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Wednesday 16 February 2022 01:17:59 PM
हैदराबाद। केंद्रीय संस्कृति, पर्यटन और उत्तर पूर्वी क्षेत्र मंत्री जी किशन रेड्डी ने 'भारत में संग्रहालयों की पुनर्कल्पना' पर हैदराबाद में अपनी तरह के पहले दो दिवसीय सम्मेलन की शुरूआत करते हुए कहा हैकि भारत समृद्ध सांस्कृतिक विरासत की भूमि है और इसे संरक्षित, प्रचारित और बनाए रखने की आवश्यकता है। उन्होंने कहाकि उन्हें विश्वास हैकि हमारे संग्रहालय इन लक्ष्यों को हासिल करने का अद्भुत माध्यम बनेंगे। संस्कृति मंत्री ने कहाकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकास के विजन केसाथ हम सुनिश्चित कर रहे हैंकि गरीब से गरीब व्यक्ति को विकास का लाभ मिले और हम अद्भुत विरासत की रक्षा करें। उन्होंने कहाकि सम्मेलन को भारत की स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में देश की जनता, इसकी संस्कृति और उपलब्धियों के गौरवशाली इतिहास का उत्सव मनाने केलिए प्रमुख कार्यक्रम आजादी के अमृत महोत्सव के तत्वावधान में आयोजित किया गया है। उन्होंने कहाकि हमें अपनी सांस्कृतिक विकास को संरक्षित करने और बनाए रखने पर फिर जोर देने और समर्पण पर गर्व है।
संस्कृति मंत्री ने कहाकि हमारे जीवन के समृद्ध अतीत की याद दिलाने में संग्रहालय एक अहम भूमिका निभाते हैं, आज भारत में 1000 से ज्यादा संग्रहालय न सिर्फ सांस्कृतिक विरासत के प्रदर्शन और संरक्षण के साधन हैं, बल्कि भावी पीढ़ियों को शिक्षित भी कर रहे हैं। उन्होंने देशभर में मौजूद संग्रहालयों को प्रोत्साहन देने और सुधार में अन्य मंत्रालयों एवं विभागों की भूमिका को भी रेखांकित किया। उन्होंने कहाकि भारत सरकार स्वतंत्रता संग्राम में आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान को मान्यता देने केलिए 10 संग्रहालयों का विकास कर रही है और वस्त्र एवं शिल्प संग्रहालयों, रक्षा संग्रहालयों, रेलवे संग्रहालयों जैसे विशेष संग्रहालयों को समर्थन जारी रखा है। उन्होंने कहाकि संस्कृति मंत्रालय संग्रहालयों को समर्थन और प्रोत्साहन देने केलिए भी काम करता है, 2014 से अभी तक देशभर के 110 संग्रहालयों को वित्तपोषण किया जा चुका है और वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा देने के क्रम में 18 विज्ञान संग्रहालय भी विकसित किए जा रहे हैं, इसके अलावा मंत्रालय के तहत काम करने वाला भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण देशभर में 52 संग्रहालयों संचालन भी करता है।
जी किशन रेड्डी ने कहाकि संस्कृति मंत्रालय एक समावेशी मॉडल पर काम कर रहा है, जिसमें कलाकार, संग्रहालय पेशेवर और शिक्षक शामिल हैं और उन्हें देश में संग्रहालयों के केंद्र में रखता है। उन्होंने कहाकि संग्रहालयों को नए डिजिटल युग में 21वीं सदी केलिए प्रासंगिक बनाने केलिए खुद को नए सिरे से तैयार करने की जरूरत है, हमें सुनिश्चित करने की जरूरत हैकि हमारे संग्रहालय ज्यादा सुलभ हों, जिससे नागरिक अपने पार्कों और मैदानों की तरह उन्हें अपना सकें। उन्होंने देश से चोरी हुई धरोहरों को विदेश से वापस लाने की दिशा में हो रहे प्रयासों को भी रेखांकित किया। जी किशन रेड्डी ने कहाकि चोरी हो चुकीं 95 प्रतिशत विरासत को वापस लाया जा चुका है, 1976 के बाद वापस लाई गईं 212 