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Thursday 17 March 2022 05:03:54 PM
मसूरी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज लालबहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी मसूरी में 96वें सामान्य बुनियादी पाठ्यक्रम के समापन समारोह को वीडियो कॉंफ्रेंसिंग के माध्यम से संबोधित किया। उन्होंने नए खेल परिसर का भी उद्घाटन किया और हैप्पी वैली परिसर राष्ट्र को समर्पित समर्पित किया। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन की शुरूआत अधिकारियों को पाठ्यक्रम पूरा करने पर बधाई देते हुए की और होली पर्व की भी शुभकामनाएं दीं। उन्होंने निवर्तमान बैच की विशिष्टता का भी उल्लेख किया, क्योंकि यह बैच आज़ादी के अमृत महोत्सव वर्ष में सक्रिय सेवा के रूपमें प्रवेश कर रहा है। उन्होंने कहाकि यह बैच अगले 25 वर्ष के अमृतकाल में देश के विकास में अहम भूमिका निभाएगा। प्रधानमंत्री ने महामारी केबाद की दुनिया में उभरती नई विश्व व्यवस्था को रेखांकित किया और कहाकि 21वीं सदी के इस मोड़ पर दुनिया भारत की ओर देख रही है, इस नई विश्व व्यवस्था में भारत को अपनी भूमिका बढ़ानी होगी और स्वयं को तेजगति से विकसित करना होगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अधिकारियों से कहाकि 21वीं सदी के सबसे बड़े लक्ष्य यानी आत्मनिर्भर भारत और आधुनिक भारत के लक्ष्य पर विशेष ध्यान देते हुए इस अवधि के महत्व को ध्यान में रखें, हम इस अवसर को खोने का जोखिम नहीं उठा सकते। सिविल सेवाओं पर सरदार वल्लभभाई पटेल के विचारों का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहाकि सेवा और कर्तव्य की भावना प्रशिक्षण का अभिन्न अंग है। उन्होंने अधिकारियों से कहाकि आपके संपूर्ण सेवा वर्षों में सेवा और कर्तव्य के ये कारक आपकी व्यक्तिगत और व्यावसायिक सफलता का पैमाना होना चाहिए। उन्होंने कहाकि कर्तव्य और उद्देश्य की भावना से किया जानेवाला कार्य कभी बोझ नहीं होता। उन्होंने अधिकारियों से कहाकि वे एक सकारात्मक उद्देश्य की भावना केसाथ और समाज एवं देश के संदर्भ में सकारात्मक बदलाव का हिस्सा बनने केलिए सेवा में आए हैं। प्रधानमंत्री ने इस क्षेत्र से मिलनेवाले अनुभव को अपनाने की आवश्यकता पर बल दिया, क्योंकि फाइल के मुद्दों का वास्तविक अनुभव कार्यक्षेत्र से ही आता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि फाइलों में सिर्फ आंकड़े ही नहीं होते, बल्कि उनमें लोगों का जीवन और उनकी आकांक्षाएं भी होती हैं। उन्होंने अधिकारियों से कहाकि आपको नंबर केलिए नहीं, बल्कि लोगों की जिंदगी केलिए काम करना है। प्रधानमंत्री ने कहाकि अधिकारियों को हमेशा समस्याओं के मूल कारण और नियमों के अनुसार स्थायी समाधान देना चाहिए। उन्होंने कहाकि अमृतकाल के इस दौर में हमें रिफॉर्म, परफॉर्म, ट्रांसफॉर्म को अगले स्तरपर ले जाना है, इसलिए आज का भारत 'सबका प्रयास' की भावना से आगे बढ़ रहा है। उन्होंने महात्मा गांधी के इस मंत्र को भी याद किया कि प्रत्येक निर्णय का मूल्यांकन अंतिम पंक्ति में अंतिम व्यक्ति के कल्याण की कसौटी पर किया जाना चाहिए। प्रधानमंत्री ने अधिकारियों को स्थानीय स्तरपर अपने जिलों की 5-6 चुनौतियों की पहचान