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'भारत का शासन मॉडल जन आंदोलन बन गया'

प्रौद्योगिकी आधारित शासन एक विकल्प नहीं, जरूरत है-राज्यमंत्री

सीबीसी का 'लोक प्रशासन में नवाचार' कार्यक्रम का उद्घाटन

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Saturday 5 February 2022 02:30:54 PM

jitendra singh launching the innovations in public administration programme

नई दिल्ली। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान, प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन एवं परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष विभाग में राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा हैकि प्रौद्योगिकी आधारित शासन अब एक विकल्प नहीं है, बल्कि जरूरत है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में प्रौद्योगिकी नवाचार शासन प्रणाली की कसौटी बन गया है। राज्यमंत्री ने लोक सेवा में सफल नवाचारों की पहचान करने केलिए जनसेवकों के संचालित मिशन कर्मयोगी के क्षमता निर्माण आयोग के 'लोक प्रशासन में नवाचार' कार्यक्रम के उद्घाटन कार्यक्रम में यह बात कही। उन्होंने कहाकि ये वर्तमान और भविष्य के जनसेवकों के क्षमता निर्माण केलिए केस स्टडी के रूपमें काम करेंगे। राज्यमंत्री ने कहाकि एक सीबीसी नॉलेज रिपोजिटरी (ज्ञानकोश) बनाई जाएगी, ताकि देशभर में सफल नवोन्मेष को बढ़ाने केलिए सभी तक पहुंच बनाई जा सके।
राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने सही मायने में छह महीने की अल्पावधि के भीतर जनसेवकों के सशक्तीकरण को लेकर प्रधानमंत्री की परिकल्पना को बढ़ावा देते हुए सीबीसी की भूमिका की सराहना की और वैश्विक चुनौतियों का सामना करने केलिए वैश्विक बेंचमार्क स्थापित करने की अपील की। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि शासन सुधारों को लेकर प्रधानमंत्री की एक विशेष अभिरुचि है और पिछले साढ़े सात वर्ष में प्रशासनिक निर्गत को बढ़ाने केलिए लीक से हटकर कई अवधारणाओं पर अमल किया गया है। उन्होंने कहाकि 2016 में एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया था, जिसमें जनसेवकों को उनके संबंधित कैडर में जाने से पहले केंद्र में सहायक सचिव के रूपमें तीन महीने का कार्यकाल पूरा करना अनिवार्य कर दिया गया था। उन्होंने कहाकि इसी तरह 2014 केबाद से प्रधानमंत्री उत्कृष्टता पुरस्कार की पूरी अवधारणा और प्रारूप में क्रांतिकारी बदलाव आया है, क्योंकि प्रमुख योजनाओं के कार्यांवयन में हासिल उत्कृष्टता केलिए व्यक्तिगत प्रदर्शन से जिलों केबीच प्रतिस्पर्धा पर ध्यान केंद्रित किया गया है। उन्होंने कहाकि भारत का शासन मॉडल जन आंदोलन बन गया है, जिसमें प्रमुख योजनाओं में प्रधानमंत्री की जनभागीदारी की अपील को लोगों की प्रतिक्रिया मिल रही है।
डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि एलबीएसएनएए मसूरी और अन्य केंद्रीय प्रशिक्षण संस्थानों में आधुनिक पाठ्यक्रम और एकीकृत दृष्टिकोण पर नए सिरे से ध्यान देने के साथ प्रशिक्षण भी एक बड़े बदलाव के दौर से गुजर रहा है। उन्होंने कहाकि मिशन कर्मयोगी के माध्यम से शासन का अंतिम उद्देश्य भारत के आम आदमी केलिए ईज ऑफ़ लिविंग लाना अर्थात आम लोगों का जीवन सुगम बनाना है। क्षमता निर्माण आयोग के अध्यक्ष आदिल जैनुलभाई ने कहाकि इनोवेशन पोर्टल लगभग 31 लाख सिविल सर्वेंट्स यानी जनसेवकों केलिए खुला रहेगा, जो उन नवाचारों को ग्रहण करेंगे, जिनका शासन की दक्षता पर भारी असर पड़ेगा। उन्होंने कहाकि नवोन्मेषकों को समुचित तरीके से पुरस्कृत किया जाएगा और अनूठी परियोजनाओं को बढ़ावा दिया जाएगा। सदस्य (मानव संसाधन) सीबीसी रामास्वामी बालासुब्रमण्यम ने कहाकि आजादी के 75 साल बाद पहलीबार सिविल सेवा की वार्षिक प्रदर्शन रिपोर्ट जारी की गई। उन्होंने कहाकि भारत सफल नवाचारों केलिए सिविल सेवकों के केस स्टडी का ग्लोबल रिपॉजिटरी यानी विश्वकोष बन सकता है।
सदस्य (प्रशासन) प्रवीण परदेशी, सचिव सीबीसी हेमांग जानी और देशभर के 100 से अधिक शीर्ष नौकरशाह उद्घाटन समारोह में शामिल हुए। कार्यक्रम के दौरान आयोग ने विभिन्न राज्यों के तीन नवोन्मेषकों को नवाचार परियोजनाओं के संचालन के उनके अनुभव साझा करने केलिए आमंत्रित किया। डॉ राजेंद्र भरूद आयुक्त टीआरटीआई ने महाराष्ट्र के गांवों में नाली रहित गांवों केलिए सोक पिट मॉडल के संबंध में प्रस्तुति दी। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के संयुक्त आयुक्त डॉ राकेश गुप्ता ने नागरिक सेवा वितरण में सुधार केलिए हरियाणा में लागू अंत्योदय सरल परियोजना पर प्रस्तुति दी और क्षिप्रा आग्रे डिप्टी कलेक्टर वलसाड ने गुजरात के वलसाड में लागू प्रारंभिक बाढ़ चेतावनी प्रणाली के संबंध में बताया। क्षमता निर्माण आयोग ने सभी सरकारी कर्मचारियों को अपने सफल नवाचारों को साझा करने केलिए आमंत्रित भी किया। चयनित नवोन्मेषकों को सिविल सेवा रिपोर्ट की वार्षिक स्थिति में शासन और सार्वजनिक सेवा वितरण को बढ़ाने केलिए अपने नेतृत्व, रचनात्मकता और पहल का प्रदर्शन करने का अवसर मिलेगा। 

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