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Thursday 13 January 2022 04:01:06 PM
नई दिल्ली। देश में राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा) ने नागरिकों को त्वरित और कम खर्च पर न्याय देने की प्रतिबद्धता व्यक्त करते हुए वैकल्पिक विवाद प्रणाली केजरिए लंबित मामलों की संख्या को प्रभावी ढंग से कम करने में राष्ट्रीय लोक अदालत के योगदान को बढ़ाने का निर्णय लिया है। विधिक सेवा प्राधिकरणों ने इस लक्ष्य को प्राप्त करने को लेकर लोक अदालतों के आयोजन केलिए गतिशील तैयारी की रणनीतियों पर ध्यान दिया है। एक शुरुआती उपाय के रूपमें नालसा ने ऐसी लोक अदालतों के दौरान अधिकतम निपटान की दिशा में उन्हें मार्गदर्शन करने केलिए सभी राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरणों केसाथ पूर्व परामर्श और समीक्षा बैठकों का आयोजन शुरू किया है। हर एक राष्ट्रीय लोक अदालत के आयोजन से पहले सभी राज्य विधिक सेवा प्राधिकरणों के कार्यकारी अध्यक्ष बैठकों में लोक अदालतों के आयोजन की तैयारियों का जायजा लेने केसाथ-साथ हितधारकों का मनोबल भी बढ़ाएंगे।
गौरतलब हैकि भारत में राष्ट्रीय विधि सेवा प्राधिकरण का गठन विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम-1987 केतहत किया गया था, जिसका काम कानूनी सहायता कार्यक्रम लागू करना और उसका मूल्यांकन एवं निगरानी करना है, साथही इस अधिनियम के अंतर्गत कानूनी सेवाएं उपलब्ध कराना भी है। प्रत्येक राज्य में एक राज्य कानूनी सहायता प्राधिकरण और प्रत्येक उच्च न्यायालय में एक उच्च न्यायालय कानूनी सेवा समिति गठित की गई है। जिला कानूनी सहायता प्राधिकरण और तालुका कानूनी सेवा समितियां जिला और तालुका स्तर पर बनाई गई हैं। इनका काम नालसा की नीतियों और निर्देशों को कार्यरूप देना और लोगों को नि:शुल्क कानूनी सेवा प्रदान करना और लोक अदालतें चलाना है। राज्य कानूनी सहायता प्राधिकरणों की अध्यक्षता संबंधित जिले के मुख्य न्यायाधीश और तालुका कानूनी सेवा समितियों की अध्यक्षता तालुका स्तर के न्यायिक अधिकारी करते हैं। नालसा देशभर में कानूनी सहायता कार्यक्रम और योजनाएं लागू करने केलिए राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण पर दिशा-निर्देश जारी करता है। देशभर में आयोजित राष्ट्रीय लोक अदालतों में कुल 1,27,87,329 मामलों का निपटारा किया गया, इनमें बड़ी संख्या में लंबित मामले यानी 55,81,117 और मुकद्मा दर्ज किए जानेसे पहले के मामलों की एक रिकॉर्ड संख्या यानी 72,06,212 शामिल है।
विधिक सेवा प्राधिकरणों ने बड़ी संख्या में मामलों का निपटारा किया है, इससे प्राधिकरणों ने लंबे समय तक चलनेवाली कानूनी लड़ाई को समाप्त या रोककर नागरिकों को राहत देने का काम किया है। विधिक सेवा प्राधिकरणों ने जून 2020 में विवाद निपटान के पारंपरिक तरीकों केसाथ तकनीक को एकीकृत किया और वर्चुअल लोक अदालतों की शुरुआत की, जिन्हें 'ई-लोक अदालत' कहा जाता है। उस समय से राष्ट्रीय लोक अदालतों सहित सभी लोक अदालतों का आयोजन वर्चुअल और हाइब्रिड मोड केजरिए किया