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Wednesday 29 December 2021 01:06:53 PM
नई दिल्ली। केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नक़वी ने कहा हैकि दारा शिकोह की विरासत पर पिछड़ी और पूर्वाग्रही राजनीति ने ग़लत धारणा पैदा की है। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के 'दारा शिकोह आज के समय में क्यों महत्वपूर्ण हैं: उनके कार्यों और व्यक्तित्व का स्मरण' विषय पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में मुख्तार अब्बास नक़वी ने यह बात कही। उन्होंने कहाकि सद्भाव, सहिष्णुता, सर्वधर्म समभाव भारत की आत्मा है और विविधता में एकता देश की ताकत है। उन्होंने कहाकि दारा शिकोह जीवनभर सामाजिक समरसता और धार्मिक एकता के पथ प्रदर्शक रहे। मुख्तार अब्बास नक़वी ने कहाकि जहां भारत में दुनिया के लगभग सभी धर्मों को मानने वाले लोग रहते हैं, वहीं दूसरी ओर देश में समान संवैधानिक और सामाजिक अधिकारों के साथ बड़ी संख्या में नास्तिक लोग भी मौजूद हैं, यही अनेकता में एकता भारत को एक भारत, श्रेष्ठ भारत बनाती है।
अल्पसंख्यक कार्य मंत्री ने कहाकि दारा शिकोह बहुमुखी व्यक्तित्व के धनी जीवंत व्यक्ति, विचारक, महान कवि, विद्वान, सूफी और कला तथा संस्कृति का विशेष ज्ञान रखनेवाले व्यक्ति थे। उन्होंने कहाकि भारत दुनिया का एकमात्र ऐसा देश है, जहां सभी धर्मों के त्यौहार और अन्य खुशियों के अवसर एकसाथ मनाए जाते हैं। उन्होंने कहाकि हमें इस साझा सांस्कृतिक विरासत और सहअस्तित्व की विरासत को मजबूत बनाए रखने की आवश्यकता है, एकता और सद्भाव के इस ताने-बाने को तोड़ने की कोई भी कोशिश भारत की आत्मा को ठेस पहुंचाएगी। मुख्तार अब्बास नक़वी ने कहाकि भारत आध्यात्मिक एवं धार्मिक ज्ञान के क्षेत्र में दुनिया का सबसे बड़ा केंद्र है और यह सर्वधर्म समभाव तथा वसुधैव कुटुम्बकम की प्रेरणा का स्रोत है। उन्होंने कहाकि यह सुनिश्चित करना हमारी सामूहिक राष्ट्रीय जिम्मेदारी हैकि भारत की सहिष्णुता की संस्कृति और सहअस्तित्व की प्रतिबद्धता को किसी भी परिस्थिति में कमजोर नहीं होने दिया जाए।
मुख्तार अब्बास नक़वी ने कहाकि समावेशी विकास के रास्ते में कई बाधाएं आईं, लेकिन विविधता में एकता की हमारी ताकत ने देश को समृद्धि केपथ पर आगे बढ़ाना सुनिश्चित किया है। उन्होंने कहाकि तथाकथित चैंपियंस ऑफ सेक्युलरिज्म की सरकारों ने दारा शिकोह के कार्यों को कई अन्य महान लोगों की तरह जानबूझकर उचित महत्व और मान्यता प्रदान नहीं की। इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संयुक्त महासचिव डॉ कृष्ण गोपाल, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर तारिक मंसूर, जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर नजमा अख्तर, मौलाना आजाद राष्ट्रीय उर्दू विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर ऐनुल हसन, ईरान के सांस्कृतिक परामर्शदाता डॉ मोहम्मद अली रब्बानी और गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।