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हिंदी उर्दू अंग्रेजी में विज्ञान पत्रिका विमोचित

'देश में मातृभाषाओं में विज्ञान संचार और शिक्षा को बढ़ावा'

केंद्रीय विज्ञान राज्यमंत्री ने किया पत्रिका का विमोचन

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Thursday 30 December 2021 01:33:24 PM

dr. jitendra singh releasing the science monthly magazine

श्रीनगर। केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी एवं पृथ्वी विज्ञान राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ जितेंद्र सिंह ने हिंदी, उर्दू और अंग्रेजी में विज्ञान मासिक पत्रिका का विमोचन किया और इसके डोगरी और कश्मीरी संस्करण केसाथ अन्य देसी भाषाओं के संस्करण भी जल्द जारी होने की भी घोषणा की। हिंदी और अंग्रेजी संस्करण ड्रीम-2047 विषय पर आधारित हैं, जिनमें भारत की स्वतंत्रता के 100वें वर्ष का जिक्र किया, जबकि उर्दू संस्करण को तजस्सुस (क्यूरियोसिटी) नाम दिया गया है और इसे कश्मीर केंद्रीय विश्वविद्यालय के सहयोग से तैयार किया गया है। डॉ जितेंद्र सिंह ने इस अवसर पर कहाकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने युवाओं में विज्ञान केप्रति अभिरुचि विकसित करने के मकसद से विज्ञान संचार को बढ़ावा देने केलिए हमेशा मातृभाषाओं का उपयोग करने केलिए जोर दिया है और इस बात को भी रेखांकित कियाकि भाषा बाधक नहीं, बल्कि सरल बनानेवाली होनी चाहिए।
विज्ञान राज्यमंत्री ने इस साल 15 अगस्त को लालकिले की प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण का उल्लेख करते हुए कहाकि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में गरीब बच्चों केलिए मातृभाषा में शिक्षा के महत्व पर जोर दिया गया है और भारतीय भाषाओं में विज्ञान संचार और शिक्षा को बढ़ावा देना मौजूदा सरकार का एक प्रमुख मुद्दा है एवं छात्रों को देसी भाषाओं में विज्ञान की पाठ्य पुस्तकें उपलब्ध कराने के प्रयास जारी हैं। उन्होंने कहाकि रिसोर्स पर्सन अर्थात क्षेत्र विशेष के जानकारों के एक समूह को इस मिशन का काम सौंपा गया है। डॉ जितेंद्र सिंह ने खुशी जताईकि विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग कश्मीर में केंद्रीय विश्वविद्यालय और कश्मीर विश्वविद्यालय के सहयोग से इन पत्रिकाओं का प्रकाशित किया है। उन्होंने कहाकि इन पत्रिकाओं का शुभारंभ एक पृथक कार्य नहीं है, इसे आत्मनिर्भर भारत और डिजिटल इंडिया जैसी महत्वाकांक्षी योजनाओं के आलोक में देखा जाना चाहिए।
डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि जब रूस, जापान, जर्मनी और चीन जैसे उन्नत देशों केपास अपनी मातृभाषा में सर्वोत्तम विज्ञान साहित्य और परियोजनाएं हो सकती हैं तो भारत ने भी सभी भारतीय भाषाओं में आधुनिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी का संचार करने का बीड़ा उठाया है। उन्होंने कहाकि जब हम अपनी मातृभाषा में पढ़ते हैं तो हमारी सीख और गहरी हो जाती है। डॉ जितेंद्र सिंह ने विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग और कश्मीर केंद्रीय विश्वविद्यालय को उर्दू में आम जनता केलिए विज्ञान साहित्य प्रस्तुत करने केलिए एक मंच बनाने केलिए बधाई दी और कहाकि जल्द ही कश्मीरी और डोगरी के साथ अन्य भारतीय भाषाओं में विज्ञान का लोक-प्रचार, संचार और विस्तार प्रकाशन आरंभ होगा। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव डॉ एस चंद्रशेखर, सीएसआईआर के महानिदेशक सी मांडे, श्रीनगर स्थित कश्मीर केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर फारूक अहमद शाह और विज्ञान प्रसार के निदेशक डॉ नकुल पाराशर ने भी पत्रिका विमोचन कार्यक्रम को संबोधित किया।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय में विज्ञान प्रसार ने भारतीय भाषाओं में विज्ञान संचार, लोकप्रियता और विस्तार का शुभारंभ किया है। भारतीय भाषाओं में इस स्कोप विज्ञान भाषा पहल के एक हिस्से के रूपमें नवीनतम गतिविधियों को संप्रेषित करने का का आग्रह किया गया है। पुस्तकों, पत्रिकाओं, पुस्तिकाओं और पोस्टरों के जरिए प्रिंट के माध्यम से सूचना का प्रसार किया जाएगा। विज्ञान को जनता तक पहुंचाने केलिए सभी भारतीय भाषाओं में टेलीविजन और रेडियो कार्यक्रम तैयार किए जाएंगे। इस संबंध में विज्ञान प्रसार ने भारत के एकमात्र ओटीटी चैनल इंडिया साइंस टीवी की शुरुआत की है। इस चैनल ने अबतक हिंदी और अंग्रेजी में 3000 से अधिक कार्यक्रम तैयार किए हैं। यह उन्हें अन्य भारतीय भाषाओं में उपलब्ध कराएगा।

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