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Wednesday 16 February 2022 11:52:44 AM
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महान संत श्रीगुरु रविदास जयंती पर आज दिल्ली के श्रीगुरु रविदास विश्राम धाम मंदिर जाकर उनके दर्शन और पूजा-अर्चना की। उन्होंने देशवासियों को श्रीगुरु रविदास जयंती पर शुभकामनाएं देते हुए कहाकि उन्हें यह बताते हुए गर्व का अनुभव हो रहा हैकि उनकी सरकार के हर कदम और हर योजना में पूज्य श्रीगुरु रविदासजी की भावना को समाहित किया है। प्रधानमंत्री ने अनेक ट्वीट्स में कहाकि महान संत श्रीगुरु रविदास ने जिस प्रकार से अपना जीवन समाज से जात-पात और छुआछूत जैसी कुप्रथाओं को समाप्त करने केलिए समर्पित कर दिया था, वो आज भी हम सबके लिए प्रेरणादायी हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि इस अवसर पर संत श्रीगुरु रविदास की पवित्र स्थली को लेकर कुछ बातें याद आ रही हैं, साल 2016 और 2019 में उन्हें यहां मत्था टेकने और लंगर छकने का सौभाग्य मिला था। नरेंद्र मोदी ने कहाकि एक सांसद होने के नाते मैंने ये तय कर लिया था कि इस तीर्थस्थल के विकास कार्यों में कोई कमी नहीं होने दी जाएगी, यही नहीं काशी में उनकी स्मृति में निर्माण कार्य पूरी भव्यता और दिव्यता केसाथ आगे बढ़ रहा है। ज्ञातव्य हैकि श्रीगुरु रविदास को रैदास, सतगुरु, जगतगुरु भी पुकारते हैं। इनका जन्म काशी में माघ पूर्णिमा के दिन हुआ था। श्रीगुरु रविदास के जन्म के बारे में एक दोहा प्रचलित है-चौदह से तैंतीस कि माघ सुदी पंदरास, दुखियों के कल्याण हित प्रगटे श्री रविदास। उन्होंने ऊंच-नीच की भावना, ईश्वर-भक्ति के नाम पर किए जाने वाले विवाद को सारहीन तथा निरर्थक बताया और सबको परस्पर मिलजुलकर प्रेमपूर्वक रहने का उपदेश दिया।
संत रविदास स्वयं मधुर एवं भक्तिपूर्ण भजनों की रचना करते थे और उन्हें भावविभोर होकर सुनाते थे। उनका विश्वास थाकि राम, कृष्ण, करीम, राघव आदि सब एक ही परमेश्वर के विविध नाम हैं, वेद, कुरान, पुराण आदि ग्रंथों में एक ही परमेश्वर का गुणगान किया गया है। संत रामानंद के शिष्य बनकर उन्होंने आध्यात्मिक ज्ञान अर्जित किया। आजभी संत रविदास के उपदेश समाज के कल्याण और उत्थान केलिए अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने अपने आचरण और व्यवहार से यह प्रमाणित कर दिया थाकि मनुष्य अपने जन्म और व्यवसाय के आधार पर महान नहीं होता, बल्कि विचारों की श्रेष्ठता, समाज के हित की भावना से प्रेरित कार्य तथा सद्व्यवहार जैसे गुण ही मनुष्य को महान बनाने में सहायक होते हैं। इन्हीं गुणों के कारण संत रविदास को अपने समय के समाज में अत्यधिक सम्मान मिला और इसी कारण आज भी लोग उन्हें श्रद्धापूर्वक स्मरण करते हैं।