करने और उन मुद्दों पर काम करने को कहा। प्रधानमंत्री ने कहाकि चुनौतियों की पहचान चुनौतियों के सुधार की दिशा में पहला कदम है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गरीबों केलिए पक्के घर और बिजली कनेक्शन प्रदान करने की चुनौतियों को सरकार द्वारा पहचानने का उदाहरण दिया, जिन्हें पीएम आवास योजना, सौभाग्य योजना और महत्वाकांक्षी जिलों की योजनाओं के माध्यम से पूरा किया गया। उन्होंने इन योजनाओं को आगे बढ़ाने केलिए नए संकल्प के बारेमें भी चर्चा की। उन्होंने विभिन्न बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में समन्वय की आवश्यकता पर बल दिया और कहाकि पीएम गतिशक्ति मास्टर प्लान इसे काफी हद तक संबोधित करेगा। प्रधानमंत्री ने सिविल सेवाओं के क्षेत्र में नए सुधारों अर्थात मिशन कर्मयोगी और आरंभ कार्यक्रम का उल्लेख किया। प्रधानमंत्री ने कहाकि अधिकारियों को प्रार्थना करनी चाहिए कि उन्हें कभी भी आसान काम न मिले, क्योंकि चुनौतीपूर्ण काम का अपना ही आनंद होता है। प्रधानमंत्री ने कहाकि जितना अधिक आप कम्फर्ट जोन में जाने की सोचेंगे, उतना ही आप अपनी प्रगति और देश की प्रगति को रोकेंगे।
प्रधानमंत्री ने अधिकारियों को सलाह दीकि वे अकादमी से प्रस्थान के समय अपनी आकांक्षाओं एवं योजनाओं को रिकॉर्ड करें और उपलब्धि के स्तर का मूल्यांकन करने केलिए 25 या 50 वर्ष के बाद उन्हें फिरसे देखें। उन्होंने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से संबंधित पाठ्यक्रमों और संसाधनों को पाठ्यक्रम में शामिल करने का भी आह्वान किया, क्योंकि भविष्य की समस्याओं में डेटा विज्ञान का एक बड़ा महत्व होगा और उसमें डेटा के मूल्यांकन की भी क्षमता होगी। यह 96वां बुनियादी पाठ्यक्रम एलबीएसएनएए का पहला सामान्य बुनियादी पाठ्यक्रम है, जिसमें नई शिक्षा और पाठ्यक्रम प्रारूप मिशन कर्मयोगी के सिद्धांतों पर आधारित है। इस बैच में 16 सेवाओं के 488 अधिकारी प्रशिक्षु और 3 रॉयल भूटान सर्विसेज (प्रशासनिक, पुलिस और वन) शामिल हैं। युवा वर्ग की साहसिक और अभिनव विचारधारा को मूर्तरूप प्रदान करने केलिए मिशन कर्मयोगी के सिद्धांतों के निर्देशित इस नए शिक्षाशास्त्र का प्रारूप तैयार किया गया था।
प्रधानमंत्री ने कहाकि सबका प्रयास की भावना में पद्म सम्मान प्राप्तकर्ताओं केसाथ वार्तालाप और ग्रामीण भारत के एक व्यापक अनुभव केलिए गांव के दौरे जैसी पहल के माध्यम से अधिकारी प्रशिक्षु को एक छात्र या नागरिक से एक लोकसेवक में परिवर्तित करने पर जोर दिया गया था। अधिकारी प्रशिक्षुओं ने इन क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के सामने आनेवाली चुनौतियों को समझने केलिए दूरस्थ या सीमावर्ती क्षेत्रों के गांवों का भी दौरा किया। पाठ्यचर्या केलिए मॉड्यूलर दृष्टिकोण को सतत श्रेणीबद्ध रूपसे शिक्षण और स्व-निर्देशित शिक्षण के सिद्धांत के अनुरूप अपनाया गया था। स्वास्थ्य जांचों के अलावा परीक्षा के बोझ से घिरे एक छात्र को 'स्वस्थ युवा सिविल सेवक' के रूपमें परिवर्तित करने की मुहिम का समर्थन करने केलिए स्वास्थ्य जांच भी की गईं। सभी 488 अधिकारी प्रशिक्षुओं को क्राव मागा और विभिन्न खेलों में प्राथमिक स्तर का प्रशिक्षण प्रदान किया गया है।