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Tuesday 07 May 2013 10:33:31 AM
नई दिल्ली। संस्कृति मंत्री चंद्रेश कुमारी कटोच ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण फिलहाल खीरसरा, जिला कच्छ, गुजरात और करणपुरा जिला हनुमानगढ़, राजस्थान में हड़प्पाकालीन स्थलों के उत्खनन का कार्य कर रहा है।
उन्होंने बताया कि खीरसरा, जिला कच्छ, गुजरात में तीन सत्रों के उत्खनन से खुरदरे पत्थर से बने विकसित हड़प्पा कालीन ढांचे मिले हैं, जिनमें घरों के कमरे, रसोईघर, स्नानागार, सीढ़ियां और किलेबंदी शामिल है। पुरावशेषी खोजों में मनके, पत्थर के बाट, टेराकोटा की पशु आकृतियां, खिलौने, घरेलू उपयोग की वस्तुएं आदि मिले हैं। सोने, तांबे, अर्द्ध-कीमती पत्थरों जैसे, गोमेद, अकीक, चकमक, श्वेत वर्ण स्फटिक, सूर्यकांतमणि, नीलम, चीनी मिट्टी, सैलखड़ी, सीपी तथा टेराकोटा से बने मनके प्राप्त हुए हैं। सैलखड़ी, घीया पत्थर और चकमक पत्थर से बने वर्गाकार, आयताकार और छड़ जैसी मुहरें मिली हैं। उत्खनन से अकीक, स्फटिक, आग्नेय चट्टान, चकमक तथा बलुआ पत्थर के बाट प्राप्त हुए। टेराकोटा से बनी वस्तुओं में झुनझुना, खिलाड़ी, लटकने वाले गोले, हापस्कॉच, मनोरंजन की वस्तुएं, सांड और पक्षियों को दर्शाती आकृतियां शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, बड़ी संख्या में रंगे हुए और सादे दोनों ही तरह के खिलौना गाड़ियों के ढांचे बरामद हुए हैं। तांबे की वस्तुएं, पत्थर के औजार, काठियां और चक्कियां, ओखलियां भी बरामद हुई हैं।
उन्होंने बताया कि करणपुरा, जिला हनुमानगढ़, राजस्थान में उत्खनन से प्रारंभिक और विकसित हड़प्पाकालीन मृदभांड और मिट्टी की ईंटों से निर्मित भवन परिसर प्राप्त हुए हैं। अन्य महत्वपूर्ण कलाकृतियों में तांबे के अग्र भाग वाले तीर, दर्पण, चूडि़यां, छल्ले तथा मछली के कांटे मिले हैं। सैलखड़ी और अर्द्ध-कीमती पत्थरों जैसे चकमक, चीनी मिट्टी, गोमेद और टेराकोटा से बने मनके एवं तकली आवर्त्त भी उत्खनन से प्राप्त हुए हैं। इसके अतिरिक्त, बड़ी मात्रा में पशु अस्थि में टुकड़े और अनाज की कुछ किस्में भी उत्खनन से प्राप्त हुई हैं।