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Monday 3 January 2022 04:41:37 PM
चंडीगढ़। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने आज चंडीगढ़ विश्वविद्यालय में अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी अनुसंधान में कल्पना चावला केंद्र का उद्घाटन किया और पहली भारतीय महिला अंतरिक्ष यात्री कल्पना चावला को याद करते हुए उन्हें महिला सशक्तिकरण का प्रतीक बताया, जिन्होंने कल्पना से परे उड़ान भरी। रक्षामंत्री ने लोगों से उनके उत्साह को बनाए रखने एवं अपनी बेटियों को आगे बढ़ने और अकल्पनीय ऊंचाइयों को छूने केलिए प्रेरित करने का आग्रह किया, जो सभी क्षेत्रों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के सरकार के दृष्टिकोण को प्रतिध्वनित करता है। उन्होंने तीनों सेनाओं के रक्षा कर्मियों के बच्चों केलिए 10 करोड़ रुपये की छात्रवृत्ति योजना भी शुरू की है। रक्षामंत्री ने अनुसंधान केंद्र की स्थापना को देश के अंतरिक्ष क्षेत्र को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताते हुए कहाकि इन्हीं प्रयासों से ही भारत भविष्य की प्रौद्योगिकियों में अग्रणी बन सकता है।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने केसीसीआरएसएसटी की तुलना भारत के गौरव कल्पना चावला से की, जो भारत में जन्मी और अंतरिक्ष में जानेवाली प्रथम भारतीय महिला थीं, वे भारतीय अमरीकी अंतरिक्ष यात्री और अंतरिक्ष शटल मिशन विशेषज्ञ थीं। रक्षामंत्री ने उम्मीद करते हुए कहाकि यह शोध सुविधा अंतरिक्ष यात्री की उल्लेखनीय उपलब्धियों के समान सफलता की नई ऊंचाइयों को छूएगी, जिन्होंने अपने मूल देश को सार्वभौमिक पहचान दिलाई। रक्षामंत्री ने कहाकि 21वीं सदी में भारत का भविष्य तभी सुरक्षित हो सकता है, जब आपकी आंखों में सितारों और ग्रहों तक पहुंचने की चमक हो, यदि आप अलग-अलग ग्रहों और नक्षत्रों पर नज़र डालें तो आर्यभट्ट, विक्रम साराभाई, सतीश धवन और कल्पना चावला जैसे और भी भारतीय सामने आएंगे। आज के समय में अंतरिक्ष क्षेत्र के महत्व को रेखांकित करते हुए राजनाथ सिंह ने कहाकि अंतरिक्ष क्षेत्र मैपिंग, इमेजिंग और कनेक्टिविटी सुविधाओं, तेज परिवहन, मौसम पूर्वानुमान, आपदा प्रबंधन के साथ-साथ सीमा सुरक्षा के साथ गहराई से जुड़ा हुआ है, कोविड-19 महामारी के दौरान दुनिया को जोड़े रखने में नई तकनीकों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
रक्षामंत्री ने कहाकि सरकार अंतरिक्ष क्षेत्र की क्षमता को समझती है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के परिकल्पित क्षेत्र में सुधार के चार प्रमुख स्तंभों को याद करते हुए कहाकि ये स्तंभ हैं-निजी क्षेत्र को नवाचार की स्वतंत्रता, एक प्रवर्तक के रूपमें सरकार की भूमिका, युवाओं को भविष्य केलिए तैयार करना और अंतरिक्ष क्षेत्र को प्रगति के संसाधन के रूपमें देखना। रक्षामंत्री ने शिक्षा और विज्ञान क्षेत्रों को वैश्विक स्तरपर लेजाने और भारत को एक ज्ञान अर्थव्यवस्था बनाने केलिए सक्रिय और दीर्घकालिक सार्वजनिक एवं निजी भागीदारी का आह्वान किया। उन्होंने कहाकि आज निजी क्षेत्र अंतरिक्ष में बड़ी संख्या में अवसरों के संपर्क में है और क्षेत्र चाहे रक्षा हो या अंतरिक्ष हम निजी क्षेत्र का पूरी तरह से स्वागत कर रहे हैं। उन्होंने राष्ट्र के समग्र विकास केलिए निजी क्षेत्र को मजबूत करने की सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराया। निजी क्षेत्र की क्षमता का दोहन करने के उद्देश्य से कुछ उपायों को सूचीबद्ध करते हुए राजनाथ सिंह ने कहाकि सरकार प्रौद्योगिकी और विशेषज्ञता साझा कर रही है और उद्योग केलिए अपनी विभिन्न सुविधाएं खोल रही है। उन्होंने कहाकि परिपक्व प्रौद्योगिकियों के हस्तांतरण पर विचार किया जा रहा है।
भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन और प्राधिकरण केंद्र की स्थापना पर उन्होंने कहाकि स्वतंत्र एजेंसी अंतरिक्ष क्षेत्र से संबंधित मामलों केलिए यह एकल खिड़की के रूपमें कार्य करेगा। रक्षामंत्री ने कहा कि सरकार हर क्षेत्र के माध्यम से अंतरिक्ष आधारित अनुप्रयोगों के उपयोग को बढ़ावा देने पर विशेष जोर दे रही है। उन्होंने कहाकि गांवों में सड़कों और बुनियादी ढांचे केलिए जियो-टैगिंग का उपयोग, सैटेलाइट इमेजरी के माध्यम से दूरदराज के क्षेत्रों में विकास कार्यों की निगरानी और किसानों केलिए फसलों और खेतों से संबंधित समस्याओं की पहचान करने से सरकार को कई तरह से मदद मिल रही है। राजनाथ सिंह ने समग्र विकास केलिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, बिग-डेटा और ब्लॉक-चेन जैसी भविष्य की तकनीकों के विकास की दिशा में काम करने का आह्वान किया। उन्होंने कहाकि अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में प्रगति से देश के युवाओं में वैज्ञानिक सोच विकसित होगी और भारत अग्रणी प्रौद्योगिकियों में आगे बढ़ेगा। रक्षामंत्री ने पिछले कुछ वर्ष में अनुसंधान और नवाचार में सफलता के रिकॉर्ड स्थापित करने केलिए चंडीगढ़ विश्वविद्यालय की प्रशंसा की और विश्वविद्यालय की उपलब्धियों को शिक्षा के क्षेत्र में निजी क्षेत्र की बढ़ती भागीदारी का प्रतीक बताया।
रक्षामंत्री ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की दशकों से अपनी कड़ी मेहनत और दूरदृष्टि के माध्यम से दुनिया की शीर्ष अंतरिक्ष एजेंसियों में से एक होने की भी सराहना की। गौरतलब हैकि अंतरिक्ष विज्ञान, उपग्रह विकास में छात्रों को प्रशिक्षण देने और अंतरिक्ष अनुसंधान में भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के उद्देश्य से स्थापित अत्याधुनिक केसीसीआरएसएसटी चंडीगढ़ विश्वविद्यालय के छात्र उपग्रह केलिए एक आंतरिक विकसित ग्राउंड कंट्रोल स्टेशन होगा। विश्वविद्यालय के छात्रों और अनुसंधान केलिए भू-स्थानिक केंद्र नैनो-उपग्रह डिजाइन कर रहा है। चंडीगढ़ विश्वविद्यालय का छात्र उपग्रह 2022 में 75वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर अंतरिक्ष में लॉंच किए जानेवाले 75 छात्र निर्मित उपग्रहों में से एक होगा। चंडीगढ़ विश्वविद्यालय आईआईटी कानपुर, आईआईटी बॉम्बे जैसे 13 संस्थानों की सूची में शामिल हो गया है और अपना स्वयं का उपग्रह डिजाइन और विकसित करने वाला उत्तर भारत का पहला विश्वविद्यालय बन गया है।
चंडीगढ़ विश्वविद्यालय के 75 छात्र भारतीय वैज्ञानिकों के मार्गदर्शन में चंडीगढ़ विश्वविद्यालय छात्र उपग्रह परियोजना पर काम कर रहे हैं। सीयूएसएटी के प्रक्षेपण के साथ पंजाब अंतरिक्ष में अपना उपग्रह रखने वाला भारत का पहला सीमावर्ती राज्य बन जाएगा। विश्वविद्यालय के नैनोसैटेलाइट-सीयूएसएटी का प्रक्षेपण देश केलिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा, क्योंकि यह सीमा घुसपैठ का पता लगाने, कृषि, मौसम पूर्वानुमान, प्राकृतिक आपदा पूर्वानुमान से संबंधित डेटा एकत्र करेगा, जो विभिन्न समस्याओं के अनुसंधान और अध्ययन में सहायक होगा। जीसीएस उन देशों में उपग्रह अनुसंधान सुविधाओं को विकसित करने और उपग्रहों को लॉंच करने में मदद करेगा, जिनके पास उपग्रह प्रौद्योगिकी विकसित नहीं है। इस मौके पर चंडीगढ़ विश्वविद्यालय के चांसलर एस सतनाम सिंह संधू, वैज्ञानिक, फैकल्टी और बड़ी संख्या में छात्र मौजूद थे।