स्वतंत्र आवाज़
word map

वैज्ञानिकों ने खोजी चमोली आपदा की वजह

भूकंप और ग्लेशियर की स्थिति की निरंतर निगरानी जरूरी है

आपदा आने से पहले यह क्षेत्र भूकंपीय रूपसे सक्रिय था

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Friday 8 April 2022 05:29:35 PM

scientists discovered the reason for chamoli disaster

चमोली। उत्तराखंड राज्य के चमोली जिले में बड़े पैमाने पर 7 फरवरी 2021 को घातक हिम-चट्टान हिमस्खलन में 200 से अधिक लोगों की जान गई और बड़ा आर्थिक नुकसान हुआ था। वैज्ञानिकों ने इस आपदा के कारणों का पता लगा लिया है। उन्होंने अध्ययन में पाया हैकि आपदा आनेसे पहले यह क्षेत्र भूकंपीय रूपसे सक्रिय था। वैज्ञानिकों को रॉक-आइस-पृथकता या अलगाव के पूर्ववर्ती संकेतों का उल्लेखनीय अनुक्रम भी मिला है, जोकि स्वसंयोजन या स्वसंगठन के माध्यम से एक नई संरचना के गठन से पहले गतिशील न्यूक्लिएशन चरण कहलाता है। हिमालय के ग्लेशियरों के पीछे हटने और अस्थिर ढलानों केसाथ संबंधित का पिघलना क्षेत्र में मॉनसून के दौरान बारिश या भूकंप के कारण भूस्खलन हो सकता है, इसके अलावा हिम, बर्फ और चट्टान के हिमस्खलन से दुनियाभर के पहाड़ी इलाकों में लोगों और बुनियादी ढांचे को खतरा हो सकता है, यही कारण हैकि क्षेत्र में भूकंप के साथ-साथ ग्लेशियर की स्थिति की निरंतर निगरानी की आवश्यकता है।
वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी अपनी स्थापना केबाद से इस तरह की आपदा के पीछे जिम्मेदार प्रक्रिया को समझने में सक्रिय रूपसे लगा है और हिमालय के ग्लेशियरों के आसपास भूकंपीय स्टेशनों के घने नेटवर्क केसाथ महत्वपूर्ण और अनपेक्षित गतिविधियों का पता लगाने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। इस प्रक्रिया केतहत उन्होंने 7 फरवरी 2021 को हुई आपदा के पीछे के कारणों का पता लगाने की भी कोशिश की है। नौ वैज्ञानिकों के समूह ने हिमस्खलन क्षेत्र की उपग्रह छवियों का विश्लेषण किया और पायाकि यह पिछले 5 वर्ष से खड़ी ढाल के निशान को नियंत्रित करने वाले कमजोर कील (पच्चड़) के शिखर के पास दरारें और जोड़ की क्रमिक वृद्धि को दिखाता है, ये दरारें आगे खुलने लगीं और पच्चड़ की विफलता से शिखर के पास एक कमजोर क्षेत्र की क्रमिक उन्नति हुई। बड़ी संख्या में आइस-रॉक हिमस्खलन की शुरुआत को भूकंपीय पूर्ववर्ती के रूपमें दर्ज किया गया, जो मुख्य पृथकता के होने से 2.30 घंटे पहले तक लगातार सक्रिय थे।
गतिशील प्रवाह और संबंधित प्रभावों के वेग का मूल्यांकन करने केलिए वैज्ञानिकों ने क्षेत्र में साक्ष्य केसाथ भूकंपीय संकेतों का विश्लेषण और सत्यापन किया। इस तरह के उच्चगुणवत्ता वाले भूकंपीय डेटा ने पूर्ण कालक्रम संबंधी नतीजे को फिरसे संगठित करने और मलबे के प्रवाह की प्रगति केलिए शुरुआत केबाद से प्रभावों का मूल्यांकन करने को स्वीकार किया। यह अध्ययन साइंटिफिक रिपोर्ट्स जर्नल में प्रकाशित हुआ है, जिसमें आकस्मिक बाढ़ का प्रभाव मानव हानि के अलावा आधुनिक संरचनाओं यानी दो जल विद्युत परियोजनाओं, पुलों और सड़कों को बनाए रखने केलिए बहुत अधिक था। बाढ़ की उच्च प्रवाह तीव्रता ने रैनी गांव की स्थायित्व को बिगाड़ दिया, खासकर मॉनसून के समय में यह क्षेत्र भूस्खलन से ग्रस्त है। भूकंपीय निगरानी प्रणाली मलबे के प्रवाह, भूस्खलन, हिमस्खलन आदि जैसे बड़े पैमाने पर गतिविधियों का पता लगाने केलिए उपयुक्त हैं। बड़ी विफलता से पहले भूकंपीय नेटवर्क द्वारा ऐसी गतिविधियों को देखने की क्षमता क्षेत्र के लिए एक प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली विकसित करने की गुंजाइश प्रदान कर सकती है। एक एकीकृत पूर्व चेतावनी प्रणाली लोगों को ऐसी किसी भी आने वाली आपदा से बचाव के प्रति सचेत कर सकती है।
ईडब्ल्यूएस को सीस्मोमीटर यानी भूकंप सूचक यंत्र का आंतरिक भाग से भूकंपीय डेटा, स्वचालित जल स्तर रिकॉर्डर से हाइड्रोलॉजिकल डेटा और हिमालय के ग्लेशियर बेसिन के आसपास नेटवर्क के रूपमें स्थापित स्वचालित मौसम स्टेशनों से मौसम संबंधी डेटा पर आधारित होना चाहिए। इस आकृति में विभिन्न स्टेशनों केबीच तरंग केबीच सहसंबंध, जो न्यूक्लिएशन चरण (कमजोर क्षेत्र उन्नति और पूर्व पृथकता) को दर्शाता है, हिमस्खलन जारी होने से एक दिन पहले शुरू हुआ था और पूरी तरह से सहसंबद्ध था। यह देखा गया हैकि सभी प्रभावों को पहले टीपीएन वेधशाला में दर्ज किया गया, जो उद्गम के पास है। वे तरंग केबीच सहसंबंध (ए-डी) नीले बिंदीदार आयत केलिए दर्शाए गए हैं, (सी) नीला अंडाकार वृत्त दो निकटवर्ती वेधशालाओं में दर्ज कमजोर या छोटे पृथकता या अलगाव को दर्शाता है, (डी) प्रमुख निस्तार/ अलगाव (टी1) से ठीक 1 मिनट पहले महत्वपूर्ण अलगाव या कमजोर क्षेत्र उन्नति (टी0) भूकंपीय तरंगों के पूर्ण सहसंबंध केसाथ पास के तीन भूकंपीय स्टेशनों में देखा जा सकता है।

हिन्दी या अंग्रेजी [भाषा बदलने के लिए प्रेस F12]