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अध्यापन कला में खिलौने बहुत उपयोगी

'खिलौने खेलना बनाना और सीखना' अंतर्राष्ट्रीय वेबिनार

प्रधानमंत्री का 'वोकल फॉर लोकल' दृष्टिकोण प्रदर्शित

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Friday 21 January 2022 01:31:23 PM

international webinar on toys and games to play, make and learn

नई दिल्ली। शिक्षा राज्यमंत्री डॉ राजकुमार रंजन सिंह ने खिलौने और खेल खेलने, बनाने और सीखने पर अंतर्राष्ट्रीय वेबिनार के उद्घाटन सत्र में बतौर मुख्य अतिथि संबोधित करते हुए कहा हैकि खिलौना आधारित शिक्षण पद्धति एनईपी 2020 और प्रधानमंत्री के 'वोकल फॉर लोकल' दृष्टिकोण के अनुरूप है। उन्होंने बच्चों के बौद्धिक विकास और उनमें रचनात्मकता पैदा करने और समस्या को सुलझाने के कौशल को निखारने में खिलौनों की भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहाकि सीखने-सिखाने के संसाधन के रूपमें खिलौनों में अध्यापन कला को बदलने की क्षमता है और खिलौना आधारित शिक्षण का उपयोग माता-पिता अपने बच्चों को सिखाने केलिए आसानी से कर सकते हैं। उन्होंने कहाकि खिलौने हमारे देश की सांस्कृतिक विरासत को समझने में मदद करते हैं और बौद्धिक एवं भावनात्मक विकास को मजबूती प्रदान करते हैं। उन्होंने आशा व्यक्त कीकि यह अंतर्राष्ट्रीय वेबिनार हमारे देश के आत्मनिर्भर होने की यात्रा को सुगम बनाएगा और देश के आर्थिक विकास में भी योगदान देगा।
स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग में सचिव अनीता करवाल ने अंतर्राष्ट्रीय वेबिनार के आयोजन में मदद करने वाले लोगों को धन्यवाद दिया। उन्होंने आगामी एनसीएफ में खिलौना आधारित शिक्षण शुरू करने की भूमिका का उल्लेख किया जैसाकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कल्पना की है। उन्होंने भारतीय परंपरा में खिलौनों और खेलों के महत्व पर ध्यान आकर्षित किया और शतरंज या चेस जैसे खेलों को लेकर चिंता जताई, जो भारत से शुरू हुए और अब भारतीय बच्चे उससे पकड़ खो रहे हैं। उन्होंने एनईपी 2020 का संदर्भ प्रस्तुत करते हुए कहाकि इसमें बुनियादी और प्रारंभिक वर्षों केलिए खेल आधारित शिक्षा पर ध्यान केंद्रित करते हुए एक महत्वपूर्ण बदलाव किया गया है। उन्होंने एनईपी 2020 के अन्य पहलुओं पर भी जोर दिया, गणित पढ़ाने केलिए पहेलियों और खेलों का उपयोग, पाठ्यक्रम और शिक्षण पद्धति को भारतीय संस्कृति के लोकाचार से जोड़ना, बच्चों की अनूठी क्षमता को सामने लाना आदि।
अनीता करवाल ने शिक्षा प्रणाली में खिलौना आधारित शिक्षण कला के प्रयास का उल्लेख किया और कहाकि एनईपी 2020 में उल्लिखित 'स्कूल तैयारी मॉड्यूल' का विकास, जो पूरी तरह से बच्चों की गतिविधियों, खेलों और खिलौने बनाने पर आधारित है, जिससे उनमें रचनात्मकता, गहराई से सोचने की क्षमता, 21वीं सदी के कौशल एवं दक्षता विकसित हो सके। अनीता करवाल ने खिलौनों और खेलों को डिजाइन करने और विकसित करने केलिए हाल ही में कार्यक्रम हैकाथॉन का विवरण भी साझा किया, 70 प्रतिशत से अधिक प्रतिभागी स्कूलों से थे और इस प्रक्रिया से तैयार किए गए ज्यादातर खिलौने भारतीय संस्कृति और लोकाचार से ओतप्रोत थे। एनसीईआरटी के निदेशक प्रोफेसर श्रीधर श्रीवास्तव ने खिलौने और मनोरंजन आधारित शिक्षा पर केंद्रित अंतर्राष्ट्रीय वेबिनार के महत्व पर प्रकाश डाला। वेबिनार की समन्वयक और लैंगिक अध्ययन विभाग एनसीईआरटी की प्रमुख प्रोफेसर ज्योत्सना तिवारी ने कहाकि खिलौने हमेशा भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहे हैं। उन्होंने प्लास्टिक के खिलौनों के बढ़ते उपयोग पर चिंता जताई, जिसका पर्यावरण पर गंभीर प्रभाव होता है।
