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Thursday 7 April 2022 12:49:05 PM
लखनऊ/ अयोध्या। मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम इंटरनेशनल एयरपोर्ट अयोध्या के विकास केलिए राज्य सरकार ने जो 317.855 एकड़ भूमि क्रय की थी, वह भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण को लीज पर दी जाएगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की उपस्थिति में कल यह निर्णय लिया गया। राज्य सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि इस भूमि हस्तांतरण केलिए उत्तर प्रदेश के नागरिक उड्डयन विभाग एवं भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण के मध्य लीज एग्रीमेंट का निष्पादन किया जाएगा। श्रीरामनगरी अयोध्या में प्रस्तावित मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट अगले वर्ष संचालित कर देने की योजना है। इस योजना पर बहुत तेजीसे काम चल रहा है। प्रदेश सरकार एयरपोर्ट केलिए पहले ही आवश्यक भूमि का प्रबंध कर चुकी है।
मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट के प्रथम चरण केलिए पहले ही जमीन अधिगृहीत की जा चुकी है। यह हवाई पट्टी एनएच-27 और एनच-330 के बीच सुल्तानपुर नाका के पास है। इसको भव्य और आधुनिक एयरपोर्ट का रूप दिया जा रहा है। जानकारी के अनुसार इस हवाई पट्टी को बड़े विमानों केलिए तैयार किया जा रहा है। राज्य सरकार अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट केलिए लगभग 600 एकड़ भूमि भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण को उपलब्ध करा रही है। राज्य सरकार के प्रवक्ता ने बतायाकि उत्तर प्रदेश सरकार अयोध्या को नंबर वन धार्मिक पर्यटन डेस्टिनेशन के रूपमें विकसित कर रही है, इस एयरपोर्ट के निर्माण केसाथ इसके आस-पास के पर्यटन स्थल भी विकसित किए जा रहे हैं। केंद्र और राज्य के नागरिक उड्डयन विभाग इसके विकास कार्यों की लगातार समीक्षा कर रहे हैं।
उधर उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव दुर्गाशंकर मिश्र ने कहा हैकि अयोध्या को विश्व की आध्यात्मिक राजधानी के साथ स्वच्छ, प्रदूषण मुक्त, वॉटर सेक्योर, वॉटर प्लस, सोलर और सुरक्षित सिटी के रूपमें विकसित करना है, नई अयोध्या का निर्माण और पुरानी अयोध्या का कायाकल्प करके रामायणकालीन पर्यावरण के अनुकूल ऐसा शहर बनाना है, जो विश्व के लिए मॉडल बने। मुख्य सचिव ने अयोध्या विजन-2047 की समीक्षा बैठक में अधिकारियों से कहाकि अमृत योजना के लक्ष्य के अनुरूप अयोध्या ऐसी मॉडर्न सिटी के रूप में विकसित हो, जहांपर वर्षा जल का संरक्षण हो, सीवेज जल के पुनर्चक्रण की व्यवस्था हो, हर घर नल योजना के तहत सभी घरों में 24×7 नल से शुद्ध पीने के पानी की व्यवस्था हो, अयोध्या की पहचान वॉटर सेक्योर सिटी के रूप में बने। उन्होंने कहाकि अगले पांच साल में अयोध्या को वॉटर सेक्योर सिटी केसाथ भारत का सबसे स्वच्छ शहर बनाना है और निर्देश दिए कि स्वच्छता, शुद्ध पेयजल व कूड़ा निस्तारण केलिए अन्य विकसित शहरों के मॉडल का अध्ययन कर प्रभावी प्लान तैयार किया जाए।
मुख्य सचिव ने कहाकि भविष्य में पर्यटकों की सुविधा को देखते हुए जल, भूमि केसाथ वायु प्रदूषण को दूर करने केलिए ट्रांसपोर्ट व्यवस्था में व्यापक सुधार की जरूरत है। उन्होंने कहाकि पब्लिक ट्रांसपोर्ट, शेयर ट्रांसपोर्ट समेत प्रदूषण रहित इलेक्ट्रिक वाहनों के प्रयोग को बढ़ावा दिया जाए, इसके लिए बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रिक बसें चलाई जाएं और उनके अनुरूप रोड का निर्माण किया जाए। उन्होंने बतायाकि प्रदेश सरकार अयोध्या को विश्व की आध्यात्मिक राजधानी के रूपमें विकसित करना चाहती है, ऐसे में आध्यात्म, पर्यटन, कला-संस्कृति, हस्तशिल्प आदि के क्षेत्र में बड़े पैमाने पर कौशल विकास से रोज़गार सृजन सरकार की पहली प्राथमिकता में शामिल है। मुख्य सचिव ने कहाकि अयोध्या के निवासियों और वहां आनेवाले देश एवं विदेश के पर्यटकों की सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया जाए। बैठक में अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश कुमार अवस्थी, अपर मुख्य सचिव नगर विकास डॉ रजनीश दुबे, प्रमुख सचिव आवास दीपक कुमार, प्रमुख सचिव स्वास्थ्य आलोक कुमार, प्रमुख सचिव पर्यटन एवं संस्कृति मुकेश मेश्राम, प्रमुख सचिव खेलकूद कल्पना अवस्थी और वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।