प्राचीन वस्तुओं में से 199 वर्ष 2014 के बाद लाई गई हैं, इनमें से 157 वस्तुओं को हाल में अमेरिका से वापस लाया गया है। उन्होंने कहाकि इससे एकबार फिर विकास और विरासत के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता का पता चलता है। उन्होंने हैदराबाद में एक साइंस सिटी का प्रस्ताव, सालार जंग संग्रहालय और आदिवासी संग्रहालय, जिनके लिए तेलंगाना राज्य सरकार से भूमि के आवंटन का इंतजार है, सहित राज्य में 10 संग्रहालयों को समर्थन सहित तेलंगाना राज्य केलिए की गईं विभिन्न पहलों पर बात की।
जी किशन रेड्डी ने बताया कि लाम्बासिंगी में आदिवासी संग्रहालय सहित आंध्र प्रदेश में 6 संग्रहालयों को समर्थन दिया जा रहा है। सम्मेलन में भारत, ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस, इटली, सिंगापुर, संयुक्त अरब अमीरात, यूनाइटेड किंगडम और अमेरिका जैसे देशों के प्रतिभागी भाग ले रहे हैं। सम्मेलन को इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ म्यूजियम्स के प्रेसिडेंट अलबर्टो गैरलिंडिनी, इंटरनेशनल सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ द प्रिजर्वेशन एंड रिस्टोरेशन ऑफ द कल्चरल प्रॉपर्टी के डायरेक्टर जनरल वेबर नोडोरो और संस्कृति मंत्रालय में संयुक्त सचिव लिली पांड्या ने भी संबोधित किया। इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ म्यूजिम्स के प्रेसिडेंट अलबर्टो गैरलिंडिनी ने कहाकि पहले से ही भविष्य के संग्रहालय बनाए जा रहे हैं और संग्रहालय पेशेवर समुदायों के साथ नए संपर्क विकसित कर रहे हैं, साथ ही सांस्कृतिक भागीदारी के नवीन रूपों केसाथ प्रयोग किए जा रहे हैं। उन्होंने कहाकि संग्रहालय सबसे ज्यादा भरोसेमंद संस्थान हैं और समावेशन, विविधता को बढ़ावा देने और वैज्ञानिक सूचना के प्रसार केलिए अच्छी स्थिति में हैं। आईसीसीआरओएम के डायरेक्टर जनरल वेबेर नोडोरो ने कहाकि भारत प्रेरणादायी संग्रहालय विकसित करने की स्थिति में है, यह पहल न सिर्फ भारत बल्कि पूरी दुनिया केलिए दूरगामी होगी। उन्होंने कहाकि संग्रहालय न सिर्फ कला संग्रह की इमारतें हैं, बल्कि वे सांस्कृतिक विरासत और अनुभवों का भंडार हैं।
संस्कृति मंत्रालय में जेएस लिली पांड्या ने कहाकि संग्रहालय देश के लोगों को इतिहास से रूबरू करते हैं, जो वर्तमान दौर की संस्कृति, सामाजिक एवं आर्थिक, राजनीतिक संरचनाओं को समझने केलिए आवश्यक है। उन्होंने कहाकि संग्रहालय सांस्कृतिक गतिविधियों और संरक्षण केलिए समाज की क्षुधा के स्तर को बताते हैं। उन्होंने कहाकि यह वैश्विक सम्मेलन भारतीय संग्रहालयों केलिए विशेष प्राथमिकताएं तय करने का एक विशेष अवसर है, यह भारत और दुनियाभर के संग्रहालय विकास और प्रबंधन के क्षेत्र में अग्रणी लोगों, क्षेत्र के विशेषज्ञों और व्यवसायियों को एकसाथ लाता है, ताकि सर्वोत्तम प्रक्रियाओं और रणनीतियों पर चर्चा की जा सके। इसमें 25 से अधिक संग्रहालय विज्ञानी और संग्रहालय से जुड़े पेशेवर संग्रहालयों केलिए नई प्राथमिकताओं और तौर-तरीकों केबारे में गहन विचार-विमर्श करेंगे। इसमें ज्ञान साझा करने के परिणामस्वरूप नए संग्रहालयों के विकास केलिए एक ब्लूप्रिंट तैयार होने केसाथ एक नया कार्यक्रम तैयार होगा और भारत में मौजूदा संग्रहालयों को फिरसे जीवंत करने का मार्ग प्रशस्त हो सकेगा।