प्रोफेसर ज्योत्सना तिवारी ने ग्रामीण और स्वदेशी शिल्प को बढ़ावा देने और स्वदेशी खिलौनों के उद्योग को बढ़ावा देने के महत्व को रेखांकित किया और बच्चों के दुनिया के बारे अलग तरह से सोचने, पुनर्विचार और कल्पना शक्ति को मजबूत करने केलिए खिलौना आधारित शिक्षण पद्धति के महत्व पर प्रकाश डाला। बाल विश्वविद्यालय गांधीनगर के कुलपति हर्षद पी शाह ने वैश्विक खिलौना उद्योग के संदर्भ में भारतीय खिलौना उद्योग का स्वरूप सबके सामने रखा और बतायाकि भारत की इसमें मामूली हिस्सेदारी है। उन्होंने कहाकि खिलौने बच्चों में कौशल, तार्किक सोच, सीखने की शक्ति और दक्षता विकसित करने में मदद करते हैं, उदाहरण केलिए खिलौने तथाकथित 'कठिन विषयों' को समझने में, छात्रों के बीच समन्वय और सहयोग विकसित करने में मदद करते हैं। डॉ हर्षद पी शाह ने बाल विश्वविद्यालय की मौजूदा पद्धतियों और नवीन पहलों जैसे-टॉय इनोवेशन लैब, 3डी प्रिंटिंग, टॉय लाइब्रेरी आदि केबारे में बताया। उन्होंने बाल विश्वविद्यालय की भविष्य की योजनाओं को भी साझा किया और बच्चों के विकास केलिए चार माध्यमों केबारे में बताया-गीत, कहानियां, खेल, खिलौने।
वेबिनार के पहले तकनीकी सत्र की अध्यक्षता डॉ सच्चिदानंद जोशी सदस्य सचिव इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र नई दिल्ली ने की। इसमें पांच पेपर थे, जो विभिन्न विषयों पर खिलौनों और खेलों की परंपरा पर प्रस्तुत किए गए और इसमें इतिहास से उदाहरण लेकर आज के दिन से जोड़ा गया। दूसरा तकनीकी सत्र खिलौनों केसाथ विभिन्न अवधारणाओं को सीखना: खिलौना आधारित शिक्षण कला पर केंद्रित था, इसकी अध्यक्षता किम इंस्ले एसोसिएट प्रोफेसर (शिक्षण) पाठ्यक्रम विभाग शिक्षण कला एवं मूल्यांकन विभाग शिक्षा संस्थान यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ लंदन ने की। इसमें शिक्षकों और शिक्षकों के प्रशिक्षकों ने अपने अनुभव साझा किए। खिलौना डिजाइन शिक्षा: पाठ्यक्रम और करियर पर केंद्रित तीसरे तकनीकी सत्र की अध्यक्षता औद्योगिक डिजाइन केंद्र आईआईटी बॉम्बे मुंबई के प्रोफेसर रवि पवैय्या ने की। विभिन्न डिजाइन संस्थानों के संकाय सदस्यों और एक उद्यमी ने देश में खिलौनों के डिजाइन एजुकेशन पर अपने विचार साझा किए।
प्रोफेसर रवि पवैय्या ने खिलौना आधारित शिक्षण पद्धति की दिशा में काम करने केलिए विभिन्न संस्थानों केबीच सहयोग का आह्वान किया। सांस्कृतिक संसाधन और प्रशिक्षण केंद्र, संस्कृति मंत्रालय की ओर से वीडियो प्रस्तुतियां दिखाई गईं। विकास गुप्ता द्वारा इनोवेटिव टॉय डिजाइन के जरिए बनारस टॉय क्लस्टर्स पर डिजाइन इंटरवेंशन, अतुल दिनेश के डिजाइन के माध्यम से चन्नापटना टॉय क्लस्टर की विरासत को पुनर्जीवित करना, अंजू कौर चाजोत निदेशक महात्मा गांधी अंतर्राष्ट्रीय स्कूल, केवीएस शिक्षकों द्वारा खिलौना आधारित शिक्षण पर प्रस्तुति और खिलौना आधारित शिक्षण पद्धति केजरिए आनंदपूर्ण कक्षाएं ज्योति गुप्ता निदेशक डीपीएस साहिबाबाद और केआर मंगलम स्कूल नई दिल्ली ने देशभर में खिलौने बनाने और खिलौने आधारित शिक्षण पद्धति पर प्रकाश डाला। वेबिनार में प्रोफेसर अमरेंद्र प्रसाद बेहरा संयुक्त निदेशक केंद्रीय शैक्षिक प्रौद्योगिकी संस्थान, शिक्षा मंत्रालय के स्वायत्त संगठनों के अधिकारी, एनसीईआरटी के अधिकारियों ने भी हिस्सा लिया।

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