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Wednesday 29 December 2021 01:17:35 PM
नई दिल्ली। रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव एवं रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन के अध्यक्ष डॉ जी सतीश रेड्डी ने पांच भारतीय कंपनियों को अत्यधिक ठंडी मौसम वस्त्र प्रणाली की तकनीक सौंपी है। यह ईसीडब्ल्यूएस प्रणाली की ग्लेशियर और हिमालय की चोटियों में अपने निरंतर संचालन केलिए भारतीय सेना को जरूरत पड़ती है। अभी हाल तक सेना ईसीडब्ल्यूएस वस्त्र प्रणाली और अनेक विशेष कपड़ों और पर्वतारोहण उपकरण वस्तुओं का ऊंचाई वाले क्षेत्रों में तैनात सैनिकों केलिए आयात करती रही हैं।
डीआरडीओ की डिज़ाइन की गई ईसीडब्ल्यूसीएस प्रणाली शारीरिक गतिविधि के विभिन्न स्तरों के दौरान हिमालयी क्षेत्रों में विभिन्न परिवेशी जलवायु परिस्थितियों में अपेक्षित इंसुलेशन पर आधारित बेहतर थर्मल इंसुलेशन शारीरिक सहूलियत केसाथ एक एर्गोनॉमिक रूपसे डिज़ाइन की गई मॉड्यूलर तकनीकी कपड़ा प्रणाली है। ईसीडब्ल्यूसीएस में सांस की गर्मी और पानी की कमी, गति की निर्बाध सीमा और पसीने को तेजी से सोखने से संबंधित शारीरिक अवधारणाओं सहित पर्याप्त सांस लेने की क्षमता और उन्नत इन्सुलेशन के साथ-साथ अधिक ऊंचाई वाले संचालन केलिए वाटर प्रूफ और गर्मी प्रूफ विशेषताएं उपलब्ध कराने की अवधारणाएं शामिल हैं। तीन स्तर वाली ईसीडब्ल्यूसीएस प्रणाली को विभिन्न संयोजनों और शारीरिक कार्य की तीव्रता के साथ +15 से -50 डिग्री सेल्सियस के तापमान रेंज में उपयुक्त रूपसे थर्मल इन्सुलेशन उपलब्ध कराने केलिए डिजाइन किया गया है।
हिमालय की चोटियों में मौसम की स्थिति में व्यापक उतार-चढ़ाव को ध्यान में रखते हुए यह कपड़ा प्रणाली मौजूदा जलवायु परिस्थितियों के लिए आवश्यक इंसुलेशन या आईआरईक्यू को पूरा करने केलिए कुछ संयोजनों का लाभ उपलब्ध कराती है, जिससे भारतीय सेना केलिए एक व्यवहार्य आयात विकल्प उपलब्ध हो रहा है। इस अवसर पर डॉ जी सतीश रेड्डी ने न केवल सेना की मौजूदा जरूरतों को पूरा करने केलिए, बल्कि निर्यात केलिए अपनी क्षमता का लाभ उठाने केलिए भी एससीएमई वस्तुओं के लिए स्वदेशी औद्योगिक आधार विकसित करने की जरूरत पर जोर दिया है।