीएपीआरजी, वी श्रीनिवास विशेष सचिव, डीएपीआरजी और मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने कार्यक्रम में भागीदारी की। डीएपीआरजी ने 1999 से 2002 के जेकेएएस के 29 अधिकारियों के प्रशिक्षण का विशेष उल्लेख किया।