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Wednesday 9 March 2022 12:38:14 PM
नई दिल्ली। कार्यवाहक अध्यक्ष चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी और थल सेनाध्यक्ष जनरल एमएम नरवणे ने प्रतिष्ठित यूएसआई मैकग्रेगर मेमोरियल मेडल प्रदान किए, इनमें से भारतीय थलसेना से दो और नौसेना और वायुसेना से एक-एक विजेता शामिल थे, जिन्हें सामरिक गतिविधि संबंधी सैनिक सर्वेक्षण और चरम साहसिक खेलों में उनकी उत्कृष्ट उपलब्धियों केलिए पदक प्रदान किए गए। राष्ट्रीय सुरक्षा और सैन्य मामलों पर शोध और परिचर्चा केलिए 1870 में स्थापित भारत के सबसे पुराने तीनों सेना के थिंक टैंक यूनाइटेड सर्विस इंस्टीट्यूशन में पुरस्कार समारोह का आयोजन किया गया। इसमें भारतीय सेना के शीर्ष स्तर के अधिकारी और सशस्त्र बलों के कर्मियों ने हिस्सा लिया। इस अवसर पर जनरल एमएम नरवणे ने भारत की सामरिक संस्कृति और भविष्य के सैन्य नेताओं को पेशेवर संवारने में उनके महान योगदान केलिए यूएसआई की सराहना की।
थल सेनाध्यक्ष जनरल एमएम नरवणे ने सैन्य अन्वेषणों और चरम साहसिक खेलों की विरासत को आगे बढ़ाने में यूएसआई की भूमिका की भी सराहना की। उन्होंने पुरस्कार विजेताओं को उनकी असाधारण प्रतिभा, धैर्य और दृढ़ संकल्प के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा कि भारतीय सशस्त्र बल असाधारण प्रतिभा से संपन्न हैं और पुरस्कार विजेताओं के कारनामे दूसरों को प्रेरित करेंगे और संगठन और भारत के लिए पुरस्कार और गौरव लाने के लिए उनके उदाहरण का अनुकरण करने के लिए प्रेरित करेंगे। मैकग्रेगर मेमोरियल मेडल की स्थापना 3 जुलाई 1888 को मेजर जनरल सर चार्ल्स मेटकाफ मैकग्रेगर, केसीबी, सीएसआई, सीआईई, यूएसआई के संस्थापक की स्मृति में की गई थी। आरंभ में यह पदक सैन्य टोही और मध्य एशिया, अफगानिस्तान, तिब्बत और बर्मा में ब्रिटिश सेना के अभियानों जैसे खोजी यात्रा केलिए प्रदान किया जाता था।
स्वतंत्रता के बाद साहसिक गतिविधियों केलिए भी यह पदक देने का निर्णय लिया गया। यह पदक भारतीय सशस्त्र बलों, प्रादेशिक सेना और असम राइफल्स के सेवारत और सेवानिवृत्त सभी रैंकों केलिए है। प्रशस्तिपत्र प्राप्तकर्ताओं की विशेषताएं हैं-संजय कुमार चीफ ईए (पी) भारतीय नौसेना कार्यकाल 2018-2019, इन्होंने ला अल्ट्रा 111 किलोमीटर में भाग लिया, जो अगस्त 18 में खारदुंगला दर्रे को पार करने सहित सबसे कठिन दौड़ थी। इन्होंने 18 सितंबर को सोलांक स्काई अल्ट्रा 60 किलोमीटर में नौसेना टीम में पहला स्थान हासिल किया और दिसंबर 18 में 12 घंटे स्टेडियम की दौड़ 110 किलोमीटर में उपविजेता रहे। संजय कुमार ने 19 जून को हेल रेस 211 किलोमीटर के पांच उच्च प्रारूपों को भी जीता और अगस्त 19 को मुंबई-गोवा अल्ट्रा रिले 563 किलोमीटर में नया इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड बनाया।
आर्मी एडवेंचर नोडल सेंटर (हैंग ग्लाइडिंग) स्कूल ऑफ आर्टिलरी देवलाली के हवलदार अब नायब सूबेदार संजीव कुमार ने 12 दिसंबर 2018 को 8 घंटे 43 मिनट तक हवा में रहकर पावर्ड हार्नेस हैंग ग्लाइडर में 313.13 किलोमीटर के पिछले रिकॉर्ड को तोड़ते हुए सूरतगढ़ से बाड़मेर तक 465.33 किलोमीटर की दूरी तय कर एक नया विश्व रिकॉर्ड बनाया। इनकी उपलब्धि को लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स और एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स ने मान्यता दी है। भारतीय वायुसेना के डायरेक्टरेट ऑफ अडवेंचर के एमडब्ल्यूओ अंशु कुमार तिवारी को भारतीय सशस्त्र बलों की हवाई क्षमता का प्रदर्शन करने केलिए खारदुंगला दर्रे 17982 फीट पर पैराशूट लैंडिंग की व्यवहार्यता की जांच करने का काम सौंपा गया था, उसमें उन्होंने 8 अक्टूबर 2020 को 24000 फीट से सफलतापूर्वक छलांग लगाई, जिससे दुनिया के इतिहास में पहलीबार इस महत्वपूर्ण पैराशूट प्रणाली की परिचालन वैधता स्थापित हुई।
पैरा स्पेशल फोर्स बटालियन के मेजर अजय कुमार सिंह ने लद्दाख के काराकोरम से उत्तराखंड तक 1660 किलोमीटर लंबे एआरएमईएक्स-21 स्की अभियान की योजना बनाई, प्रशिक्षित और सफलतापूर्वक नेतृत्व किया, 119 दिनों केलिए उच्च हिमालय में 18000 फीट से ऊपर 26 ऊबड़-खाबड़ दर्रों को सर्दियों के दौरान पार किया। इस खोज से अत्यधिक ऊंचाई वाले इलाके में सैन्य अभियानों केलिए बेहतर समझ और क्षमताएं विकसित हुई हैं। स्वतंत्रता से पूर्व एक समूह में कैप्टन एफई यंगहसबैंड (1890) को तिब्बत में अभियान केलिए और मेजर जनरल चार्ल्स विंगेट ने बर्मा में चिंदित ऑपरेशन केलिए चुना गया था। स्वतंत्रता केबाद मेजर जेडसी बख्शी वीआरसी को सैन्य टोही केलिए 1949 में प्रतिष्ठित पदक से सम्मानित किया गया था।