जाता है। ई-लोक अदालत की कार्यवाही केदौरान एक निर्बाध अनुभव प्रदान करने केलिए देशभर में विधिक सेवा प्राधिकरण अपने डिजिटल बुनियादी ढांचे को लगातार उन्नत करने पर काम रहे हैं। लोक अदालतें अब तकनीकी उन्नति के चलते पक्षों के दरवाजे तक पहुंच गई हैं। ये पक्ष अब अपने घरों या कार्यस्थलों से लोक अदालत की कार्यवाही में शामिल हो सकते हैं, जो मिनटों में समाप्त हो जाती है, इससे वे यात्रा करने और एक मामले केलिए पूरा दिन आरक्षित करने की परेशानी से बच जातें हैं। अधिकारियों ने देखा हैकि लोक अदालत का जहां आयोजन होता है, उससे सैकड़ों किलोमीटर दूर बैठे लोग बड़ी संख्या में वर्चुअल कार्यवाही में शामिल हुए हैं।
लोक अदालतों के पर्यवेक्षण और निगरानी के तकनीक से प्रभावी तरीके मिले हैं। लोक अदालतों की इस सफलता का अन्य प्रमुख कारक राष्ट्रीय स्तरपर निर्णायक रणनीतियों का निर्माण रहा है, इनके तहत राज्य विधिक सेवा प्राधिकरणों को हितधारकों के पूर्ण सहयोग और समन्वय को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से हर स्तरपर उनके साथ बैठकों का निर्देश दिया गया। प्राधिकरणों को एक वादी अनुकूल दृष्टिकोण का अनुपालन करने केसाथ ऐसे वादियों को विधि के निर्धारित प्रस्तावों से जुड़े मामलों को निपटाने केलिए तैयार करने का भी निर्देश दिया गया था। विधि के कुछ क्षेत्रों जैसेकि एनआई अधिनियम के मामले, अन्य वित्तीय मामलों केसाथ बैंक वसूली मामले में निपटान की अधिक संभावनाएं होती हैं। प्राधिकरणों को ऐसे मामलों में समझौता कराने की सभी संभावनाओं का पता लगाने का निर्देश दिया गया था। प्राधिकरणों को सलाह दी गई थीकि वे इस तरह के वित्तीय मामलों में प्रक्रियाओं को जारी करने और इन्हें पूरा करने की पूरी सक्रियता से निगरानी करने के साथ-साथ मामले को निपटाने केलिए पूर्व लोक अदालत की बैठकें आयोजित करें। इस तथ्य को लेकर कोई संदेह नहीं हैकि मौजूदा महामारी के दौरान लंबित मामलों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है।
हालांकि लोक अदालतों केजरिए बड़ी संख्या में मामलों के निपटान के साथ विधिक सेवा प्राधिकरणों ने देश के न्यायिक प्रशासन में एक संतुलन का निर्माण किया है। इस बात को लेकर कोई दोराय नहीं हैकि लोक अदालतों ने किसी भी अन्य विवाद समाधान प्रणाली की तुलना में अधिक संख्या में मामलों का निपटारा किया और वैकल्पिक विवाद समाधान तंत्र के सबसे प्रभावशाली उपकरण के रूपमें सामने आया है। साल 2021 के दौरान निपटाए गए मामलों की श्रेणीवार सूची में आपराधिक संयोजनीय मामलों की श्रेणी शीर्ष स्थान पर रही है। इसके तहत कुल 17,63,233 लंबित मामलों और मुकदमा दर्ज किए जाने से पहले के कुल 18,67,934 मामलों के निपटाए किए गए। इसके बाद राजस्व से संबंधित मामले हैं, इनमें 14,99,558 लंबित मामले और मुकदमा दर्ज किए जाने से पहले के कुल 11,59,794 मामले शामिल हैं। इनके अलावा निपटाए गए अन्य मामलों में एनआई अधिनियम के तहत चेक बाउंस मामले, बैंक वसूली मामले, मोटर दुर्घटना दावे, श्रम विवाद और विवाह से संबंधित मामले शामिल हैं।